New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया

(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

संदर्भ 

डचेस ऑफ ससेक्स ‘मेघन मार्कल’ के अनुसार, उन्हें प्रसव के तुरंत बाद प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया (Postpartum Preeclampsia) नामक एक ‘दुर्लभ’ स्वास्थ्य स्थिति का पता चला था।

प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया के बारे में

  • यह एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है जो कुछ महिलाओं में बच्चे को जन्म देने के बाद उत्पन्न हो सकती है।
  • यह उच्च रक्तचाप एवं मूत्र में प्रोटीन की उपस्थिति से जुड़ी होती है।
  • हालाँकि, यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया के रूप में विकसित हो सकती है और कुछ मामलों में यह प्रसव के तुरंत बाद भी उत्पन्न हो सकती है।
  • समय पर उपचार न होने पर यह गंभीर परिणामों का कारण बन सकता है, जैसे- दौरे, स्ट्रोक, मस्तिष्क क्षति एवं मौत।

प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया के प्रमुख लक्षण

  • सिरदर्द
  • दृष्टि में परिवर्तन (जैसे- धुंधलापन या प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता)
  • चेहरे, हाथ, पैरों या अंगों में सूजन
  • मतली एवं उल्टी होना
  • पेट दर्द, तेजी से वजन बढ़ना
  • सांस लेने में कठिनाई

प्रमुख कारण

  • इस रोग का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। हालाँकि, इसे रक्तचाप में वृद्धि, रक्त वाहिकाओं में संकुचन और शरीर में सूजन के रूप में देखा जा सकता है। 
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में रक्त प्रवाह में वृद्धि और हॉर्मोनल बदलाव इस स्थिति को प्रभावित करते हैं। 

वैश्विक स्थिति

  • यह स्थिति सामान्यतः 4 से 6% महिलाओं को प्रभावित करती है। हालाँकि, यह एक आपात स्थिति है जिसे तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।
  • विशेषकर विकसित देशों में, स्वास्थ्य संस्थाएँ इस स्थिति की जाँच एवं उपचार के लिए अधिक संवेदनशील हैं, फिर भी इसके प्रति जागरूकता की कमी बनी रहती है।

भारत में स्थिति

  • भारत में भी यह रोग एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है, जहां मातृ मृत्यु दर उच्च है।
  • ग्रामीण इलाकों में इसकी पहचान कम ही होती है और इलाज का स्तर शहरों की तुलना में बहुत बेहतर नहीं होता है।

प्रमुख जोखिम

  • पूर्व रोग के प्रति प्रवण : उच्च रक्तचाप, मधुमेह या किडनी रोग जैसी स्थितियाँ महिला को अधिक जोखिम में डाल सकती हैं।
  • ऑटोइम्यून बीमारियाँ : ल्यूपस या एंटीफॉस्फ़ोलिपिड सिंड्रोम जैसी बीमारियाँ इस स्थिति के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
  • पिछला इतिहास : यदि महिला को अपनी पिछली गर्भावस्था में प्रीक्लेम्पसिया या उच्च रक्तचाप हुआ हो, तो इस स्थिति के पुनः होने की संभावना बढ़ सकती है।
  • आयु : 40 वर्ष या उससे अधिक आयु वाली महिलाओं को अधिक जोखिम होता है।
  • मोटापा : अधिक वजन या मोटापे से पीड़ित महिलाएँ भी इस स्थिति के प्रति संवेदनशील होती हैं।
  • मल्टीपल प्रेगनेंसी : जुड़वाँ या तीन बच्चों के जन्म के दौरान इस स्थिति के होने की संभावना अधिक होती है।

इससे बचाव के उपाय

  • स्वस्थ जीवनशैली : गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार और नियमित व्यायाम की सलाह दी जाती है, जिससे उनका रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
  • नियमित जांच : गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से रक्तचाप और मूत्र की जांच करानी चाहिए ताकि प्रीक्लेम्पसिया या प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया का समय रहते पता चल सके।
  • डॉक्टर की सलाह : उच्च रक्तचाप या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह पर दवाइयाँ ली जानी चाहिए।
  • तनाव का प्रबंधन : मानसिक और शारीरिक तनाव को कम करने के उपायों को अपनाना चाहिए, जैसे योग और ध्यान।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR