New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

भारत में आलू उत्पादन : वर्तमान स्थिति एवं भविष्य की संभावनाएँ

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और संबंधित उद्योग, तकनीकी व आर्थिक विकास)

संदर्भ 

पेरू स्थित अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) ने केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सहयोग से ‘भारत के जड़ एवं कंद फसल क्षेत्र में नवाचार व संधारणीयता’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की। 

भारत में आलू उत्पादन के बारे में 

  • वैश्विक आलू उत्पादन में चीन (93 मिलियन मीट्रिक टन) के बाद भारत (60 मिलियन मीट्रिक टन) का दूसरा स्थान है।
  • वर्ष 2023 में आलू का कुल वैश्विक उत्पादन लगभग 370 मिलियन मीट्रिक टन था।
  • उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा (30% उत्पादन) आलू उत्पादक राज्य है। इसके बाद पश्चिम बंगाल (24%) और बिहार (18%) हैं।
  • उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में आलू का सर्वाधिक उत्पादन होता है।
  • भारत में आलू की औसत उत्पादकता 183.3 क्विंटल/हेक्टेयर है जो वैश्विक औसत (207 क्विंटल/हेक्टेयर) से कम है।
  • कुछ देशों, जैसे- बेल्जियम, न्यूजीलैंड एवं ब्रिटेन में आलू की उत्पादकता 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। 
  • प्रमुख क्षेत्र
    • उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश एवं बिहार में आलू की खेती प्रमुखता से होती है।
    • तमिलनाडु व केरल को छोड़कर लगभग पूरे देश में आलू उगाया जाता है।
  • प्रमुख किस्में
    • कुफरी पुखराज, कुफरी ज्योति, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी बादशाह, कुफरी सिंदूरी, एवं कुफरी चिप्सोना जैसी उन्नत किस्में लोकप्रिय हैं जो 152-400 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज देती हैं।
  • निर्यात : भारत लगभग 1 बिलियन डॉलर मूल्य के आलू का निर्यात करता है जिसमें प्रमुख गंतव्य नेपाल, श्रीलंका एवं मलेशिया हैं।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : आलू की उत्पत्ति 8,000 वर्ष पूर्व दक्षिण अमेरिका के एंडीज क्षेत्र में हुई थी। 16वीं सदी में पुर्तगालियों द्वारा इसे यूरोप लाया गया और वहाँ से यह भारत सहित विश्वभर में फैला।

आलू की फसल के लिए आवश्यक दशाएँ 

जलवायु

  • आलू एक शीतकालीन (रबी) फसल है, जिसके लिए ठंडा मौसम उपयुक्त है।
  • अंकुरण के लिए 22-25 °C, वृद्धि के लिए 20-24 °C और कंद विकास के लिए 17-19 °C तापमान आदर्श है।
  • 30 °C से अधिक तापमान कंद के विकास को रोक सकता है।
  • लंबी रातें और धूप वाले छोटे दिन आलू की खेती के लिए लाभकारी हैं।

मृदा 

  • जीवांश युक्त रेतीली दोमट या सिल्टी दोमट मृदा सर्वोत्तम है।
  • मृदा का pH मान 5.2 से 6.7 के बीच होना चाहिए। 
  • मृदा का भुरभुरा होना और अच्छी जल निकासी आवश्यक है।

बीज एवं बुवाई

  • रोगमुक्त, उन्नत किस्मों के बीज (जैसे- कुफरी पुखराज, कुफरी ज्योति, कुफरी चंद्रमुखी) का उपयोग।
  • बीज की बुवाई से पहले फफूंदनाशक (जैसे- डाइथेन M-45 या बाविस्टीन) से उपचार।
  • प्रति हेक्टेयर 15-30 क्विंटल बीज की आवश्यकता।

उर्वरक एवं सिंचाई

  • नाइट्रोजन (120-180 किग्रा/हेक्टेयर), फास्फोरस (80 किग्रा/हेक्टेयर) और पोटाश (120 किग्रा/हेक्टेयर) की आवश्यकता होती है।

प्रमुख सरकारी पहल और योजनाएँ

  • केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI), शिमला : उच्च उपज और रोग-प्रतिरोधी आलू किस्मों का विकास व प्रसार
  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) : आलू सहित बागवानी फसलों के लिए सब्सिडी, तकनीकी सहायता एवं बुनियादी ढांचा विकास
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) : ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा देकर जल उपयोग दक्षता में सुधार
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) : आलू की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्नत बीज एवं तकनीकों का प्रसार
  • कृषि अवसंरचना कोष (AIF) : शीत भंडार गृहों व प्रसंस्करण इकाइयों के लिए वित्तीय सहायता

भारत में आलू उत्पादन संबंधी चुनौतियाँ

  • निम्न उत्पादकता : भारत में आलू की उत्पादकता मुख्यत: उन्नत तकनीकों एवं रोगमुक्त बीजों की सीमित उपलब्धता के कारण वैश्विक औसत से कम है।
  • रोग एवं कीट : अगेती व पछेती झुलसा रोग (Early and Late Blight), स्कैब बैक्टीरियल संक्रमण और सॉफ्ट रोट (Soft Rot) जैसी बीमारियां फसल को नुकसान पहुंचाती हैं।
  • मूल्य अस्थिरता : बाजार में आलू की कीमतों में उतार-चढ़ाव किसानों की आय को प्रभावित करता है।
  • भंडारण की कमी : मैदानी क्षेत्रों में शीत भंडार गृहों की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण आलू खराब हो जाता है जिससे किसानों को नुकसान होता है।
  • जलवायु परिवर्तन : अनियमित वर्षा, बढ़ता तापमान एवं जल संसाधनों की कमी आलू की खेती को प्रभावित कर रही है।
  • उच्च उत्पादन लागत : उन्नत बीज, उर्वरक एवं कीटनाशकों की उच्च लागत छोटे व सीमांत किसानों के लिए चुनौती है।

भविष्य की संभावनाएँ

  • उन्नत किस्मों का विकास : केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI), शिमला द्वारा विकसित रोग-प्रतिरोधी और उच्च उपज वाली किस्में (जैसे- कुफरी पुष्कर, कुफरी चिप्सोना) उत्पादकता बढ़ाने में सहायक हैं।
  • प्रसंस्करण उद्योग : आलू प्रसंस्करण (चिप्स, फ्रेंच फ्राइज़, स्टार्च) की मांग बढ़ रही है, जिससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में अवसर बढ़े हैं।
  • जलवायु अनुकूल खेती : जलवायु परिवर्तन के अनुकूल किस्मों एवं टिकाऊ कृषि पद्धतियों (जैसे- ड्रिप सिंचाई) को अपनाकर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
  • वैज्ञानिक खेती को प्रोत्साहन : किसानों को मृदा जांच, बीजोपचार एवं उचित उर्वरक उपयोग के लिए प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए।
  • शीत भंडारण सुविधाओं का विस्तार : ग्रामीण क्षेत्रों में शीत भंडार गृहों की संख्या व क्षमता बढ़ाने से फसल की बर्बादी को कम किया जा सकता है।
  • बाजार सुधार : न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और बेहतर बाजार लिंकेज के माध्यम से मूल्य अस्थिरता को कम करना।

निष्कर्ष

आलू भारत की कृषि अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, कम उत्पादकता, रोग, भंडारण की कमी, और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां इसके विकास में बाधक हैं। उन्नत किस्मों, वैज्ञानिक खेती और सरकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से भारत न केवल अपनी आलू उत्पादकता बढ़ा सकता है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के बारे में

  • स्थापना : 1971 में पेरू सरकार के डिक्री द्वारा स्थापित
  • मुख्यालय : ला मोलिना, लीमा (पेरू की राजधानी) 
  • उद्देश्य : 
    • विकासशील देशों में गरीबी उन्मूलन एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना
    • आलू, शकरकंद एवं अन्य जड़ व कंद फसलों पर वैज्ञानिक अनुसंधान
    • एंडीज एवं अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर प्रबंधन

भारत से संबंध

  • उत्तर प्रदेश के आगरा (सींगना) में CIP की नई शाखा स्थापित होने की योजना
  • ताप-प्रतिरोधी आलू किस्मों एवं नई उत्पादन तकनीकों पर शोध
  • हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के साथ सहयोग
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR