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भारतीय प्रेस परिषद

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्वपूर्ण आयोग एवं संस्थाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय)

संदर्भ 

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन के तीन सदस्यों संबित पात्रा (भारतीय जनता पार्टी/पुरी-ओडिशा), नरेश म्हस्के (शिवसेना/ठाणे-महाराष्ट्र) एवं काली चरण मुंडा (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस/खूंटी-झारखंड) को भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India) के लिए नामित किया है।

भारतीय प्रेस परिषद के बारे में 

  • परिचय : यह एक वैधानिक, अर्ध-न्यायिक एवं स्वायत्त प्राधिकरण है। 
  • स्थापना : इसे वर्ष 1979 में संसद के प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 के तहत पुनः स्थापित किया गया। 
    • इससे पूर्व इसकी स्थापना पहले प्रेस आयोग की सिफारिशों पर 4 जुलाई, 1966 को प्रेस परिषद अधिनियम, 1965 के तहत की गई थी। वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान इस अधिनियम को निरस्त कर परिषद को भंग कर दिया गया था। 
    • वर्ष 1965 के अधिनियम के समान उद्देश्य के साथ ही नया अधिनियम बनाया गया।

  • उद्देश्य : प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 की धारा 13 के तहत परिषद के प्रमुख दो उद्देश्य हैं- 
    • प्रेस की स्वतंत्रता को संरक्षित करना 
    • भारत में समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों के मानकों को बनाए रखना और उनमें सुधार करना

परिषद की संरचना

  • अध्यक्ष : परिषद एक स्थायी निकाय है जिसमें एक अध्यक्ष एवं 28 सदस्य होते हैं। अध्यक्ष परंपरागत रूप से भारत के सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है।
  • चयन समिति : एक समिति द्वारा अध्यक्ष को नामित (चयन) किया जाता है जिसमें राज्यसभा के सभापति, लोकसभा अध्यक्ष और परिषद के 28 सदस्यों द्वारा चुना गया एक व्यक्ति शामिल होता है।
  • सदस्य : परिषद में कुल 28 सदस्य होते हैं
  • 13 श्रमजीवी पत्रकार: इनमें 6 समाचार पत्रों के संपादक और 7 अन्य श्रमजीवी पत्रकार शामिल होते हैं।
  • 6 प्रबंधन प्रतिनिधि: बड़े, मध्यम एवं छोटे समाचार पत्रों से 2-2 प्रतिनिधि।
  • ये समाचार पत्रों के प्रबंधन का व्यवसाय करते हैं या उनके मालिक होते हैं। 
  • 1 समाचार एजेंसी प्रतिनिधि: समाचार एजेंसियों का प्रबंधन करने वाला व्यक्ति।
  • 5 संसदीय प्रतिनिधि: पाठकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा नामित 3 और राज्यसभा के सभापति द्वारा नामित 2 सदस्य होते हैं।
  • 3 अन्य प्रतिनिधि: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं साहित्य अकादमी से नामित सदस्य क्रमशः शिक्षा, कानून व साहित्य के क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • कार्यकाल : अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है।

परिषद के प्रमुख कार्य 

  • भारतीय प्रेस परिषद का मिशन समाचार-पत्रों और समाचार एजेंसियों को उनकी स्वतंत्रता बनाए रखने में सहायता करना
  • उच्च व्यावसायिक मानकों के अनुरूप समाचार-पत्रों, समाचार एजेंसियों एवं पत्रकारों के लिए आचार संहिता तैयार करना 
  • समाचार-पत्रों, समाचार एजेंसियों एवं पत्रकारों द्वारा जनता की रुचि के उच्च मानकों को बनाए रखना सुनिश्चित करना तथा अधिकारों व जिम्मेदारियों के प्रति समुचित बोध को बढ़ावा देना
  • जनहित एवं महत्व के समाचारों की आपूर्ति व प्रसार को प्रतिबंधित करने वाले किसी भी घटनाक्रम की समीक्षा करना 
  • समाचार-पत्रों या समाचार एजेंसियों के उत्पादन या प्रकाशन में लगे सभी वर्गों के लोगों के बीच उचित कार्यात्मक संबंध को बढ़ावा देना 
  • प्रेस की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकने वाले समाचार-पत्रों एवं समाचार एजेंसियों के स्वामित्व के संकेंद्रण या अन्य पहलुओं जैसे विकास पर ध्यान देना

कार्यों का निर्वहन

  • परिषद अपने कार्यों का निर्वहन मुख्यतया परिषद को प्राप्त शिकायतों पर न्याय निर्णयों द्वारा करती है। ये शिकायतें या तो प्रेस के विरुद्ध पत्रकारिता नीतियों का उल्लंघन करने पर या प्रेस द्वारा उसकी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के बारे में होती हैं। 
  • जब परिषद जाँच के बाद संतुष्ट होती है कि किसी समाचारपत्र या समाचार एजेंसी ने पत्रकारिता नीतियों के मानकों का उल्लंघन या सार्वजनिक रूचि के विरुद्ध अपराध किया है या किसी संपादक या श्रमजीवी पत्रकार ने कोई वृत्तिक कदाचार किया है तो परिषद उन्हें चेतावनी दे सकती है या भर्त्सना कर सकती है या उनके आचरण को लेकर असहमति व्यक्त कर सकती है। 
  • परिषद को धारा (4) के तहत निर्दिष्ट प्रेस की स्वतंत्रता में सरकार सहित किसी भी प्राधिकरण द्वारा हस्तक्षेप करने पर टिप्पणी (जिसे वह उचित समझे) करने का भी अधिकार प्राप्त है। परिषद का निर्णय अंतिम होता है जिसे किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

वित्तयन

  • संसद के अधिनियम के तहत गठित निकाय होने के कारण यह परिषद् अपनी निधियों का बड़ा भाग केंद्र सरकार से संसद द्वारा उचित विनियोजन के बाद सहायतार्थ अनुदान के रूप में प्राप्त करती है। 
  • हालाँकि, इसकी अपनी निधियां भी हैं जो समाचारपत्रों से उनके ढांचागत ग्रेड के अनुसार शुल्क के रूप में तथा अन्य प्राप्तियों द्वारा एकत्रित की जाती हैं।
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