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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

(प्रारंभिक परीक्षा : योजनाएं एवं कार्यक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन व कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ 

8 अप्रैल, 2025 को ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ के कार्यान्वयन के दस वर्ष पूर्ण हुए। 

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बारे में 

  • परिचय : यह वित्तीय समावेशन में दीर्घकालिक अंतराल को दूर करने तथा सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन लाने पर केंद्रित एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है। 
  • आरंभ : 8 अप्रैल, 2015
  • उद्देश्य : इसका उद्देश्य हाशिए पर पड़े और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित सूक्ष्म उद्यमों और छोटे व्यवसायों को वित्तपोषित करना है।
  • नोडल मंत्रालय : वित्त मंत्रालय 
  • ऋण की सीमा : 20 लाख तक 
    • पहले यह सीमा 10 लाख तक थी। केंद्रीय बजट 2024-25 के दौरान ऋण सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया गया। 
  • ऋण की विभिन्न श्रेणियाँ : योजना के अंतर्गत मुद्रा ऋण तीन श्रेणियों शिशु, किशोर, एवं तरुण के तहत प्रदान किए जाते हैं।  
    • शिशु : 50,000/- रुपए तक 
    • किशोर :  50,000/- रुपए से 5 लाख रुपए तक 
    • तरुण :  5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक 
      • तरुण प्लस : यह एक विशेष श्रेणी है जिसके अंतर्गत ऐसे लोगों को 20 लाख रूपए तक का ऋण प्रदान किया जाता है जिन्होंने पहले से लिए ऋण को सफलतापूर्वक चुका दिया है। 

योजना की प्रमुख विशेषताएँ 

  • वित्तीय संस्था की स्थापना : इस योजना के तहत सूक्ष्म उद्यम इकाइयों से संबंधित विकास और पुनर्वित्तपोषण गतिविधियों के लिए भारत सरकार द्वारा माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA) की स्थापना की गई। मुद्रा से मिलने वाली वित्तीय सहायता दो प्रकार की है :
    • सूक्ष्म ऋण योजना (MCS): इसके तहत विभिन्न सूक्ष्म उद्यम /लघु व्यवसाय गतिविधियों के लिए सूक्ष्म वित्त संस्थाओं (MFIs) के माध्यम से 1 लाख रूपए तक का ऋण प्रदान किया जाता है।  
    • पुनर्वित्त योजना : इसके तहत वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक, शहरी सहकारी बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जैसे विभिन्न बैंक सूक्ष्म उद्यम गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए 20 लाख रूपए प्रति इकाई की राशि तक के सावधि ऋण व कार्यशील पूंजी ऋण मुद्रा से पुनर्वित्त सहायता कर सकते हैं। 
  • कोलेटरल-फ्री संस्थागत ऋण : योजना के तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों द्वारा 20 लाख रुपए तक का कोलेटरल-फ्री (गिरवी रहित) संस्थागत ऋण प्रदान किया जाता है। 

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत उपलब्धियाँ

  • ऋण तक पहुँच : पिछले एक दशक में इस योजना के तहत 32.61 लाख करोड़ रुपए के 52 करोड़ से ज्यादा लोन स्वीकृत किए हैं। इससे देश में उद्यमिता की क्रांति को बढ़ावा मिला है।
  • एम.एस.एम.ई. को ऋण प्रवाह में वृद्धि : भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार एम.एस.एम.ई. को प्रदान ऋण वित्त वर्ष 2014 में 8.51 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर मुद्रा योजन के कारण वित्त वर्ष 2024 में 27.25 लाख करोड़ रुपए हो गया और वित्त वर्ष 2025 में 30 लाख करोड़ रुपए को पार करने का अनुमान है।
  • महिला सशक्तिकरण : मुद्रा योजना में शामिल कुल लाभार्थियों में 68% महिलाएँ हैं जो महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण और श्रम बल भागीदारी को बढ़ाने में लक्षित वित्तीय समावेशन की प्रभावशीलता को मजबूत करता है।
  • वंचित वर्गों का सशक्तिकरण : एस.बी.आई. की रिपोर्ट के अनुसार, 50% मुद्रा खाते अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों के हैं, जिससे औपचारिक वित्त तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित होती है।
  • वर्तमान स्थिति : 28 फरवरी, 2025 तक तमिलनाडु ने राज्यों में सर्वाधिक वितरण किया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है जबकि कर्नाटक तीसरे स्थान पर है। केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू एवं कश्मीर सबसे आगे है।

निष्कर्ष

विगत दस वर्षों में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने निरंतर वित्तीय समावेशन की शक्ति एवं जमीनी स्तर पर नवाचार की ताकत को प्रदर्शित किया है। वर्ष 2014 से पहले ऋण तक पहुँच प्राय: अच्छी तरह से जुड़े लोगों के पक्ष में थी, जबकि छोटे उद्यमियों को जटिल कागजी कार्रवाई जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ता था या वे अनौपचारिक वित्त पर निर्भर रहने के लिए मजबूर थे। मुद्रा योजना ने इसके लिए एक समावेशी विकल्प प्रस्तुत किया है।

क्या आप जानते हैं?

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्ष 2024 की रिपोर्ट में पुष्टि की कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से उद्यमिता के लिए भारत का सक्षम नीतिगत वातावरण ऋण तक पहुँच के माध्यम से स्वरोजगार एवं औपचारिकता बढ़ाने में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। 

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