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आधार अनियमितता पर लोक लेखा समिति की रिपोर्ट

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2; सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।)

संदर्भ 

संसद की लोक लेखा समिति (Public Account Committee : PAC) ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के कामकाज की समीक्षा का आह्वान किया है जिनमें आधार बायोमेट्रिक सत्यापन में विफलता की उच्च दर भी शामिल है, जिसके कारण कई लाभार्थी सामाजिक कल्याण योजनाओं से वंचित रह सकते हैं।

संबंधित मुद्दे 

उच्च प्रमाणीकरण विफलता दर

  • पी.ए.सी. ने विशेष रूप से बुजुर्गों, शारीरिक श्रम करने वालों और आदिवासी आबादी में बायोमेट्रिक विफलता की उच्च दर का उल्लेख किया।
  • इससे उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पेंशन और मनरेगा मजदूरी जैसी आवश्यक कल्याणकारी सेवाओं से वंचित होना पड़ता है।

समावेशन-बहिष्करण त्रुटियाँ

  • कड़ी मेहनत करने वाले कई लोगों के फिंगरप्रिंट मशीनें ठीक से नहीं पढ़ पातीं। बुज़ुर्गों के मामले में, प्राय: आँखों की पुतलियों के पैटर्न के मिलान में गड़बड़ी होती है।
  • वर्तमान में देश की कुल आबादी से ज़्यादा आधार कार्ड इस्तेमाल में हैं, जो संभावित दोहराव और मृतकों के कार्डों को निष्क्रिय करने में देरी का संकेत देता है।
  • आधार को अनिवार्य रूप से कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने के परिणामस्वरूप वास्तविक लाभार्थी इन योजनाओं से वंचित रह गए हैं।

गोपनीयता एवं सुरक्षा संबंधी चिंताएँ

समिति ने कमज़ोर सुरक्षा उपायों का हवाला देते हुए डाटा गोपनीयता, संभावित दुरुपयोग और निगरानी जोखिमों पर चिंता जताई।

आधार पर अत्यधिक निर्भरता

  • पी.ए.सी. ने बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के आधार-आधारित सत्यापन पर अत्यधिक निर्भरता की आलोचना की।
  • समिति ने अधिकारों से वंचित होने से बचने के लिए पहचान के वैकल्पिक तरीकों का आग्रह किया।

जवाबदेही का अभाव

समिति ने मज़बूत शिकायत निवारण प्रणालियों के अभाव के साथ ही यू.आई.डी.ए.आई. के कामकाज में पारदर्शिता और ऑडिट की कमी का भी उल्लेख किया।

सिफारिशें

  • आधार प्रणाली और यू.आई.डी.ए.आई. के कामकाज की स्वतंत्र समीक्षा।
  • गोपनीयता की रक्षा के लिए मज़बूत कानूनी सुरक्षा उपाय स्थापित करें।
  • लाभार्थियों के लिए वैकल्पिक पहचान तंत्र विकसित करें।
  • शिकायत निवारण और जवाबदेही ढाँचे में सुधार करें।

इसे भी जानिए

संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थायी संसदीय समिति है, जिसका कार्य वित्तीय उत्तरदायित्व और सरकारी व्यय की निगरानी करना है।

स्थापना

  • लोक लेखा समिति की स्थापना वर्ष 1921 में मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के तहत की गई थी।
  • यह एक स्थायी संसदीय समिति है, जिसे हर वर्ष पुनर्गठित किया जाता है।

संरचना

  • कुल सदस्य: 22 सदस्य
    • 15 सदस्य लोकसभा से
    • 7 सदस्य राज्यसभा से
  • सदस्यता का आधार: आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर ताकि विभिन्न राजनीतिक दलों को प्रतिनिधित्व मिल सके।
  • अध्यक्ष: पारंपरिक रूप से लोक लेखा समिति का अध्यक्ष विपक्षी दल से होता है।
    • अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है।

मुख्य कार्य / कार्यप्रणाली

  • भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्टों की जाँच करना।
  • यह देखना कि संसद द्वारा स्वीकृत धन का उपयोग सही उद्देश्य के लिए और कानून के अनुरूप हुआ है या नहीं।
  • सरकारी खर्चों की प्रभावशीलता, दक्षता और पारदर्शिता की समीक्षा करना।
  • मंत्रालयों/विभागों के वित्तीय अनियमितताओं पर रिपोर्ट देना।

 महत्त्व

  • PAC सरकार को उत्तरदायी बनाने के साथ ही संसद की निगरानी भूमिका को मजबूत करती है।
  • यह वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने का एक प्रभावशाली माध्यम है।
  • PAC की रिपोर्टें संसद में पेश की जाती हैं और इन पर चर्चा होती है।

सीमाएँ

  • समिति केवल जाँच और सिफारिश कर सकती है इसे कार्रवाई करने का अधिकार नहीं होता।
  • CAG रिपोर्ट आने के बाद ही यह कार्य कर सकती है, इसलिए इसकी प्रकृति पोस्ट-फैक्टो होती है (यानी खर्च हो जाने के बाद जाँच)।
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