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वैश्विक आतंकवाद सूचकांक पर उठते सवाल

(प्रारम्भिक परीक्षा: सूचकांक व रिपोर्ट)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र 2: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ व मंच- उनकी संरचना एवं अधिदेश)

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में, नीति आयोग द्वारा संकलित एक रिपोर्ट में ऑस्ट्रेलिया स्थित अर्थशास्त्र और शांति के लिये संस्थान (Institute for Economics and Peace -IEP) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया गया।
  • ध्यातव्य है कि, संस्थान वार्षिक वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (annual Global Terrorism Index -GTI) जारी करता है जिसमें आतंकवाद से सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत को सातवें स्थान पर रखा गया था।
  • उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2017 में, भारत  ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की वैश्विक गुलामी रिपोर्ट (Global Slavery Report)  को भी चुनौती दी थी,  जिसमें भारत अपने स्थान को लेकर संतुष्ट नहीं था। यह रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया के वॉक फ्री फाउंडेशन, द्वारा प्रकाशित  की गई थी।

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI)

  • इस सूचकांक में आतंकवाद के देशों पर प्रभाव तथा आतंकवाद के क्षेत्र में प्रमुख वैश्विक रुझानों और स्वरुप के आधार पर दुनिया के विभिन्न देशों को वर्गीकृत किया जाता है।
  • वर्ष 2000 के बाद से उपरोक्त बिन्दुओं को केंद्र में रखकर IEP इस सूचकांक को प्रकाशित कर रहा है।
  • यह चार मुख्य मापदंडों के आधार पर अपना वर्गीकरण करता है :
    • प्रति वर्ष आतंकवादी घटनाओं की संख्या।
    • प्रति वर्ष आतंकवादियों के कारण मरने वाले लोगों की संख्या।
    • प्रति वर्ष आतंकवादियों के कारण हताहत लोगों की संख्या।
    • प्रति वर्ष आतंकवाद से होने वाली कुल सम्पत्ति की क्षति।

सूचकांक एवं रिपोर्ट का डाटाबेस

  • जी.टी.आई, वैश्विक आतंकवाद डाटाबेस (Global Terrorism Database -GTD) के आँकड़ों को आधार बनाकर अपनी रिपोर्ट तैयार करता है।
  • मैरीलैंड विश्वविद्यालय (संयुक्त राज्य अमेरिका) के आतंकवाद और आतंकवाद की प्रतिक्रियाओं के अध्ययन के लिये नेशनल कंसोर्टियम (National Consortium for the Study of Terrorism and Responses to Terrorism (START) द्वारा डाटाबेस के आँकड़ों को एकत्र किया जाता है।
  • इस डाटाबेस के द्वारा अब  तक आतंकवाद के 190,000 मामलों को संहिताबद्ध किया है।
  • जी.टी.आई. में 163 देशों को शामिल किया गया है, जहाँ दुनिया की लगभग 99.7% आबादी निवास करती है।

भारत का स्थान

  • भारत वार्षिक वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) 2019 में पिछले वर्ष के आठवें स्थान के मुकाबले सातवें स्थान पर आ गया है।
  • ध्यातव्य है कि, सूचकांक में भारत को आंतरिक-संघर्ष से गुज़र रहे देशों जैसे कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण सूडान, सूडान, बुर्किना फासो, फिलिस्तीन और लेबनान आदि से भी ऊपर रखा गया है।
  • सूचकांक में भारत से आगे देश : अफगानिस्तान, इराक, नाइजीरिया, सीरिया, पाकिस्तान और सोमालिया (शीर्ष- 6 देश)।

सूचकांक एवं आँकड़ों पर सवाल

  • सूचकांक के डाटाबेस के आँकड़ों की विश्वनीयता एवं विकसित विश्लेषण पद्धति की अनुपस्थिति पर अक्सर सवाल खड़े हुए हैं।
  • इसके आलावा देशों के बीच आतंकवाद की परिभाषाओं में बहुत विविधता है एवं देशों व संगठनों के बीच आतंकवाद की किसी सार्वभौमिक परिभाषा की कमी भी सूचकांक की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती है । जब देशों के बीच आतंकवाद की परिभाषा ही स्पष्ट नहीं है तो आखिर रिपोर्ट में किस परिभाषा को आधार मानकर सूचकांक तैयार किया जाता है? यह सवाल खड़ा होता है।
  • जी.टी.डी. पूरी तरह से अवर्गीकृत मीडिया लेखों पर आधारित है एवं सूचकांक के निर्माण में तमाम अस्पष्ट मापदंडों को भी शामिल किया जाता है।
  • संगठन में केवल 12 पूर्णकालिक कर्मचारी,12 संविदा कर्मी और 6 स्वयंसेवक हैं। ऐसे में सूचकांक या रिपोर्ट में गुणवत्ता एक बड़ा प्रश्न है।
  • जी.टी.डी. में 163 देशों में से किसी भी देश से सहयोग नहीं लिया गया है, न ही उनकी सरकारी डेटाबेस की रिपोर्टों या उस देश की मीडिया रिपोर्टों का किसी भी प्रकार के वर्गीकरण के लिये प्रयोग किया गया है।

क्या हो आगे की राह?

  • उल्लेखनीय है कि वैश्विक खतरा होने के बावजूद आतंकवाद की परिभाषा पर अभी कोई आम सहमति नहीं बनी है। अनेक चर्चाओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र संघ के स्तर पर भी आतंकवाद के खिलाफ कोई भी अभिसमय अभी तक मूर्त रूप में सामने नहीं आ पाया है। अतः सर्वप्रथम आतंकवाद की एक सर्वमान्य आधिकारिक परिभाषा निर्धारित करने की ज़रूरत है, जिससे इससे जुड़े नीतियों के निर्धारण में मदद मिल सके।
  • वैश्विक सूचकांकों में देशों की स्थिति, उन देशों में अन्य देशों एवं कम्पनियों द्वारा किये जाने वाले निवेश और अन्य आर्थिक अवसरों को प्रभावित करती है। अतः किसी भी संस्थान को ऐसी किसी भी रिपोर्ट या सूचकांक बनाने से पहले उसमें सम्मिलित सभी देशों के आधिकारिक आँकड़ों का प्रयोग करना चाहिये ताकि एक विश्वसनीयता बनी रहे।
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