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दूरसंचार कंपनियों को राहत पैकेज – संरचनात्मक सुधार का प्रयास    

(सामान्य अध्ययन प्रारंभिक परीक्षा – राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ )
(सामान्य अध्ययन मुख्य परीक्षा प्रश्न पत्र-3 (बुनियादी ढाँचा- उर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक संकट का सामना कर रही दूरसंचार कंपनियों के लिये महत्त्वपूर्ण सुधारों एवं राहत पैकेज की घोषणा की है। इसके अंतर्गत कंपनियों को वैधानिक बकाया के भुगतान पर चार वर्ष की राहत, समायोजित सकल राजस्व की परिभाषा में परिवर्तन तथा स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति शामिल है।

दूरसंचार कंपनियों का संकट

  • दूरसंचार कंपनियों द्वारा स्पेक्ट्रम की सुविधा प्राप्त करने के लिये साकार को एक निश्चित शुल्क का भुगतान किया जाता है। इसके अतिरिक्त कंपनियों को अपने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के एक निश्चित अनुपात का भी भुगतान करना पड़ता है।
  • एजीआर के स्वरूप एवं भुगतान को लेकर सरकार एवं दूरसंचार कंपनियों के बीच मतभेद है। कंपनियों का मानना है कि सरकार न तो उनके गैर दूरसंचार राजस्व को एजीआर के रूप में वर्गीकृत कर सकती और न ही इसके एक भाग की माँग कर सकती है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने इस विवाद पर सरकार के पक्ष में निर्णय देते हुए कंपनियों को उनके एजीआर के भुगतान का आदेश दिया। न्यायालय के इस आदेश से कंपनियों पर आर्थिक दबाव में वृद्धि हुई है।   

समायोजित सकल राजस्व (एजीआर)  

एजीआर वह राशि है जिसका भुगतान दूरसंचार कंपनियों द्वारा एयरवेव के उपयोग एवं लाइसेंस शुल्क के भुगतान के लिये सरकार को किया जाता है। यह दूरसंचार कंपनियों एवं सरकार के मध्य विवाद का प्रमुख विषय रहा है। सरकार का मानना है कि इसमें दूरसंचार सेवाओं एवं गैर दूरसंचार सेवाओं, दोनों से प्राप्त राजस्व शामिल है जबकि कंपनियों का कहना है कि इसमें केवल मुख्य सेवाओं से अर्जित राजस्व को ही शामिल किया जाना चाहिये। इसमें लाभांश, ब्याज या संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त लाभ को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

सरकार द्वारा किये गए ढाँचागत सुधार

  • समायोजित सकल राजस्व की परिभाषा में परिवर्तन करते हुए गैर दूरसंचार सेवाओं से प्राप्त राजस्व को इससे से बाहर रखा गया है।
  • 1 अक्टूबर, 2021 से स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) के विलंबित भुगतान पर ब्याज की दर को सीमांत लागत आधारित उधार दर (एमसीएलआर)+4 प्रतिशत के स्थान पर घटाकर सीमांत लगत आधारित उधार दर+2 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • स्पेक्ट्रम की नीलामी में किश्त भुगतान को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से दी जाने वाली बैंक गारंटी की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है।
  • नीलामी से प्राप्त स्पेक्ट्रम की अवधि को 20 वर्ष से बढाकर 30 वर्ष किया गया है तथा प्राप्त स्पेक्ट्रम को 10 वर्ष के बाद ही सरेंडर की अनुमति दी जाएगी।
  • नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिये कोई स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) देय नहीं होगा।
  • स्पेक्ट्रम साझेदारी को बढ़ावा देने के लिये 0.5 प्रतिशत के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क को समाप्त कर दिया गया है।
  • दूरसंचार कंपनियों में निवेश को बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान की है। गौरतलब है कि अभी तक स्वचालित मार्ग से 49 प्रतिशत विदेशी निवेश की ही अनुमति थी।

प्रक्रियागत सुधार 

  • स्पेक्ट्रम की नीलामी सामान्यतः प्रत्येक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में की जाएगी।
  • व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वायरलेस उपकरण के आयात के लिये 1953 के कस्टम नोटिफिकेशन के अंतर्गत लाइसेंस की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है।
  • केवाईसी प्रक्रिया में सुधार करते हुए सेल्फ केवाईसी की अनुमति (ऐप आधारित) दी गई है। ई-केवाईसी की दर को संशोधित करके मात्र एक रुपया कर दिया गया है। प्री-पेड से पोस्ट-पेड एवं पोस्ट-पेड से प्री-पेड में परिवर्तन के लिये केवाईसी की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है।
  • नये उपभोक्ता के लिये भरे जाने फॉर्म के देता को डिजिटल स्टोरेज में बदल दिया जाएगा।

सुधारों का दूरसंचार कंपनियों पर प्रभाव

  • सरकार द्वारा गैर दूरसंचार राजस्व को एजीआर से बाहर रखने का निर्णय अतिमहत्त्वपूर्ण है। इससे दूरसंचार क्षेत्र में एजीआर को लेकर दो दशक से चला आ रहा विवाद समाप्त हो गया है।
  • इन सुधारों से वोडाफ़ोन-आईडिया कंपनी को विशेष राहत मिलेगी, जो कि दिवालिया होने के कगार पर है।
  • सरकार ने कंपनियों को बकाए के भुगतान पर 4 वर्ष की मोहलत दी है। इससे आर्थिक संकट से गुजरने वाली कंपनियों को अपने व्यवसाय को बढ़ाने तथा बकाया राशि के भुगतान में आसानी होगी।
  • इन सुधारों से 4G सेवा के प्रसार एवं 5G सेवा में निवेश के लिये अनुकूल वातावरण तैयार होगा।

निष्कर्ष

सरकार द्वारा दूरसंचार क्षेत्र में किये गए ये सुधार रोजगार, विकास, प्रतिस्पर्धा एवं उपभोक्ता हितों को बढ़ावा देंगे। इन सुधारों से दूरसंचार कंपनियों की पूँजी की तरलता संबंधी समस्या के समाधान के साथ ही निवेश में बढ़ोतरी की संभावना है।

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