(प्रारंभिक परीक्षा : महत्त्वपूर्ण योजनाएँ एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
विश्व मरुस्थलीकरण व सूखा रोकथाम दिवस (17 जून) के अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ग्रीन इंडिया मिशन (GIM) के रिवाइज्ड या पुनरीक्षित दस्तावेज (2021-2030) जारी किए। इसके बाद मिशन का फोकस अरावली, पश्चिमी घाट, भारतीय हिमालय क्षेत्र, मैंग्रोव और उत्तर-पश्चिम भारत के शुष्क क्षेत्रों जैसे संवेदनशील भू-परिदृश्यों की बहाली पर होगा।
ग्रीन इंडिया मिशन के बारे में
- परिचय : यह मिशन भारत के राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) के तहत आठ प्रमुख मिशनों में से एक है, जिसे वर्ष 2014 में शुरू किया गया था।
- उद्देश्य : इसका उद्देश्य भारत के घटते वनावरण की सुरक्षा, पुनर्स्थापना एवं वनावरण में वृद्धि करना तथा जलवायु परिवर्तन के प्रतिक्रिया स्वरुप अनुकूलन व शमन उपायों के संयोजन के माध्यम से कार्य करना है।
मिशन के प्रमुख लक्ष्य
- वन/वृक्ष आवरण को 5 मिलियन हेक्टेयर (mha) तक बढ़ाना
- 5 mha एवं अन्य वन/गैर-वन भूमि पर वन/वृक्ष आवरण की गुणवत्ता में सुधार करना
- कार्बन संधारण एवं संग्रहण (वनों व अन्य पारिस्थितिक तंत्रों में), हाइड्रोलॉजिकल सेवाओं व जैव विविधता के साथ-साथ ईंधन, चारा तथा लकड़ी व गैर-लकड़ी वन उत्पाद (NTFPs) जैसी सेवाओं में सुधार/वृद्धि करना
- लगभग 3 मिलियन परिवारों की वन आधारित आजीविका आय बढ़ाना।
पुनरीक्षित ग्रीन इंडिया मिशन दस्तावेज (2021-2030) की प्रमुख विशेषताएँ
- सूक्ष्म-पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोण : संवेदनशील परिदृश्यों में हस्तक्षेप करने के लिए ‘सूक्ष्म-पारिस्थितिकी तंत्र’ दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। इसमें मृदा एवं नमी संरक्षण, उच्च कार्बन अवशोषण क्षमता वाली देशी प्रजातियों का रोपण और समग्र परिदृश्य प्रबंधन आदि शामिल है।
- कार्बन सिंक लक्ष्य : भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) के अनुमानों के अनुसार, सभी बहाली गतिविधियों से 3.39 बिलियन टन कार्बन सिंक बनाया जा सकता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के तहत इस मिशन का लक्ष्य 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष का अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना है।
- यह लक्ष्य खुली वनों की बहाली, बंजर भूमि पर वृक्षारोपण, रेलवे लाइनों और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे वृक्षारोपण के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।
- संवेदनशील परिदृश्यों की बहाली
- पश्चिमी घाट : व्यापक वनों की कटाई, अवैध खनन एवं वृक्षों की कटाई के कारण इस क्षेत्र में पर्यावरणीय क्षरण हुआ है जिससे वायु व जल प्रदूषण, भूजल की कमी और मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है।
- इस मिशन में देशी प्रजातियों का रोपण और मृदा संरक्षण के माध्यम से इस क्षेत्र की बहाली पर जोर दिया गया है।
- अरावली, हिमालय एवं मैंग्रोव : इन क्षेत्रों में क्षेत्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जाएगा।
- भूमि क्षरण तटस्थता (Land Degradation Neutrality) : मिशन का लक्ष्य मृदा एवं नमी संरक्षण गतिविधियों के माध्यम से भूमि क्षरण को रोकना व तटस्थता प्राप्त करना है।
भारत में वनावरण की स्थिति
- 2023 वन सर्वेक्षण रिपोर्ट: वर्ष 2021 से 2023 के बीच भारत के शुद्ध वनावरण में केवल 156.41 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है। हालांकि, पुराने वनों, मैंग्रोव एवं पश्चिमी घाट में वनावरण में कमी देखी गई।
- FSI अनुमान: पिछले 15-20 वर्षों में क्षतिग्रस्त वनों की बहाली, खुले वनों की बहाली एवं कृषि-वानिकी में कार्बन सिंक बनाने की सर्वाधिक संभावना है।
मिशन की प्रगति
- मिशन की शुरुआत वर्ष 2015-16 में हुई थी और 2020-21 तक लगभग 11.22 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को वृक्षारोपण के तहत शामिल किया गया।
- पुनरीक्षित दस्तावेज के अनुसार, अगले दशक में 24.7 मिलियन हेक्टेयर पर वन एवं वृक्ष आवरण बढ़ाने की आवश्यकता है।
ग्रीन इंडिया मिशन का महत्व
- जलवायु परिवर्तन शमन : कार्बन सिंक की वृद्धि से भारत अपने NDC लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होगा, जो पेरिस समझौते के तहत महत्वपूर्ण है।
- पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण : संवेदनशील भू-परिदृश्यों की बहाली से जैव-विविधता संरक्षण, मृदा एवं जल संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी आएगी।
- सतत विकास : यह मिशन सतत विकास लक्ष्यों (SDGs), विशेष रूप से SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) और SDG 15 (भूमि पर जीवन) को प्राप्त करने में योगदान देता है।
- आर्थिक एवं सामाजिक लाभ : वृक्षारोपण एवं बहाली गतिविधियां ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन व आजीविका सुधार में सहायक होंगी।
चुनौतियाँ
- वनावरण में धीमी वृद्धि : वर्ष 2021-23 के बीच केवल 156.41 वर्ग किमी. की वृद्धि चिंताजनक है।
- पुराने वनों की क्षति : मैंग्रोव एवं पश्चिमी घाट में वनावरण की क्षति जैव विविधता के लिए खतरा है।
- अवैध गतिविधियां : खनन एवं वनों की कटाई जैसे अवैध कार्य इस मिशन के लिए चुनौती बने हुए हैं।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव : बढ़ता तापमान और अनियमित वर्षा वृक्षारोपण की सफलता को प्रभावित कर सकती है।
निष्कर्ष
ग्रीन इंडिया मिशन का पुनरीक्षित दस्तावेज भारत के पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन शमन के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है। माइक्रो-इकोसिस्टम दृष्टिकोण और संवेदनशील भू-परिदृश्यों पर ध्यान केंद्रित करके यह मिशन न केवल कार्बन सिंक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है बल्कि यह जैव विविधता संरक्षण एवं सतत विकास को भी बढ़ावा दे रहा है। हालांकि, धीमी वन वृद्धि और पुराने वनों के नुकसान जैसी चुनौतियों को दूर करने के लिए प्रभावी कार्यान्वयन, सामुदायिक भागीदारी व संसाधन प्रबंधन आवश्यक है।