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भारत में विदेशी शिक्षण संस्थानों की स्थापना के नियम

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

लिवरपूल विश्वविद्यालय भारत में अपना परिसर स्थापित करने वाला दूसरा ब्रिटिश विश्वविद्यालय बन गया है। इसके लिए लिवरपूल विश्वविद्यालय को आशय पत्र (LoI) सौंपा गया। 

वर्तमान स्थिति 

  • लिवरपूल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना एवं संचालन विनियम, 2023 के तहत आशय पत्र प्राप्त करने वाला दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय है।
  • भारत में पहला ब्रिटिश परिसर खोलने की घोषणा साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय ने की है। इसका परिचालन अगस्त 2025 में गुरुग्राम में शुरू होगा। 
  • लिवरपूल विश्वविद्यालय भारत में अपनी शाखा की सार्वजनिक घोषणा करने वाला चौथा विदेशी विश्वविद्यालय है। इसका परिसर बेंगलुरु में खोला गया है। 

लिवरपूल विश्वविद्यालय के बार में

  • वर्ष 1881 में मूल ‘लाल ईंट’ से स्थापित लिवरपूल विश्वविद्यालय ब्रिटेन के अग्रणी शोध-गहन उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक है। इसका वार्षिक कारोबार 708.3 मिलियन पाउंड है।
  • दुनिया भर में शीर्ष 175 विश्वविद्यालयों में लगातार शामिल रहने वाला यह ब्रिटेन के अग्रणी शोध विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित ‘रसेल समूह’ का सदस्य है।
  • ऑस्ट्रेलिया का डीकिन विश्वविद्यालय एवं वॉलोन्गॉन्ग विश्वविद्यालय ने गुजरात के गिफ्ट सिटी में पहले ही अपने परिसर स्थापित कर लिए हैं। हालांकि, साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय यू.जी.सी. मानदंडों के तहत भारत में कैंपस (परिसर) स्थापित करने वाला पहला विदेशी विश्वविद्यालय होगा। 
  • डीकिन विश्वविद्यालय भारत में परिसर खोलने वाला पहला विदेशी विश्वविद्यालय है। साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय भी ब्रिटेन में अग्रणी रसेल ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज का संस्थापक सदस्य है। 

भारत-ब्रिटेन शिक्षा सहयोग 

  • शिक्षा में सहयोग 'भारत-ब्रिटेन खाका 2030 का एक प्रमुख पथ' रहा है। दोनों देशों के बीच शैक्षणिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता पर समझौता है। वर्तमान में 173,000 से अधिक भारतीय छात्र ब्रिटेन में अध्ययनरत हैं।
  • दोनों सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से घोषित युवा पेशेवर योजना (YPS) दोनों देशों के युवा स्नातकों को एक-दूसरे के संस्थानों से सीखने एवं लाभ उठाने का अनूठा अवसर प्रदान करती है। 

भारत में विदेशी परिसरों की स्थापना का प्रारंभ 

  • केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट 2022 भाषण में विश्व स्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों को गिफ्ट सिटी में पाठ्यक्रम प्रदान करने की अनुमति देने की घोषण की थी।
  • अक्तूबर 2022 में सरकार ने विदेशी विश्वविद्यालयों को गिफ्ट सिटी में ऑफ-शोर कैंपस स्थापित करने की अनुमति देने वाले नियमों को अधिसूचित किया। ये नियम अंतर्राष्ट्रीय विदेशी सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) द्वारा तैयार किए गए थे। 
  • गिफ्ट सिटी में मुख्यालय वाला IFSCA एक वैधानिक निकाय है जिसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम, 2019 के तहत 2020 में स्थापित किया गया था।

भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना एवं संचालन विनियम, 2023

यू.जी.सी. ने भारत में विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों की स्थापना एवं संचालन विनियम, 2023 के तहत अनुसार, भारत में विदेशी विश्वविद्यालय के परिसर स्थापित करने के लिए कुछ नियम निर्धारित किए हैं- 

सामान्य नियम 

  • भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों को उनके भर्ती मानदंडों के अनुसार संकाय और कर्मचारियों की भर्ती करने की स्वायत्तता होगी। 
  • भारत में विदेशी विश्वविद्यालय परिसर ऑनलाइन पाठ्यक्रम, दूरस्थ शिक्षा प्रदान नहीं कर सकेंगे।
  • भारत में कैंपस स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को नए पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले यू.जी.सी. से पूर्वानुमति लेनी होगी। 
  • विदेशी विश्वविद्यालय भारत में मूल इकाई के शिक्षण केंद्र, अध्ययन केंद्र या फ्रेंचाइजी नहीं खोल सकते हैं।
  • भारत में विदेशी योगदान प्राप्त करने, उपयोग करने वाले विदेशी विश्वविद्यालय परिसरों को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत पंजीकरण या पूर्व अनुमति लेनी होगी और एफसीआरए के तहत कानूनी आवश्यकता का पालन करना होगा।
  • यदि विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान एक से अधिक परिसर स्थापित करने का इच्छुक है, तो उसे इन विनियमों में निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत आयोग को हर परिसर के लिए अलग आवेदन करन होगा। 
  • भारत में परिसर स्थापित करने के लिए सहयोग करने के लिए इच्छुक दो या दो से अधिक विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थानों के मामले में प्रत्येक विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान को पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा।
  • विदेशी संस्थानों को एकमुश्त आवेदन शुल्क के अलावा यूजीसी को कोई वार्षिक शुल्क नहीं देना होगा।

शीर्ष 500 संस्थाओं की सूची में शामिल होना  

भारत में परिसर स्थापित करने के इच्छुक विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान को आवेदन के समय आयोग द्वारा समय-समय पर निर्धारित वैश्विक रैंकिंग की समग्र श्रेणी में शीर्षस्थ 500 संस्थाओं के भीतर स्थान प्राप्त किया होना चाहिए अथवा उसे आवेदन के समय वैश्विक रैंकिंग की विषयवार श्रेणी में शीर्ष 500 संस्थाओं के भीतर स्थान प्राप्त किया होना चाहिए अथवा आयोग द्वारा समय-समय पर यथा निर्णीत किसी विशेष क्षेत्र में उत्कृष्ट विशेषज्ञता प्राप्त की होनी चाहिए। 

जांच के लिए एक स्थायी समिति 

  • भारतीय परिसर में प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता उसके मूल देश के मुख्य परिसर में प्रदान की जा रही शिक्षा के समान होनी चाहिए। भारतीय परिसर में विद्यार्थियों को प्रदान की गई उपाधियों की मान्यता व दर्जा वही होगा। 
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग भारत में विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन से संबंधित मामलों की जांच करने के लिए एक स्थायी समिति का गठन करेगा। विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान पारदर्शी व उचित शुल्क संरचना तय करेगा।
  • विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान प्रवेश शुरु होने से कम से कम 60 दिन पहले विभिन्न कार्यक्रमों की शुल्क संरचना, प्रतिदेय नीति, किसी कार्यक्रम में सीटों की संख्या, पात्रता योग्यताएं, और प्रवेश प्रक्रिया सहित अपनी वेबसाइट पर पाठ्य- विवरणिका उपलब्ध कराएगा।

छात्रों के लिए छात्रवृत्ति 

इसके अलावा मूल्यांकन प्रक्रिया के आधार पर, विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान पूर्ण या आंशिक योग्यता आधारित या आवश्यकता आधारित छात्रवृत्ति प्रदान कर सकेगा। विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान उन छात्रों को ट्यूशन फीस में छूट दे सकता है, जो भारतीय नागरिक हैं। 

कर्मचारियों की नियुक्ति में स्वायत्तता

  • विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान को भारत और विदेशों में अपने भर्ती मानदंडों के अनुसार संकाय एवं कर्मचारियों की भर्ती करने की स्वायत्तता होगी। 
  • विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान संकाय और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए योग्यता, वेतन संरचना और सेवा की अन्य शर्तों का निर्णय कर सकता है। तथापि, विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान यह सुनिश्चित करेगा कि नियुक्त किए गए संकाय की योग्यता उसके मूल देश के मुख्य परिसर में नियुक्त संकाय के समकक्ष होगी।
  • इन विनियमों के तहत ऑनलाइन या ओपन एवं डिस्टेंस लर्निंग मोड में कोई भी कार्यक्रम प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
  • विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थान यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय परिसर में पढ़ाने के लिए नियुक्त अंतर्राष्ट्रीय संकाय कम से कम एक सेमेस्टर के लिए भारत में रहेगा।
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