| (प्रारंभिक परीक्षा: कला एवं संस्कृति) |
चर्चा में क्यों
22 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सबरीमाला अयप्पा मंदिर में दर्शन किए, और वे देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं जिन्होंने इस प्रसिद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना की है। साथ ही, मंदिर में सोने की चोरी के मामले में विशेष जांच दल (SIT) द्वारा जांच जारी है।
सबरीमाला मंदिर के बारे में
- सबरीमाला श्री अयप्पा स्वामी मंदिर केरल का एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जो भगवान अयप्पा को समर्पित है।
- यह मंदिर वर्ष में केवल कुछ निश्चित समय पर खुलता है, जैसे मंडलम-मकरविलक्कु मौसम (नवंबर से जनवरी) में, और लाखों श्रद्धालु यहां 41 दिनों का व्रत रखकर तीर्थयात्रा करते हैं।
- तीर्थयात्री काले वस्त्र धारण करते हैं, इरुमुडी (दो थैलियां) लेकर जाते हैं, और 'स्वामी शरणम अयप्पा' का जाप करते हैं।
- मंदिर में वावर स्वामी (मुस्लिम संत) और मलिकाप्पुरम देवी के मंदिर भी हैं, जो धार्मिक सद्भाव का प्रतीक हैं।
ऐतिहासिक तथ्य
- इस मंदिर की स्थापना लगभग 800 वर्ष पूर्व हुई मानी जाती है, हालांकि इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में है।
- पौराणिक कथा के अनुसार, अयप्पा शिव और मोहिनी (विष्णु का स्त्री रूप) के पुत्र हैं, जिन्होंने महिषी नामक राक्षसी का वध किया।
- इस मंदिर का निर्माण ‘राजा राजशेखर’ ने करवाया था।
- राजा राजशेखर एक प्रसिद्ध संस्कृत कवि, नाटककार और आलोचक थे, जिन्होंने 10वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार राजा महेंद्रपाल प्रथम और उनके पुत्र महिपाल के दरबार में काम किया था। वह मुख्य रूप से अपनी दो महत्वपूर्ण कृतियों, ‘काव्यमीमांसा’ और ‘कर्पूरमंजरी’ के लिए जाने जाते हैं।
- वावर स्वामी (मुस्लिम योद्धा) को अयप्पा का मित्र माना जाता है, जो हिंदू-मुस्लिम सद्भाव का प्रतीक है।
- मकरविलक्कु उत्सव में ज्योति दर्शन ऐतिहासिक महत्व रखता है।
अवस्थिति
- सबरीमाला मंदिर केरल के पथनमथिट्टा जिले के पेरिनाड गांव में स्थित है, जो पश्चिमी घाट की सबरी पहाड़ी पर है।
- यह पेरियार टाइगर रिजर्व के 18 पहाड़ियों से घिरा हुआ है, और समुद्र तल से लगभग 914 मीटर की ऊंचाई पर है।
वास्तुकला
- सबरीमाला मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक केरल शैली की है, जो सरल और आध्यात्मिक है।
- मुख्य संरचना में स्वर्ण छत (कॉपर प्लेटेड) है, और गर्भगृह में अयप्पा की मूर्ति योग मुद्रा में स्थापित है।
- मंदिर के प्रवेश द्वार पर 18 पवित्र सीढ़ियां (पथिनेट्टम पड़ी) हैं, जो 18 पहाड़ियों या 18 गुणों का प्रतीक हैं, और इन्हें सोने की परत से ढका गया है।
- भगवान की मूर्ति के सामने एक दीपस्तंभ और अन्य छोटे मंदिर हैं।
- वर्ष 1950 की आगजनी के बाद मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया।
महिला प्रवेश संबंधित विवाद
- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं (10-50 वर्ष) के प्रवेश पर लंबे समय से विवाद रहा है, जो मंदिर की परंपरा के अनुसार निषिद्ध था।
- सबरीमाला मंदिर के देवता भगवान अयप्पा को 'चिर ब्रह्मचारी' माना जाता है, इसलिए प्रजनन आयु की महिलाओं को पारंपरिक रूप से प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
- वर्ष 1991 में केरल उच्च न्यायालय ने भी इस प्रथा को बरकरार रखा था।
- वर्ष 2006 में इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की कि 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाए।
- वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद महिलाओं को प्रवेश की अनुमति मिली, लेकिन इससे बड़े विरोध प्रदर्शन हुए।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
- 28 सितंबर 2018 को सर्वोच्च न्यायालय ने 4:1 बहुमत से फैसला दिया कि 10 से 50 वर्ष की महिलाओं पर मंदिर प्रवेश का प्रतिबंध असंवैधानिक है, क्योंकि यह महिलाओं के समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14, 15, 25) का उल्लंघन करता है।
- मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ ने बहुमत में फैसला दिया, जबकि केवल पीठ में एक मात्र महिला न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ने असहमति जताई।
- कोर्ट ने कहा कि यह प्रथा आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है, और महिलाओं को पूजा का अधिकार है।
- वर्ष 2019 में कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई की, लेकिन मूल फैसला बरकरार रहा।
मंदिर का महत्व
- सबरीमाला मंदिर का महत्व आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर है।
- यह समानता, प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जहां सभी जाति-धर्म के लोग एक समान व्रत रखते हैं।
- मंदिर कलियुग के उद्धारक अयप्पा का केंद्र है, और तीर्थयात्रा अनुशासन, त्याग और एकता सिखाती है।
- यह केरल की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, और धार्मिक सद्भाव (हिंदू-मुस्लिम) का उदाहरण है।
- सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने लैंगिक समानता को मजबूत किया, हालांकि विवाद जारी है। वैश्विक स्तर पर, यह हिंदू धर्म की विविधता को दर्शाता है।