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सागरमाला कार्यक्रम (Sagarmala): भारत के समुद्री विकास का समग्र दृष्टिकोण

चर्चा में क्यों ?

Sagarmala

  • गुजरात के लोथल में भारत के पहले राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex - NMHC) का विकास सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत किया जा रहा है। यह परियोजना भारत की समुद्री विरासत को संरक्षित करने तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए की जा रही एक बड़ी पहल है।

सागरमाला :-

Central-Sector-Scheme

  • सागरमाला भारत सरकार की एक प्रमुख केन्द्रीय क्षेत्रक योजना (Central Sector Scheme) है जिसे 2016 में शुरू किया गया था।
  • इसका उद्देश्य भारत की विशाल समुद्री क्षमता को उपयोग में लाकर लॉजिस्टिक लागत में कमी लाना और सामुदायिक विकास के माध्यम से आर्थिक समृद्धि प्राप्त करना है।

Reductio-of-logistice

योजना के प्रमुख उद्देश्य

उद्देश्य

विवरण

लागत में कमी

निर्यात-आयात और घरेलू व्यापार की लॉजिस्टिक लागत में कटौती

समुद्री क्षमता का दोहन

7,500 किमी तटरेखा और 14,500 किमी अंतर्देशीय जलमार्गों का पूर्ण उपयोग

औद्योगीकरण

पत्तन आधारित उद्योगों और SEZ (Special Economic Zones) का विकास

समुदाय विकास

तटीय क्षेत्रों में कौशल विकास, मत्स्य पालन और रोजगार

संपर्क सुविधा

बंदरगाहों को सड़क, रेल, पाइपलाइन और मल्टीमॉडल हब से जोड़ना

आधिकारिक वेबसाइट:-

https://sagarmala.gov.in/about-sagarmala/introduction 

वित्तीय व्यवस्था एवं कार्यान्वयन मॉडल

  • PPP मॉडल (Public Private Partnership) के माध्यम से परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जाता है।
  • बजटीय सहायता + SPVs (Special Purpose Vehicles) के जरिए इक्विटी निवेश किया जाता है।
  • Sagarmala Development Company Ltd. (SDCL), कंपनी अधिनियम 2013 के तहत गठित की गई थी ताकि SPVs का निर्माण और वित्तपोषण सुनिश्चित किया जा सके।

संस्थागत ढांचा (Institutional Framework)

  • राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (NSAC)
  • अध्यक्ष: केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री
  • सदस्य: कैबिनेट मंत्री, तटीय राज्यों के मुख्यमंत्री या मंत्री
  • भूमिका:
    • नीति निर्माण
    • राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) को स्वीकृति
    • उच्च स्तरीय समन्वय और निगरानी
  • राज्य सागरमाला समिति
  • अध्यक्ष: राज्य का मुख्यमंत्री या पत्तन विभाग मंत्री
  • भूमिका:
    • राज्य स्तरीय परियोजनाओं की समन्वय व्यवस्था
    • केंद्र के निर्देशों का कार्यान्वयन
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन

पाँच स्तंभों में सागरमाला की परियोजनाएँ

स्तंभ

उपघटक/विवरण

1. पत्तन आधारित औद्योगिकीकरण

औद्योगिक क्लस्टर, SIPC/SEZ, थर्मल पावर प्लांट, पोर्ट आधारित उद्योग

2. तटीय समुदाय विकास

कौशल विकास, मत्स्य पालन, प्रौद्योगिकी केंद्र, सामुदायिक विकास, रोपवे

3. तटीय और अंतर्देशीय जल परिवहन

रो-रो / रो-पैक्स जेटी, क्रूज़ पर्यटन, द्वीप विकास, अंतर्देशीय जलमार्ग

4. पत्तन आधुनिकीकरण

प्रमुख व गैर-प्रमुख पत्तनों का आधुनिकीकरण, नए बंदरगाह, जहाज मरम्मत

5. पत्तन संपर्कता

सड़क, रेल, पाइपलाइन, मल्टीमॉडल हब आदि

लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल

  • यह एक मिश्रित सार्वजनिक-निजी मॉडल है।
  • भूमि स्वामित्व और नियमन: पोर्ट अथॉरिटी के पास
  • कार्गो संचालन व सेवाएँ: निजी कंपनियों द्वारा
  • यह मॉडल दक्षता और निवेश को बढ़ावा देता है।

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC), लोथल

  • स्थल: लोथल, गुजरात
  • विकास एजेंसी: बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय
  • उद्देश्य: समुद्री विरासत का संरक्षण, अनुसंधान और पर्यटन को बढ़ावा

सागरमाला युवा पेशेवर योजना (SYP)

पहलू

विवरण

उद्देश्य

मंत्रालय के विभिन्न विभागों में युवा प्रतिभाओं को शामिल करना

कार्यकाल

प्रारंभ में 2 वर्ष, आवश्यकतानुसार विस्तार संभव

संख्या

प्रारंभिक रूप में 25 पेशेवर

क्षेत्र

अवसंरचना, परियोजना प्रबंधन, डेटा विश्लेषण, लॉजिस्टिक नीति आदि

अब तक की उपलब्धियाँ (संक्षेप में)

  • 800+ परियोजनाएँ चिन्हित
  • 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश अनुमान
  • बंदरगाहों की कार्यक्षमता में वृद्धि
  • लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी
  • क्रूज़ पर्यटन और मत्स्य व्यवसाय को बढ़ावा
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