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सखारोव पुरस्कार 2025 : मानवाधिकारों की रक्षा में पत्रकारिता की मिसाल

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण पुरस्कार)

चर्चा में क्यों

यूरोपीय संघ ने वर्ष 2025 का सर्वोच्च मानवाधिकार सम्मान सखारोव पुरस्कार (Sakharov Prize) दो कैदी पत्रकारों बेलारूस के आंद्रेज़ पोज़ोबुत (Andrzej Poczobut) और जॉर्जिया की म्ज़िया अमाग्लोबेली (Mzia Amaghlobeli) को देने की घोषणा की है। 

सखारोव पुरस्कार के बारे में 

  • स्थापना: वर्ष 1988 में यूरोपीय संसद (European Parliament) द्वारा ।
  • स्मृति: यह पुरस्कार सोवियत वैज्ञानिक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंद्रेई सखारोव (Andrei Sakharov) के नाम पर रखा गया है।
  • विशेष: ऐसे व्यक्तियों या समूहों को दिया जाता है जिन्होंने मानवाधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में असाधारण योगदान दिया हो।
  • राशि: पुरस्कार में 50,000 यूरो (लगभग 45 लाख) की राशि दी जाती है।
  • प्रमुख विजेता: इसके पूर्व विजेताओं में नेल्सन मंडेला (दक्षिण अफ्रीका), मलाला यूसुफ़ज़ई (पाकिस्तान) और डेनिस मुकवेगे (कांगो के मानवाधिकार कार्यकर्ता) जैसे नाम शामिल हैं।

सखारोव पुरस्कार 2025 : विजेता

आंद्रेज़ पोज़ोबुत (Andrzej Poczobut)

  • बेलारूस के प्रमुख पत्रकार और मानवाधिकार समर्थक।
  • पोलैंड के प्रमुख अख़बार गजेता व्यबोर्चा (Gazeta Wyborcza) के बेलारूस संवाददाता।
  • लोकतांत्रिक आंदोलनों और प्रेस की स्वतंत्रता के पक्ष में लगातार रिपोर्टिंग।
  • झूठे आरोपों में 8 साल की जेल में सजा।

म्ज़िया अमाग्लोबेली (Mzia Amaghlobeli)

  • जॉर्जिया की प्रमुख पत्रकार और स्वतंत्र मीडिया संस्थाओं की संस्थापक।
  • उन्होंने दो स्वतंत्र जॉर्जियाई मीडिया आउटलेट्स की स्थापना की, जिनसे जनसाधारण तक सत्य और निष्पक्ष समाचार पहुँचता है।
  • म्ज़िया ने सरकार के दमन और मीडिया सेंसरशिप के खिलाफ साहसिक रिपोर्टिंग की।
  • अगस्त 2025 में एक सरकारी विरोध प्रदर्शन में पुलिस प्रमुख को थप्पड़ मारने के आरोप में उन्हें 2 साल की जेल की सज़ा दी गई।
  • उनके संघर्ष ने मीडिया स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए वैश्विक ध्यान आकर्षित किया।

कार्य और योगदान

  • पोज़ोबुत और अमाग्लोबेली दोनों ने सत्ता के खिलाफ सच बोलने और न्याय के पक्ष में आवाज़ उठाने का साहसिक उदाहरण प्रस्तुत किया।
  • इनके कार्य ने यह संदेश दिया कि पत्रकारिता अपराध नहीं है और लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनिवार्य है।
  • यह पुरस्कार पत्रकारों और मानवाधिकार रक्षकों के साहस और संघर्ष का सम्मान है।
  • यह दर्शाता है कि लोकतंत्र, न्याय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वैश्विक समाज की मूल आत्मा हैं।
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