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उपग्रह आधारित टोल संग्रह प्रणाली

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ 

भारत में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के कार्यान्वयन की घोषणा के बाद, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने टोल प्लाजा पर प्रतीक्षा समय की वास्तविक समय निगरानी के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित एक सॉफ्टवेयर विकसित किया है।

उपग्रह आधारित टोलिंग प्रणाली के बारे में 

  • वर्तमान में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित टोलिंग सिस्टम पर कार्य कर रहा है। 
    • इससे मौजूदा FASTag टोल संग्रह प्रणाली को बदलने और टोलिंग बूथों पर भीड़भाड़ के दीर्घकालिक समाधान की संभावना है। 
  • इस नए सॉफ्टवेयर को भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) ने विकसित किया है। 
    • यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा प्रवर्तित एक कंपनी है। 
  • प्रारंभ में इस नई तकनीक को 100 टोल प्लाजा पर लागू किया जाएगा जिन्हें लाइव मॉनिटरिंग के लिए NHAI द्वारा चिन्हित किया गया है। 
    • इन टोल प्लाजा का चयन राष्ट्रीय राजमार्ग हेल्पलाइन नंबर यानी 1033 के माध्यम से प्राप्त भीड़भाड़ संबंधी फीडबैक के आधार पर किया गया है।

उपग्रह आधारित टोलिंग की कार्यप्रणाली 

  • भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) के अनुसार प्रारंभ में GNSS-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ETC) प्रणाली को हाइब्रिड मॉडल के रूप में उपयोग किया जाएगा। 
    • इसमें FASTag एवं GNSS दोनों एक साथ काम करेंगे।
  • टोल प्लाजा पर GNSS-आधारित ETC का उपयोग करने वाले वाहनों को निर्बाध रूप से गुजरने के लिए एक समर्पित GNSS लेन उपलब्ध होगी। 
  • GNSS-आधारित ETC के अधिक व्यापक हो जाने के बाद सभी लेन अंततः GNSS लेन में परिवर्तित हो जाएँगी। 
  • जी.एन.एस.एस. टोलिंग प्रणाली में टोल प्लाजा से गुजरते समय रीडर एवं बूम बैरियर की जरूरत नहीं होगी। 

उपग्रह आधारित टोलिंग प्रणाली से लाभ 

यात्री को 

  • यह दूरी-आधारित टोलिंग सुविधा प्रदान करेगा जहाँ उपयोगकर्ता केवल राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा की गई दूरी के लिए भुगतान करेंगे।
  • इसमें वाहनों के लिए अग्रिम रीडिंग/पहचान/प्रवर्तन उपकरण होंगे ताकि वैध वाहनों को फ्री फ्लो पास मिल सके।
  • भुगतान प्रणाली मौजूदा फास्टैग प्रणाली के समान होगी किंतु इसमें स्वचालित डेबिट शामिल होगा और टोल प्लाजा पर बूम बैरियर की आवश्यकता नहीं होगी।

राजमार्ग प्राधिकरण को 

  • इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) अधिकारियों को यातायात के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट लेन स्तर पर भीड़ की जाँच करने में मदद करेगी।
  • भौगोलिक सूचना तंत्र आधारित सॉफ्टवेयर अधिकारियों को टोल प्लाजा का नाम एवं स्थान उपलब्ध कराएगा। 
  • यह टोल प्लाजा पर वाहनों की कतार निर्धारित सीमा से अधिक होने पर भीड़भाड़ की चेतावनी और लेन वितरण की संस्तुति भी प्रदान करेगा।
  • सॉफ्टवेयर वर्तमान मौसम की स्थिति और स्थानीय त्योहारों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। 
    • इससे एन.एच.ए.आई. अधिकारियों को यातायात भार को प्रबंधित करने और टोल प्लाजा पर भीड़भाड़ कम करने के लिए पूर्व-निवारक उपाय करने में मदद मिलेगी।

टोल संग्रह की वर्तमान प्रणाली 

  • वर्तमान में भारत में इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह रेडियो फ़्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक के माध्यम से किया जाता है। 
    • इसे सामान्यत: FASTag के रूप में जाना जाता है। 
  • भारत में FASTag प्रणाली वर्ष 2015 में लॉन्च की गई थी तथा फरवरी 2021 से राष्ट्रीय राजमार्ग टोल प्लाज़ा पर उपयोगकर्ता शुल्क के भुगतान के लिए FASTag को अनिवार्य कर दिया गया है। 
    • नकद या गैर-FASTag भुगतान के लिए 100% जुर्माना का प्रावधान है।
  • MoRTH के अनुसार, मार्च 2024 तक टोल प्लाज़ा पर 98% से अधिक उपयोगकर्ता शुल्क भुगतान FASTag के माध्यम से करते हैं।

इसे भी जानिए!

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव एवं प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। 
  • वर्तमान में MoRTH द्वारा घोषित लगभग 1.50 लाख किमी. राष्ट्रीय राजमार्गों में से लगभग 70,000 किमी. का प्रबंधन NHAI द्वारा किया जाता है। 
  • NHAI राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दर एवं संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 के अनुसार इन राजमार्गों पर टोल एकत्र करता है।
    • MoRTH के अनुसार, वर्तमान में NHAI द्वारा बनाए गए 1200 टोल प्लाजा के माध्यम से लगभग 45,000 किमी. राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के लिए टोल एकत्र किया जाता है।
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