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शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन 2025

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

1 सितंबर, 2025 को चीन के तियानजिन शहर में आयोजित 25वें SCO शिखर सम्मेलन ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर यह साबित किया कि यूरेशिया (Eurasia) अब वैश्विक राजनीति, सुरक्षा एवं अर्थव्यवस्था का केंद्र बन रहा है।

SCO शिखर सम्मेलन 2025 के बारे में

  • आयोजन स्थल : तियानजिन, चीन
  • अध्यक्षता : चीन द्वारा (2024–25 के कार्यकाल में)
  • थीम : शंघाई भावना को आगे बढ़ाना: एससीओ की कार्यवाही (Advancing the Shanghai Spirit: SCO in Action)
  • विशेषता : 25वीं वर्षगांठ; संगठन के अस्तित्व के 25 वर्ष पूर्ण 
  • घोषणा : सम्मेलन के अंत में तियानजिन घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
  • वर्ष 2026 : अगला SCO शिखर सम्मेलन किर्गिस्तान में होगा।
  • भागीदार नेता : सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव, किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सदिर जापारोव, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव और बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने भाग लिया।

इस शिखर सम्मेलन की उपस्थिति ही दर्शाती है कि SCO केवल क्षेत्रीय संगठन नहीं रहा है बल्कि यह अब वैश्विक बहुध्रुवीय व्यवस्था (Multipolar World Order) का एक स्तंभ बन चुका है।

तियानजिन घोषणा 2025 

वैश्विक व्यवस्था और सुरक्षा

  • सभी सदस्य देशों ने कहा कि दुनिया में शांति एवं स्थिरता केवल बहुपक्षीय सहयोग (Multilateralism) से ही संभव है।
  • अमेरिका एवं पश्चिमी देशों द्वारा लगाए जाने वाले एकतरफ़ा प्रतिबंधों का विरोध किया गया।
  • UN सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया ताकि उभरते देशों (खासकर वैश्विक दक्षिण) की आवाज़ भी सुनी जा सके।

आतंकवाद पर रुख़

  • पहलगाम हमला (अप्रैल 2025), जाफ़र एक्सप्रेस हमला (पाकिस्तान, अगस्त 2025) एवं खुज़दार विस्फोट की निंदा की गई।
  • यह स्पष्ट संकेत है कि SCO अब आतंकवाद को केवल क्षेत्रीय समस्या नहीं, बल्कि वैश्विक चुनौती मान रहा है।
  • सीमा-पार आतंकवाद की रोकथाम, वित्तपोषण एवं हथियार आपूर्ति रोकने पर सहमति बनी।

आर्थिक सहयोग

  • SCO विकास बैंक (Development Bank) स्थापित करने का प्रस्ताव
  • क्षेत्रीय व्यापार को डॉलर पर निर्भरता घटाकर स्थानीय मुद्राओं में करने पर चर्चा
  • ऊर्जा सुरक्षा, गैस पाइपलाइन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग को प्राथमिकता

क्षेत्रीय संकटों पर रुख़

  • अफ़ग़ानिस्तान : सभी ने समावेशी एवं प्रतिनिधिमूलक सरकार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
  • पश्चिम एशिया/ग़ाज़ा संकट : द्वि-राष्ट्र समाधान (Two-state solution) का समर्थन।
  • यूक्रेन संकट : रूस का समर्थन करते हुए सभी ने वार्ता के ज़रिए समाधान की आवश्यकता बताई।

प्रधानमंत्री मोदी की SCO सम्मेलन में भागीदारी

भारत की रणनीति

  • पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए।
  • भारत ने SCO को विकासशील देशों की आकांक्षाओं को आवाज़ देने वाला मंच बताया।
  • वैश्विक दक्षिण की समस्याएँ, जैसे- ऋण संकट, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा को प्रमुख मुद्दे के रूप में रखा गया।

द्विपक्षीय वार्ताएँ

  • रूस : ऊर्जा, रक्षा एवं व्यापारिक सहयोग पर चर्चा और भारत द्वारा रूस-यूक्रेन संकट के शांतिपूर्ण समाधान पर बल 
  • चीन : सीमा विवादों को शांति से सुलझाने की प्रतिबद्धता और लोगों के बीच संवाद (जैसे- सीधी उड़ानें, वीज़ा में आसानी) पर सहमति
  • मध्य एशियाई देश : कनेक्टिविटी परियोजनाएँ (जैसे- INSTC, चाबहार बंदरगाह से जुड़ाव), ऊर्जा आपूर्ति और शिक्षा पर सहयोग

भारत के लिए महत्व

  • कूटनीतिक सफलता : पहली बार SCO ने भारत में हुए आतंकी हमले का नाम लेकर निंदा की।
  • रणनीतिक संतुलन : भारत ने रूस, चीन एवं अमेरिका तीनों ध्रुवों के बीच संतुलन साधा।
  • आर्थिक अवसर : SCO विकास बैंक और ऊर्जा सहयोग में भारत की बड़ी भूमिका हो सकती है।
  • वैश्विक दक्षिण नेतृत्व : भारत ने विकासशील देशों के मुद्दों को उठाकर स्वयं को नैतिक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया।

SCO के समक्ष चुनौतियाँ

  • भारत-पाकिस्तान तनाव : आतंकवाद एवं कश्मीर पर दोनों देशों की अलग-अलग स्थिति
  • भारत-चीन सीमा विवाद : विश्वास निर्माण की कमी
  • रूस-यूक्रेन युद्ध : SCO की एकजुटता पर असर
  • BRI परियोजना : भारत का विरोध (CPEC कारण) जबकि अन्य देश समर्थन में
  • आर्थिक असमानताएँ : रूस-चीन जैसे बड़े देशों और छोटे मध्य एशियाई देशों के बीच संतुलन में कठिनता 

आगे की राह

  • आतंकवाद विरोधी तंत्र (RATS) को मज़बूत बनाना
  • SCO विकास बैंक को वास्तविकता में बदलना और स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को प्रोत्साहित करना
  • सदस्य देशों की ऊर्जा ज़रूरतों को आपसी सहयोग से पूरा करने के लिए ऊर्जा क्लब की स्थापना 
  • युवाओं के बीच संपर्क निर्माण के लिए सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान बढ़ाना
  • भारत को SCO में ‘ब्रिज नेशन’ की भूमिका निभानी होगी, अर्थात रूस, चीन व पश्चिमी दुनिया के बीच संवाद का सेतु

निष्कर्ष

SCO शिखर सम्मेलन, 2025 केवल एक वार्षिक बैठक नहीं रहा, बल्कि यह भारत की कूटनीतिक परिपक्वता व SCO की वैश्विक प्रासंगिकता का प्रतीक बना। जहाँ एक ओर आतंकवाद विरोधी रुख़ ने भारत को राहत दी, वहीं आर्थिक सहयोग और बहुपक्षीय व्यवस्था को मज़बूत करने वाले निर्णयों ने इस संगठन को वैश्विक राजनीति का अपरिहार्य हिस्सा बना दिया है।

SCO के बारे में

  • स्थापना : 2001 में शंघाई में 
  • वर्तमान सदस्य देश  (10 देश) : चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, कज़ाख़स्तान, उज़्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, ईरान, बेलारूस
  • जनसंख्या : विश्व का 40%
  • GDP योगदान : लगभग 23%
  • कुल क्षेत्रफल : विश्व का 24%

इतिहास 

  • इस संगठन की शुरुआत शंघाई फाइव से हुई, जो 26 अप्रैल, 1996 को चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस व ताजिकिस्तान द्वारा सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए निर्मित किया गया था।
  • 15 जून, 2001 को उज्बेकिस्तान के शामिल होने से SCO की स्थापना हुई, जहां शंघाई सहयोग संगठन की घोषणा पर हस्ताक्षर हुए।
  • वर्ष 2017 में भारत एवं पाकिस्तान सदस्य बने। वर्ष 2023 में ईरान और वर्ष 2024 में बेलारूस शामिल हुए।

उद्देश्य

  • क्षेत्रीय शांति, स्थिरता एवं सुरक्षा
  • आतंकवाद एवं अलगाववाद से निपटना
  • आर्थिक सहयोग एवं व्यापार को बढ़ावा
  • सांस्कृतिक और मानवीय संपर्क

वैश्विक व्यवस्था में भूमिका

  • पश्चिमी वर्चस्व को संतुलित करना
  • यूरेशिया को नई शक्ति धुरी (New Power Pole) बनाना
  • वैश्विक दक्षिण के देशों की आवाज़ बनना
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