(प्रारंभिक परीक्षा: रिपोर्ट एवं सूचकांक) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश) |
संदर्भ
16 जून, 2025 को स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘सिपरी इयरबुक, 2025’ जारी की।
SIPRI वार्षिक रिपोर्ट, 2025 के बारे में
- यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, शस्त्रीकरण, निशस्त्रीकरण एवं वैश्विक स्थिरता से संबंधित प्रमुख घटनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
- यह मुख्य रूप से वैश्विक परमाणु हथियारों की स्थिति, सैन्य खर्च, हथियार व्यापार और सशस्त्र संघर्षों पर केंद्रित है।
प्रमुख निष्कर्ष
- नए परमाणु हथियार प्रतिस्पर्धा का खतरा : वैश्विक स्तर पर एक नई परमाणु हथियार प्रतिस्पर्धा का जोखिम बढ़ रहा है। परमाणु हथियारों वाले देश अपनी रणनीतियों में परमाणु हथियारों पर अधिक निर्भर हो रहे हैं और अपने शस्त्रागार को आधुनिक बना रहे हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार रूस (सर्वाधिक 5,459) एवं अमेरिका (5,177) के पास दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का लगभग 90% हिस्सा है।
- जनवरी 2025 तक वैश्विक परमाणु हथियारों की संख्या लगभग 12,121 थी, जिनमें से 9,585 सैन्य भंडार (स्टॉकपाइल) में उपयोग के लिए तैयार थे।
- इनमें से 3,904 हथियार मिसाइलों एवं विमानों पर तैनात थे, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है।
- चीन का तेजी से बढ़ता परमाणु शस्त्रागार : जनवरी 2025 तक चीन के पास कम-से-कम 600 परमाणु हथियार थे, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे तेजी से बढ़ रहा है। यह वर्ष 2023 की तुलना में प्रतिवर्ष 100 हथियारों की वृद्धि दर्शाता है।
- परमाणु हथियार नियंत्रण का संकट :
- रूस व अमेरिका के बीच परमाणु हथियार नियंत्रण ढांचा लगभग ध्वस्त हो चुका है। न्यू START संधि (4 फरवरी 2026 तक प्रभावी) को नवीनीकृत करने या बदलने के लिए कोई औपचारिक वार्ता नहीं हो रही है।
- न्यू START संधि 5 फरवरी, 2011 को लागू हुई थी।
- इस संधि के तहत अमेरिका और रूसी संघ के पास सामरिक आक्रामक हथियारों पर संधि की केंद्रीय सीमाओं को पूरा करने के लिए सात साल का समय था (5 फरवरी, 2018 तक)।
- और फिर जब तक संधि लागू रहती है, तब तक उन सीमाओं को बनाए रखने के लिए बाध्य हैं।
- भारत एवं पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार : भारत व पाकिस्तान दोनों ने 2024 में अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार किया और नई डिलीवरी प्रणालियों (मिसाइलों एवं अन्य तकनीकों) का विकास जारी रखा।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास वर्ष 2025 में परमाणु हथियारों की संख्या 180 हो गई है जबकि वर्ष 2024 में ये संख्या 172 थी। पाकिस्तान के पास बीते वर्ष 170 परमाणु हथियार थे
- वैश्विक सशस्त्र संघर्ष : वर्ष 2023 में 50 देशों में सशस्त्र संघर्ष जाती थे, जिनमें यूक्रेन एवं गाजा में संघर्ष सबसे प्रमुख थे। इन संघर्षों ने वैश्विक सुरक्षा, हथियार व्यापार एवं निरस्त्रीकरण प्रयासों पर गहरा प्रभाव डाला है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और उभरती प्रौद्योगिकियाँ : रिपोर्ट में AI, बाह्य अंतरिक्ष एवं साइबरस्पेस से संबंधित सुरक्षा जोखिमों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- इसके आलावा स्वायत्त हथियार प्रणालियों के विकास एवं उपयोग पर चर्चा की गई है जो वैश्विक सुरक्षा के लिए नए जोखिम उत्पन्न कर रहे हैं।
- वैश्विक सैन्य व्यय में वृद्धि : अनुमानित वैश्विक सैन्य व्यय वर्ष 2024 में लगातार 10वें वर्ष बढ़कर 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जोकि विश्व सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के हिस्से के रूप में विश्व सैन्य व्यय बढ़कर 2.5% हो गया।
- शीर्ष हथियार आपूर्तिकर्ता देश : शीर्ष पाँच हथियार आपूर्तिकर्ता देशों में अमेरिका, फ्रांस, रूस, चीन एवं जर्मनी शामिल हैं जिनकी कुल निर्यात में 71% की हिस्सेदारी है।
- शीर्ष हथियार आयातक देश : सीपरी ने वर्ष 2020-24 में प्रमुख हथियारों के प्राप्तकर्ता के रूप में 162 देशों की पहचान की है जिनमें पांच सबसे बड़े हथियार प्राप्तकर्ता यूक्रेन, भारत, कतर, सऊदी अरब एवं पाकिस्तान थे, जिनकी कुल हथियार आयात में 35% हिस्सेदारी रही।