संदर्भ
उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त आयुक्तों ने कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले में सोपस्टोन (Soapstone) के अनियमित खनन गतिविधियों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
सोपस्टोन के बारे में 
- क्या है : मुख्यतः टैल्क (Talc) से निर्मित एक रूपांतरित चट्टान
- सोपस्टोन चट्टान में क्लोराइट, माइका (अभ्रक) एवं एम्फिबोल जैसे अन्य खनिज भी पाए जाते हैं।
 
- टैल्क प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला और मैग्नीशियम सिलिकेट से बना एक खनिज है।
-  इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, फार्मास्यूटिकल्स एवं अन्य उद्योगों में किया जाता है। 
 
 
 
- अन्य नाम : स्टीटाइट या सोप रॉक
 
- प्रमुख भंडार : भारतीय खान ब्यूरो के अनुसार, राजस्थान (57%) और उत्तराखंड (25%) राज्यों में 
 
- उपयोग : काउंटरटॉप, सिंक, चूल्हे एवं मूर्तियों के निर्माण व डिजाइन में 
 
रिपोर्ट में खनन का प्रभाव 
प्राकृतिक प्रभाव 
- उत्तराखंड में भू-धंसाव संबंधी चिंता 
- जोशीमठ में सड़कों व घरों में दरार आने के बाद वर्ष 2022 में इस क्षेत्र को भूस्खलन एवं भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।
 
- बागेश्वर में कांडा-कन्याल व कांडा जैसे क्षेत्र विशेष रूप से संवेदनशील हैं।
 
 
- ढलानों के निचले हिस्सों में खनन कार्यों के कारण संरचनात्मक निरंतरता नष्ट होने से भू-स्खलन की संभावना
 
- ऊपरी ढलान वाले क्षेत्रों की स्थिरता पर निचले हिस्सों में भू-स्खलन एवं भू-धंसाव का नकारात्मक प्रभाव 
- ऊपरी ढलान वाले क्षेत्रों में गांव बसे हुए हैं।
 
 
- ढीली प्रकृति की मृदा होने के कारण विशेष रूप से मानसून के मौसम में कटाव एवं अस्थिरता की अधिक संभावना
 
- खनन एवं संबंधित गतिविधियों (जैसे- परिवहन आदि) से वायु व जल प्रदूषण और जल की कमी
 
सांस्कृतिक प्रभाव 
- कई कुमाऊँनी पारंपरिक घरों (बाखली) की नींव का कमजोर एवं क्षतिग्रस्त होना
- कत्यूर एवं चंद राजाओं ने पहाड़ में घर निर्माण की बाखली शैली को तैयार किया था जो संस्कृति, परंपरा, जीवन, सामूहिकता, एकजुटता एवं सहयोग का प्रतीक है। 
 
 
- प्राचीन, ऐतिहासिक एवं स्थानीय तीर्थस्थलों व धार्मिक स्थलों को खतरा 
 
- इससे संबंधित विस्थापन से स्थानीय लोक संगीत, नृत्य एवं हस्तशिल्प में बाधा 
 
सतत खनन के लिए सुझाव  
- खनिज निष्कर्षण से होने वाले सामाजिक एवं पर्यावरणीय नुकसानों को अंतिम उत्पाद के उपयोग से प्राप्त लाभों से तुलना करने की आवश्यकता 
 
- सख्त पर्यावरणीय नियमों के साथ स्वच्छ खनन तकनीक के लिए नवाचार करना
 
- भूवैज्ञानिकों द्वारा संवेदनशील घोषित क्षेत्र में खनन संबंधी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना
 
- खनन गतिविधियों के दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए खनन के बाद भूमि पुनर्वास एवं पारितंत्र पुनर्बहाली के लिए देशी वनस्पतियों का उपयोग करना
 
- प्रदूषित पानी को शुद्ध करने के लिए कृत्रिम आर्द्रभूमि की स्थापना करना 
 
| 
 बागेश्वर जिला 
- सरयू व गोमती नदियों के संगम पर स्थित
 
- सदाशिव की भूमि के नाम से प्रसिद्ध 
 
- पूर्व एवं पश्चिम में भीलेश्वर व नीलेश्वर पर्वत
 
- उत्तर में सूरज कुंड और दक्षिण में अग्नि कुंड
 
 
 |