शोधकर्ताओं ने दक्षिण भारत में करिगिरी पहाड़ी क्षेत्र में स्पार्टेइनी उप-कुल (Sub-family) की जंपिंग स्पाइडर की नई प्रजाति की खोजी है। यह इस प्रजाति का भारत में पहला दर्ज रिकॉर्ड है। इससे पहले यह केवल दक्षिण-पूर्व एशिया एवं अफ्रीका में पाई गई थी।

नई प्रजाति के बारे में
- परिचय : यह वंश (जीनस) स्पार्टियस एवं स्पार्टेइनी उप-कुल से संबंधित जंपिंग स्पाइडर प्रजाति है जो अपनी बुद्धिमत्ता एवं शिकार की अनूठी रणनीतियों के लिए जानी जाती है।
- खोज स्थल : यह प्रजाति पहली बार कर्नाटक के देवरायनदुर्ग में करिगिरी क्षेत्र में देखी गई।
- इसके अतिरिक्त, तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में भी इसके नमूने मिले।
- नामकरण : इसका नाम ‘स्पार्टेयस करिगिरी’ (Spartacus karigiri) नामक उस पहाड़ी क्षेत्र के नाम पर रखा गया है जहाँ इसे पहली बार खोजा गया।
- शारीरिक विशेषताएँ :
- आकार एवं रंग : नर छोटे व गतिशील होते हैं। इनका शरीर हल्का या गहरा हो सकता है। वहीं मादा अधिक स्थिर व सुरक्षात्मक व्यवहार प्रदर्शित करती है। इनका आकार नर से थोड़ा बड़ा होता है।
- आँखें : इस प्रजाति में उत्कृष्ट दृष्टि होती है जो शिकार व नेविगेशन के लिए महत्वपूर्ण है।
- शिकार रणनीति
- ये वेब-इनवेजन रणनीति अपनाते हैं, यानी अन्य मकड़ी के जालों में घुसकर शिकार करते हैं।
- शिकार को लुभाने के लिए मिमिक्री (नकल) का उपयोग करते हैं, जो उनकी बुद्धिमत्ता को दर्शाता है।
- कूदने की क्षमता : ये तेज एवं सटीकता से छलांग लगाने में सक्षम हैं जो इन्हें प्रभावी शिकारी बनाती है।
- पारिस्थितिकीय महत्व : यह प्रजाति छोटे कीटों एवं अन्य मकड़ों को खाकर पारिस्थितिकी तंत्र में कीट नियंत्रण में योगदान देता है। यह कृषि एवं प्राकृतिक संतुलन के लिए लाभकारी है।