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खेल: विशेषाधिकार या एकजुटता की शक्ति

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।)

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) से संबंधित एक मामले में खेल और इसकी प्रशासनिक व्यवस्था को समाज के सभी वर्गों के लिए सुलभ बनाने पर जोर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि खेल और खेल प्रशासन को 'राष्ट्रीय जीवन' का हिस्सा माना जाना चाहिए, जो सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध हो।

पृष्ठभूमि

  • ए.आई.एफ.एफ., एक राष्ट्रीय खेल महासंघ (एन.एस.एफ.) है, जिसका गठन वर्ष 1937 में देश में फुटबॉल एसोसिएशन के शासी निकाय के रूप में किया गया था।
  • हालांकि, यह देखा गया कि ए.आई.एफ.एफ. समय के साथ विकसित होने में विफल रहा, वैश्विक शीर्ष निकाय फीफा के साथ इसकी संबद्धता में 11 साल लग गए और भारतीय फुटबॉल को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
  • परिणामस्वरूप, भारत में फुटबॉल टुकड़ों में बंटा रहा, इतना कि खिलाड़ी प्रशासन से अलग-थलग पड़ गए और समय के साथ राजनीति और क्षेत्रवाद केंद्र में आ गए।

हालिया मुद्दा क्या है

  • वर्तमान मामला तब अस्तित्व में आया जब विभिन्न खेल महासंघों की कार्यप्रणाली और उनकी चुनाव प्रक्रिया पर प्रश्न उठाए गए तथा उपयुक्त निर्देश जारी करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गईं।
  • भारत में खेल सुविधाएं और अवसर अक्सर शहरी आर्थिक अभिजन वर्ग तक सीमित रहते हैं। सामाजिक, आर्थिक, जातिगत, और धार्मिक बाधाएं कई प्रतिभाशाली लोगों को खेल में भाग लेने और खेल प्रशासन में शामिल होने से रोकती हैं।
  • यह असमानता न केवल व्यक्तिगत अवसरों को सीमित करती है, बल्कि खेल की एकजुट करने वाली शक्ति को भी कमजोर करती है। 
  • सर्वोच्च न्यायालय ने इस असमानता को दूर करने और खेल को सभी वर्गों के लिए सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

  • संबंधित वाद: अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ बनाम राहुल मेहरा, 2025
  • जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने अपने फैसले में कहा कि खेल सामाजिक, भाषाई, और सांस्कृतिक विविधता वाले व्यक्तियों को एक साझा लक्ष्य के तहत एकजुट करता है, जो संविधान में निहित बंधुत्व के मूल्य को मूर्त रूप देता है।

मुख्य बिंदु

  • खेल की एकजुट करने वाली शक्ति: खेल सामुदायिकता, जातिवाद, नस्लवाद, और भेदभाव के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार है। यह लोगों को व्यक्तिगत मतभेदों को भुलाकर एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करता है।
  • सभी के लिए सुलभता: खेल सुविधाएं और अवसर जाति, धर्म, लिंग, या आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी के लिए उपलब्ध होने चाहिए।
  • खेल प्रशासन में समावेशिता: खेल प्रशासन में भी योग्य व्यक्तियों को, चाहे वे किसी भी सामाजिक स्तर से हों, अवसर मिलना चाहिए।
  • संस्थागत दक्षता: सरकार और संवैधानिक संस्थाओं का यह कर्तव्य है कि खेल सुविधाएं और अवसर पारदर्शिता, व्यावसायिकता, और विशेषज्ञता के साथ संचालित हों।
  • आय का वितरण: खेल आयोजनों, बौद्धिक संपदा, और मीडिया अधिकारों से होने वाली आय को खेल को सुलभ और किफायती बनाने के लिए उपयोग करना चाहिए।

खेल : एकजुट करने वाली शक्ति

सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, खेल एक कर्मभूमि है, जहां सामाजिक एकता और साझा उद्देश्य मूर्त रूप लेते हैं।

  • सहयोग और एकता: खेल के मैदान पर, व्यक्तिगत मतभेदों को भुलाकर लोग एक साथ काम करते हैं, जिससे सहयोग, एकजुटता, और पारस्परिक सम्मान की भावना विकसित होती है।
  • संवैधानिक मूल्य: खेल संविधान में निहित बंधुत्व के मूल्य को बढ़ावा देता है, जो विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोगों को एकजुट करता है।
  • विविधता को जोड़ना: खेल सामाजिक, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को एक साझा मंच प्रदान करता है, जहां लोग एक सामान्य लक्ष्य के लिए मिलकर प्रयास करते हैं।

चुनौतियां

  • संसाधनों की कमी: ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में खेल सुविधाओं का अभाव।
  • आर्थिक असमानता: उच्च लागत वाली प्रशिक्षण सुविधाएं और उपकरण केवल धनी वर्गों के लिए सुलभ।
  • प्रशासन में भेदभाव: खेल संगठनों में योग्यता के बजाय सामाजिक या आर्थिक स्थिति को प्राथमिकता।
  • जागरूकता की कमी: कई समुदायों को खेल अवसरों और उनके लाभों की जानकारी नहीं होती।
  • न्यायपालिका की सीमा: कोर्ट ने कहा कि वह समुदायों को एकजुट होने का "आदेश" नहीं दे सकता; यह एकता जीवंत अनुभवों और साझा प्रयासों से ही बनती है।

क्या किया जाना चाहिए

  • सामुदायिक संसाधन की मान्यता: केंद्र सरकार को खेल सुविधाओं और अवसरों को सामुदायिक संसाधन के रूप में मान्यता देनी चाहिए, ताकि यह सभी के लिए सुलभ हो।
  • समावेशी खेल प्रशासन: खेल संगठनों में सभी सामाजिक स्तरों के योग्य व्यक्तियों को अवसर देना।
  • आय का पुनर्वितरण: खेल आयोजनों और मीडिया अधिकारों से होने वाली आय को ग्रामीण और कमजोर क्षेत्रों में खेल सुविधाओं के विकास में निवेश करना।
  • किफायती सुविधाएं: खेल प्रशिक्षण और उपकरणों को सस्ता और सुलभ बनाना, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए।
  • जागरूकता और प्रशिक्षण: खेल की एकजुट करने वाली शक्ति को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना।
  • संस्थागत दक्षता: खेल संगठनों को पारदर्शिता, व्यावसायिकता, और विशेषज्ञता के साथ संचालित करना, ताकि खेल का प्रबंधन निष्पक्ष और प्रभावी हो।
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