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भारत में डिजिटल भुगतान अवसंरचना की स्थिति

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।)

संदर्भ 

भारत में डिजिटल भुगतान का सबसे लोकप्रिय माध्यम यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) वर्तमान में लगातार तकनीकी समस्याओं का सामना कर रहा है। 

UPI की कार्यप्रणाली 

  • UPI भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित एक रीयल-टाइम पेमेंट सिस्टम है।
  • यह विभिन्न बैंकों के बीच IFSC या अकाउंट नंबर की आवश्यकता के बिना त्वरित फंड ट्रांसफर की सुविधा देता है।
  • भारत में वर्ष 2024 तक UPI के माध्यम से प्रति दिन 40 करोड़ से अधिक लेन-देन हो रहे थे, जिसमें निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है।
  • यह फिनटेक नवाचार, वित्तीय समावेशन और कैशलेस इकोनॉमी की रीढ़ बन चुका है।

UPI की सुरक्षा विशेषताएँ

दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (Two-Factor Authentication) 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के अनुसार, UPI लेन-देन में दो स्तरों पर प्रमाणीकरण अनिवार्य होता है:

  • पहला स्तर: मोबाइल नंबर आधारित प्रमाणीकरण
    • UPI ऐप केवल उसी मोबाइल नंबर से काम करता है जो बैंक खाते से जुड़ा हो।
    • ऐप इंस्टॉल करते समय SIM और डिवाइस वेरिफिकेशन किया जाता है।
    • यह सुनिश्चित करता है कि केवल पंजीकृत उपयोगकर्ता ही ऐप का प्रयोग कर सके।
  • दूसरा स्तर: UPI पिन (UPI PIN)
    • प्रत्येक लेन-देन के लिए उपयोगकर्ता को एक 4 या 6 अंकों का पिन दर्ज करना होता है।
    • यह पिन केवल उपयोगकर्ता को ही ज्ञात होता है और लेन-देन के अंतिम सत्यापन का काम करता है।
    • बिना पिन के कोई ट्रांजेक्शन संभव नहीं।

एन्क्रिप्शन और डाटा सुरक्षा

  • UPI ट्रांजेक्शन में उपयोग किए गए सभी डाटा को एंड-टू-एंड एन्क्रिप्ट किया जाता है।
  • डाटा क्लियर टेक्स्ट में कभी ट्रांसफर नहीं होता, जिससे मिडलमैन अटैक असंभव हो जाता है।

डिवाइस बाइंडिंग (Device Binding)

  • एक बार किसी डिवाइस पर UPI ऐप रजिस्टर होने के बाद, उसी डिवाइस से अगली बार लॉगिन संभव होता है।
  • इससे फिशिंग या डुप्लिकेट लॉगिन की संभावना कम हो जाती है।

टाइम आउट और लिमिटेड रिट्राइज़

  • अगर UPI PIN गलत डाला गया, तो अधिसंख्य प्रयासों के बाद लॉकिंग मैकेनिज्म सक्रिय हो जाता है।
  • साथ ही प्रत्येक ऐप में सत्र (session) टाइम आउट की सुविधा होती है।

बायोमेट्रिक और फेस ऑथेंटिकेशन (वैकल्पिक)

  • कुछ ऐप्स जैसे PhonePe और Google Pay अब बायोमेट्रिक (फिंगरप्रिंट/फेस ID) आधारित प्रमाणीकरण की सुविधा भी दे रहे हैं (विशेष रूप से Android/iOS पर), जिससे अतिरिक्त सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

हालिया चुनैतियाँ

  • अत्यधिक लोड / स्केलेबिलिटी की चुनौती 
    • त्योहारों या सेल सीजन में ट्रैफिक में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण सर्वर ओवरलोड हो जाते हैं।
    • कई बैंक अभी भी आधुनिक क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह अपनाने में पीछे हैं।
  • बैंकों की तकनीकी तैयारी में असमानता
    • कुछ छोटे और मध्यम बैंकों की IT प्रणाली कमजोर है, जिससे वे ट्रैफिक को हैंडल नहीं कर पाते।
    • NPCI द्वारा दिए गए SLA (Service Level Agreements) का पालन नहीं किया जाता।
  • API फेल्योर और नेटवर्क कंजेशन : बैंक और UPI ऐप्स के बीच एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस (API) में कमी से लेन-देन अटक जाते हैं।
  • साइबर सुरक्षा के खतरे और रोकथाम उपाय : बढ़ते ट्रांजेक्शन के साथ फ्रॉड के मामलों में वृद्धि हुई है, जिससे बैंक सतर्क हो गए हैं और अतिरिक्त सुरक्षा जांचें लगाई जाती हैं, जिससे ट्रांजेक्शन धीमे होते हैं।

समाधान 

NPCI का नया निर्देश

  • NPCI ने बैंकों को IT इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड करने के निर्देश दिए हैं।
    • बैंकों को UPI ट्रैफिक का कम से कम 30% लोड एक वैकल्पिक बैंक के माध्यम से रूट करने का निर्देश दिया गया है।

मल्टी-बैंकिंग मोड का प्रोत्साहन

UPI ऐप्स को एक से अधिक बैंकों से कनेक्ट होने का निर्देश दिया गया है ताकि एकल बैंक पर निर्भरता कम हो।

टेक्नोलॉजिकल अपग्रेड और क्लाउड ट्रांजिशन

बैंकों को अपने सर्वर को क्लाउड-आधारित समाधान पर लाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

इसे भी जानिए

NPCI

  • पूरा नाम: National Payments Corporation of India
  • स्थापना वर्ष: 2008
  • मुख्यालय: मुंबई, महाराष्ट्र
  • संस्थापक: RBI और भारतीय बैंक संघ (IBA)
  • विधिक स्थिति : सेक्शन 8 के अंतर्गत एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी

निष्कर्ष

भारत का UPI प्लेटफॉर्म एक वैश्विक मॉडल बन चुका है, परंतु उसकी तकनीकी स्थिरता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। नीति-निर्माताओं, बैंकों और टेक कंपनियों के सामूहिक प्रयासों से ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि UPI एक सुलभ, विश्वसनीय और तेज़ डिजिटल भुगतान प्रणाली बना रहे।

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