New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

भारत में मातृ मृत्युदर की स्थिति

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय)

संदर्भ 

भारत में मातृ मृत्युदर (MMR) में विगत कुछ वर्षों में गिरावट आई है। यह दर वर्ष 2017-19 में 103 से कम होकर वर्ष 2019-21 में 93 पहुँच गई है।

क्या है मातृ मृत्युदर

मातृ मृत्युदर प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु का अनुपात है। मातृ मृत्यु से तात्पर्य गर्भवती होने के दौरान या गर्भावस्था की समाप्ति के 42 दिनों के भीतर किसी महिला की मृत्यु से है। 

राज्यवार स्थिति 

मातृ मृत्युदर की राज्यवार स्थिति को स्पष्ट करने के लिए राज्यों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है :

सशक्त कार्यवाई समूह 

इस समूह में वे राज्य शामिल है जहाँ मातृ मृत्युदर उच्च है। इनमें बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व असम जैसे राज्य शामिल हैं। 

दक्षिण के राज्य 

इन राज्यों में अपेक्षाकृत निम्न मातृ मृत्युदर दर्ज़ की गई है। इनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य शामिल हैं। 

अन्य राज्य 

इसमें शेष राज्य एवं अन्य केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं। 

भारत में मातृ मृत्युदर के लिए उत्तरदायी कारक 

  • परिवार के सदस्यों का शैक्षिक स्तर और उनकी वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण आसन्न खतरे की पहचान में देरी 
  • स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने में परिवहन की समस्या 
  • स्वास्थ्य सुविधाओं, जैसे- अस्पतालों में विशेष देखभाल शुरू करने में विलंब
  • कुशल स्वास्थ्य कर्मियों की कमी: विशेष रूप से प्रसूति विशेषज्ञ, एनेस्थेटिस्ट एवं धात्री
  • ब्लड बैंकों की कमी 
  • गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान उच्च रक्तचाप संबंधी विकार
  • अवांछित गर्भधारण एवं नकली डॉक्टरों द्वारा गर्भपात की अपरिपक्व तकनीकें 
  • कुछ राज्यों में मलेरिया, क्रोनिक मूत्र पथ संक्रमण एवं तपेदिक जैसी संबंधित बीमारियों वाले उच्च जोखिम कारक 
  • मातृ मृत्यु को रोकने में चुनौतियाँ
    • दूरदराज एवं आदिवासी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे का अभाव 
    • सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ: कम आयु में विवाह, शिक्षा की कमी और महिलाओं की स्वायत्तता में कमी 
    • निजी स्वास्थ्य सेवा बोझ: निजी सेटअप में उपचार में आउट ऑफ़ पॉकेट व्यय में वृद्धि
    • मातृ मृत्यु की कम रिपोर्टिंग से लक्षित हस्तक्षेप में बाधा 

मातृ मृत्युदर को कम करने के सरकारी प्रयास

  • जननी सुरक्षा योजना (JSY) : संस्थागत प्रसव के लिए नकद प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  • जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) : निःशुल्क प्रसव, दवाएँ, निदान एवं परिवहन सुनिश्चित करता है।
  • लक्ष्य कार्यक्रम : प्रसव कक्षों में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करता है।
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) : सुनिश्चित, व्यापक प्रसवपूर्व देखभाल प्रदान करता है।
  • मातृ मृत्यु निगरानी एवं प्रतिक्रिया (MDSR) : मातृ मृत्यु की रिपोर्टिंग एवं प्रतिक्रिया
  • 108 एम्बुलेंस सेवा 

आगे की राह 

  • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना
  • कुशल प्रसव परिचारिकाओं के साथ उप-केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) को कार्यात्मक बनाना
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में  24x7 आपातकालीन प्रसूति देखभाल सुनिश्चित करना
  • सुरक्षित, सम्मानजनक मातृ देखभाल प्रदान करने के लिए पेशेवर धात्री को प्रशिक्षित व तैनात करना
  • उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की वास्तविक समय निगरानी के लिए प्रजनन व बाल स्वास्थ्य (RCH) पोर्टल जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करना
  • पोषण अभियान एवं साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण जैसी योजनाओं को मजबूत करना
  • सामाजिक वर्जनाओं को संबोधित करना, विवाह एवं पहली गर्भावस्था में देरी को प्रोत्साहित करना तथा मातृ स्वास्थ्य में पुरुष भागीदारी को बढ़ावा देना
  • विनियमित एवं सस्ती सेवा वितरण के माध्यम से निजी क्षेत्र के बुनियादी ढांचे का लाभ उठाना
  • मातृ मृत्यु की वास्तविक समय पर ऑडिट करना और जिला स्तर पर जवाबदेही तय करना
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X