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सुक्रालोज़

  प्रारंभिक परीक्षा 

(विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

हाल ही में, भारत में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, सुक्रालोज के उपयोग के प्रभावों की जांच में ग्लूकोज (HbA1c) के स्तर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पाया गया और शरीर के वजन, कमर की मोटाई और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) में सुधार के संकेत मिले हैं।

सुक्रालोज़ के बारे में 

  • क्या है : चीनी (सुक्रोज) के स्थान पर प्राय: उपयोग किया जाने वाला एक कृत्रिम स्वीटनर या मधुरक
  • खोज : वर्ष 1976 में टेट एंड लाइल कंपनी द्वारा 
    • इसे आमतौर पर स्प्लेंडा ब्रांड नाम से बेचा जाता है।
  • अन्य कृत्रिम मधुरक : एस्पार्टेम, सैकरिन एवं स्टीविया
  • विशेषता : अन्य कृत्रिम मधुरकों के विपरीत सुक्रालोज़ से दांतों की कैविटी में वृद्धि न होना
  • तुलना : सुक्रोज (टेबल शुगर) से लगभग 600 गुना अधिक मीठा 
  • लाभ : इसमें शून्य कैलोरी होने के कारण इसके उपभोग से वजन का न बढ़ना  

उपयोग 

  • चीनी के विकल्प के रूप में सुक्रालोज का उपयोग कैलोरी में वृद्धि किए बिना या रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाए बिना खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों को मीठा करने के लिए किया जाता है। 
  • इसका उपयोग अपने कैलोरी उपभोग को कम करने, रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने या अपने वजन को नियंत्रित करने वाले लोगों द्वारा किया जाता है।
  • हालाँकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गैर-मधुमेह रोगियों को शरीर के वजन को नियंत्रित करने के लिए कृत्रिम मधुरक का उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी जारी की है।

खतरा

  • सुक्रालोज़ आंतों के माइक्रोबायोटा को संशोधित कर सकता है और इनमें से कुछ अच्छे बैक्टीरिया को खत्म कर सकता है, जिससे लीवर जैसे आंतरिक अंगों में सूजन हो सकती है।
    • पेट में मौजूद अनुकूल बैक्टीरिया संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, जो प्रतिरक्षा तंत्र, हृदय, वजन एवं अन्य स्वास्थ्य पहलुओं को लाभ पहुंचाते हैं।
  • सुक्रालोज़ पाचन तंत्र में हार्मोन के स्तर को बदल सकता है, जिससे असामान्यताएं हो सकती हैं जो मोटापे या टाइप 2 मधुमेह जैसे चयापचय संबंधी विकारों में योगदान कर सकती हैं।
  • सुक्रालोज़ के कारण होने वाले चयापचय परिवर्तन से ग्लूकोज असहिष्णुता (Glucose Intolerance) हो सकती है, जिससे मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
  • सुक्रालोज़ से खाना बनाना भी खतरनाक हो सकता है।
    • उच्च तापमान पर खाना पकाने या बेकिंग के दौरान सुक्रालोज़ विघटित हो सकता है, जिससे संभावित रूप से विषाक्त क्लोरीनयुक्त यौगिक बन सकते हैं।
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