चर्चा में क्यों?
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर तमिलनाडु सरकार ने धनुषकोडी में एक बड़ा फ्लेमिंगो अभयारण्य स्थापित किया है, जो राज्य की सतत पर्यावरणीय नीति और जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

धनुषकोडी फ्लेमिंगो अभयारण्य के बारे में
- इसका आकार 524.7 हेक्टेयर है।
- यह मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा
- पारिस्थितिक तंत्र:
- मैंग्रोव वन
- मडफ्लैट्स (कीचड़दार तटीय क्षेत्र)
- ये समुद्री जीवन और पक्षियों के घोंसले के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- उद्देश्य
- प्रवासी पक्षियों के आवासों की सुरक्षा
- क्षेत्रीय जैव विविधता को बढ़ावा देना
- समुद्री जीवन, घोंसले स्थलों और पारिस्थितिकी तंत्रों का संरक्षण
धनुषकोडी का पारिस्थितिक महत्व
- धनुषकोडी मध्य एशियाई फ्लाईवे के किनारे स्थित है।
- यह प्रवासी मार्ग यूरेशिया और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच यात्रा करने वाले पक्षियों के लिए आवश्यक है।
- हाल के सर्वेक्षणों में 10,700 से अधिक आर्द्रभूमि पक्षियों को दर्ज किया गया है, जिनमें 128 प्रजातियाँ शामिल हैं।
- उल्लेखनीय प्रजातियों में ग्रेटर और लेसर फ्लेमिंगो, बगुले और सैंडपाइपर शामिल हैं।
- अभयारण्य के मैंग्रोव तटीय कटाव के खिलाफ प्राकृतिक बाधाओं के रूप में कार्य करते हैं और वन्यजीवों के लिए प्रजनन स्थल प्रदान करते हैं।
सरकारी संरक्षण पहलें
- रैप्टर्स रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना:
- चील और गिद्ध जैसे शिकारी पक्षियों की रक्षा
- समुदाय में जागरूकता फैलाना
- सरकारी आदेश: अभयारण्य के पारिस्थितिक महत्व को मान्यता
इको-टूरिज्म और स्थानीय लाभ
- पारिस्थितिक पर्यटन को बढ़ावा
- स्थानीय समुदायों के लिए रोज़गार के अवसर
- संरक्षण और आर्थिक विकास का संतुलन
प्रश्न. विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर किस राज्य सरकार ने धनुषकोडी में एक फ्लेमिंगो अभयारण्य स्थापित किया है?
(a) केरल
(b) आंध्र प्रदेश
(c) तमिलनाडु
(d) कर्नाटक
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