(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता) |
संदर्भ
भारत सरकार ने डिजिटल सेवा प्रदाताओं द्वारा मोबाइल नंबर सत्यापन अनिवार्य करने के लिए दूरसंचार (दूरसंचार साइबर सुरक्षा) संशोधन नियम, 2025 जारी किए हैं। हालाँकि, कई डिजिटल फर्म्स ने क्षेत्राधिकार के अतिक्रमण, अनुपालन लागत एवं तकनीकी व्यवहार्यता को लेकर चिंताएँ व्यक्त की हैं।
मसौदा नियमों के प्रमुख प्रावधान
- दूरसंचार (दूरसंचार साइबर सुरक्षा) संशोधन नियम, 2025 का मसौदा दूरसंचार ऑपरेटरों को निजी संस्थाओं से प्रत्येक सत्यापन अनुरोध पर ₹3 तक वसूलने और बदले में फ़ोन नंबर के वैध ग्राहक के नाम की पुष्टि करने की अनुमति देगा।
- मसौदा नियम उपयोगकर्ताओं को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर शामिल करने से पहले दूरसंचार ऑपरेटरों के माध्यम से उनके मोबाइल नंबरों का सत्यापन अनिवार्य करता है।
- इसका उद्देश्य प्रतिरूपण एवं वित्तीय घोटालों सहित धोखाधड़ी वाली ऑनलाइन गतिविधियों पर अंकुश लगाना है।
- डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को मोबाइल नंबरों की सक्रिय स्थिति और प्रामाणिकता सत्यापित करनी होगी।
डिजिटल फर्म्स द्वारा प्रस्तुत मुद्दे
क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण
- वैश्विक फर्म्स का तर्क है कि यदि वे भारतीय उपयोगकर्ताओं को सेवा प्रदान करती हैं तो ये नियम अन्य क्षेत्रों पर भी लागू हो सकते हैं।
- यह डाटा संप्रभुता एवं अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के साथ टकराव की स्थिति उत्पन्न करता है।
उच्च अनुपालन भार
- निरंतर सत्यापन से विशेष रूप से स्टार्टअप्स एवं छोटे हितधारकों पर वित्तीय व तकनीकी बोझ पड़ सकता है।
- मसौदा नियम में इस बारे में स्पष्टता का अभाव है कि सत्यापन का व्यय ‘दूरसंचार ऑपरेटर’ या ‘डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म’ में से कौन सहन करेगा।
डाटा गोपनीयता एवं सुरक्षा
- तीसरे पक्ष के साथ मोबाइल नंबर सत्यापन डाटा साझा करने से उपयोगकर्ता की गोपनीयता भंग हो सकती है।
- इससे डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के प्रावधानों का खंडन हो सकता है।
परिचालन संबंधी चुनौतियाँ
- दूरसंचार ऑपरेटरों की ओर से रीयल-टाइम सत्यापन के लिए कोई मानक तंत्र उपलब्ध नहीं है।
- सत्यापन में त्रुटि या देरी की स्थिति में वैध उपयोगकर्ताओं के लिए सेवा बाधित होने का जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
सरकार का तर्क
- यह मसौदा नियम डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- यह पहचान धोखाधड़ी, साइबर अपराधों से निपटने में मदद करने के साथ ही जवाबदेही में सुधार करता है।
- यह प्रस्तावित डिजिटल इंडिया अधिनियम सहित व्यापक नियामक कदमों का एक हिस्सा है।
आगे की राह
- सभी हितधारकों को शामिल करते हुए एक परामर्शात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता
- सत्यापन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) का निर्माण
- डाटा सुरक्षा कानूनों और व्यापार सुगमता के साथ संरेखण सुनिश्चित करना
निष्कर्ष
मोबाइल नंबर सत्यापन का उद्देश्य एक सुरक्षित डिजिटल स्थान सुनिश्चित करना है किंतु सरकार को नवाचार को बाधित होने से बचाने के लिए इसे व्यवसायिक हितों, गोपनीयता सुरक्षा एवं अनुपालन की व्यवहार्यता के साथ संतुलित करना होगा।