लोकतंत्र की वैश्विक स्थिति:- चुनावों की वैधता और जनता का विश्वास
हाल ही में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस (International IDEA) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट “द ग्लोबल स्टेट ऑफ डेमोक्रेसी 2024: स्ट्रेंथनिंग द लेजिटिमेसी ऑफ इलेक्शंस इन ए टाइम ऑफ रेडिकल अनसर्टेनिटी” जारी की।
यह रिपोर्ट वैश्विक लोकतंत्र की वर्तमान स्थिति और चुनाव प्रणालियों के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि लोकतंत्र केवल मतदान के माध्यम से नहीं बल्कि जनता के विश्वास, स्वतंत्र संस्थाओं और पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से मजबूत होता है।
पिछले कुछ वर्षों में चुनावों की वैधता और लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट वैश्विक स्तर पर चिंताजनक रूप से बढ़ रही है।
निर्वाचन प्रणालियों के सामने चुनौतियां
मतदाता भागीदारी में गिरावट
वर्तमान में विश्व के विभिन्न देशों में मतदाता भागीदारी घटकर 55.5% हो गई है, जबकि 15 साल पहले यह लगभग 65.2% थी।
यह गिरावट विवादास्पद चुनावों, राजनीतिक अस्थिरता और मतदाताओं में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति निराशा को दर्शाती है।
उदाहरण के लिए, कई विकसित और विकासशील देशों में मतदाता सुस्ती और चुनाव बहिष्कार की प्रवृत्ति बढ़ी है।
चुनाव की सत्यनिष्ठा कमजोर होना
चुनाव में धोखाधड़ी, मतदाताओं का उत्पीड़न, राजनीतिक हस्तक्षेप और अनियमितताएं लोकतंत्र की नींव को कमजोर करती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 39 देशों की क्रेडिबल इलेक्शंस इंडेक्स में गिरावट आई है।
इनमें से 38 देशों में सरकार की धमकी की प्रवृत्ति बढ़ी और 33 देशों में चुनाव में अनियमितताएं देखी गईं।
यह दर्शाता है कि लोकतांत्रिक संस्थाएं केवल कानूनों से नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक निष्पक्षता से भी मजबूत होती हैं।
लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट
2023 में दुनिया के लगभग 47% देशों में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट दर्ज की गई।
इसमें अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता में कमी, न्यायिक संस्थाओं पर दबाव और नागरिक अधिकारों का ह्रास शामिल है।
नागरिक स्वतंत्रताओं पर खतरा
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस स्वतंत्रता मतदान की गुणवत्ता के लिए आवश्यक हैं।
अफगानिस्तान, बेलारूस, बुर्किना फासो, म्यांमार और निकारागुआ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में तीव्र गिरावट देखी गई।
यूरोप के उच्च प्रदर्शन वाले देशों जैसे इटली और स्लोवाकिया में मीडिया पर दबाव बढ़ा है।
डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग
सामाजिक और डिजिटल मीडिया के माध्यम से चुनावों में गलत सूचना, डीपफेक वीडियो और ऑनलाइन दुष्प्रचार फैलाकर मतदाताओं का विश्वास कमजोर किया जा रहा है।
यूरोप में राजनेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ जासूसी सॉफ्टवेयर का उपयोग बढ़ा है।
जनता का लोकतंत्र में विश्वास कम होना
अवसरवादी राजनेताओं द्वारा फैलाए गए झूठे नैरेटिव, राजनीतिक ध्रुवीकरण और गलत सूचना लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास को कमजोर करती है।
ब्राजील, अमेरिका, फ्रांस और भारत जैसे देशों में यह प्रवृत्ति देखी गई।
चुनावों में जनता का विश्वास बढ़ाने के उपाय/सुझाव
जनता की राय को शामिल करना
चुनाव सुधारों में जनता की भागीदारी आवश्यक है। मतदाताओं के संदेहों को दूर करना, उनकी राय को शामिल करना और पारदर्शी संवाद स्थापित करना लोकतंत्र को मजबूत करता है।
डिजिटल खतरों से सुरक्षा
डिजिटल माध्यमों के दुरुपयोग से निपटने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय जरूरी हैं। इसमें नागरिक अधिकारों की सुरक्षा, AI के उपयोग के नियम, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही और डेटा संरक्षण कानून शामिल हैं। उदाहरण:
यूरोपीय संघ का डिजिटल सर्विसेज एक्ट (Digital Services Act)
ब्राजील का मार्को सिविल (Marco Civil da Internet)
कनाडा का डिजिटल चार्टर
जागरूकता अभियान
चुनाव प्रबंधन संस्थाओं (EMBs) को मतदाताओं को शिक्षित करना चाहिए।
शैक्षिक संस्थानों, स्थानीय चुनाव कार्यकर्ताओं और मीडिया के माध्यम से मतदाता जागरूकता बढ़ाई जा सकती है।
उदाहरण: फिलीपींस में स्पष्ट संवाद और जागरूकता कार्यक्रम से मतदान प्रक्रिया में सफलता मिली।
हितधारकों को जोड़ना
लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए व्यापक परामर्श और राजनीतिक सहमति आवश्यक है।
प्रायोगिक अध्ययनों के आधार पर सुधार लागू करने से चुनाव प्रणाली में विश्वास बढ़ता है।
पारदर्शिता बढ़ाना
चुनाव प्रबंधन संस्थाओं को मतदान प्रक्रियाओं पर साक्ष्य-आधारित और पारदर्शी जानकारी प्रदान करनी चाहिए।
इसमें सिविल सोसाइटी, मीडिया और न्यायिक संस्थाओं की भागीदारी जरूरी है।
उदाहरण: नाइजीरिया में टीवी पर प्रतिदिन चुनाव संबंधी ब्रीफिंग का प्रसारण।
गलत सूचना से निपटना
झूठे नैरेटिव को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई और मीडिया फैक्ट-चेकिंग का उपयोग किया जाना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षण
चुनाव की वैधता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र या क्षेत्रीय विशेष प्रतिवेदकों की नियुक्ति और स्वतंत्र चुनाव लोकपालों पर विचार किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
वैश्विक लोकतंत्र आज कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है।
मतदाता भागीदारी में कमी, लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास, डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग और नागरिक स्वतंत्रताओं पर खतरा लोकतंत्र की मजबूती के लिए संकेत हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सर्वसुलभ चुनाव सुधार, डिजिटल सुरक्षा उपाय, मतदाता जागरूकता, पारदर्शी प्रक्रियाएं और अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षण आवश्यक हैं।
सिर्फ कानून और नियमों से लोकतंत्र नहीं मजबूत होता; जनता का विश्वास, संस्थाओं की निष्पक्षता और राजनीतिक इच्छाशक्ति इसे स्थायित्व देती है।
अगर ये उपाय समय पर और प्रभावी ढंग से लागू किए जाएँ, तो लोकतंत्र और चुनावों की वैधता को पुनः मजबूत किया जा सकता है।