New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

महामारियों को रोकने में गिद्धों की भूमिका

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

विभिन अध्ययनों के अनुसार दक्षिण एशिया में जन स्वास्थ्य के रक्षकों में से एक ‘गिद्ध’ प्रकृति का सबसे कुशल अपशिष्ट प्रबंधक है।

रोगों के प्रसार को कम करने में सहायक गिद्ध 

  • गिद्ध पशुओं के शवों को तेज़ी से खाकर प्रकृति की सफाई कर्मचारियों की तरह काम करते हैं। 
  • उनके अत्यधिक अम्लीय पेट एंथ्रेक्स, रेबीज़ एवं बोटुलिनम टॉक्सिन जैसे घातक रोगाणुओं को निष्क्रिय कर देते हैं। 
    • इससे ये आवारा कुत्तों, पशुओं एवं मनुष्यों में नहीं फैल पाते हैं। यह प्राकृतिक शव निपटान प्रणाली जूनोटिक प्रसार के विरुद्ध एक प्रथम अवरोधक के रूप में कार्य करती है।

गिद्धों में गिरावट का जन स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • 1990-2000 के दशक में डाइक्लोफेनाक विषाक्तता के कारण भारत में गिद्धों की आबादी 95% से अधिक घट गई।
  • इससे शवों का निपटान धीमा होने से जंगली कुत्तों एवं चूहों की आबादी में वृद्धि हुई जिससे रेबीज व जूनोटिक रोगों के मामले बढ़े।
  • एक अध्ययन का अनुमान है कि भारत ने गिद्धों की संख्या में कमी (1990-2006) से जुड़े अतिरिक्त स्वास्थ्य बोझ पर अरबों डॉलर व्यय किए जो जैव विविधता के नुकसान की मूक लागत को रेखांकित करता है।

गिद्ध संरक्षण की निम्न लागत 

  • निवारक संरक्षण (प्रजनन कार्यक्रम, विषैली NSAIDs पर प्रतिबंध, गिद्ध-सुरक्षित क्षेत्र) एक कम लागत वाला हस्तक्षेप है।
  • रेबीज टीकाकरण, कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण और प्रकोप प्रबंधन की लागत संरक्षण व्यय से कहीं अधिक है।
    • भारत में रेबीज नियंत्रण पर सालाना 2,000 करोड़ से अधिक खर्च होता है, जबकि गिद्ध संरक्षण परियोजनाएँ इसके एक अंश पर चलती हैं।

भारत में गिद्धों की आबादी  

  • भारत की गिद्ध आबादी मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) का हिस्सा है, जो मध्य एशिया के प्रजनन स्थलों को दक्षिण एशिया के शीतकालीन क्षेत्रों से जोड़ने वाला एक प्रवासी मार्ग है। 
  • यह गलियारा 30 से अधिक देशों में फैला है और प्रतिवर्ष लाखों प्रवासी पक्षी इससे गुज़रते हैं। 
  • जब गिद्ध और अन्य शिकारी पक्षी इस फ्लाईवे पर चलते हैं तो वे सीमाओं के पार पारिस्थितिक तंत्रों (और रोग जोखिमों) को जोड़ते हैं। 
  • इस फ्लाईवे पर संरक्षण को महामारी की रोकथाम के साथ जोड़ने से वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को मज़बूत करते हुए बड़े पैमाने पर जोखिमों का समाधान करने का एक अनूठा अवसर मिलता है।

गिद्ध संरक्षण के समक्ष चुनौतियाँ 

  • संरचनात्मक और वित्तीय संसाधन की कमी
  • वैश्विक स्तर पर अपर्याप्त वित्तपोषण
  • राष्ट्रीय वन हेल्थ रणनीतियों में सीमित एकीकरण 
  • बुनियादी ढाँचे से जुड़े जोखिम: विशेष रूप से बिजली की लाइनों से करंट लगने और जहरीली पशु चिकित्सा दवाओं से विषाक्तता अनियंत्रित रूप से जारी हैं।

गिद्ध संरक्षण में समुदाय की भूमिका

  • पशु चिकित्सा में विषैली NSAIDs के उपयोग की रिपोर्ट करना और उसे रोकना
  • गिद्धों के लिए सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराने के लिए शवों के ढेर (जटायु रेस्टोरेंट) स्थापित करना
  • SAVE (एशिया के गिद्धों को विलुप्त होने से बचाना) कार्यक्रम के अंतर्गत जागरूकता अभियानों में भाग लेना
  • स्थानीय सहभागिता से निगरानी सुनिश्चित करना और विषाक्तता को कम करना तथा पारिस्थितिक-सांस्कृतिक गौरव को बढ़ावा देन 

आगे की राह 

  • आवासों, शवों के ढेरों और अतिप्रवाह हॉटस्पॉट का मानचित्रण करने के लिए राष्ट्रव्यापी उपग्रह टेलीमेट्री
  • वास्तविक समय जोखिम विश्लेषण के लिए वन्यजीव, पशुधन एवं मानव स्वास्थ्य डाटा को एकीकृत करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों के अनुरूप एक निर्णय सहायता प्रणाली (DSS)
  • पर्यावरण, पशु चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों को जोड़ने वाले वन हेल्थ फ्रेमवर्क के तहत मज़बूत क्रॉस-सेक्टर समन्वय 
  • प्रवासी प्रजाति अभिसमय के तहत प्रतिबद्धताओं एवं मज़बूत क्षेत्रीय रोग तैयारी के अनुरूप CAF के माध्यम से सीमा पार सहयोग
  • महिलाओं, युवाओं एवं स्थानीय समूहों को निगरानी व जागरूकता में अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के रूप में सशक्त बनाने वाला सामुदायिक नेतृत्व
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X