(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक सामाजिक मुद्दे) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
- क्षय रोग (TB) दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, TB से प्रतिवर्ष लाखों लोग प्रभावित होते हैं।
- हाल के वर्षों में मॉलिक्यूलर डायग्नॉस्टिक तकनीक, जैसे- भारत में विकसित Truenat, ने TB नियंत्रण में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं।
- इस वर्ष भारत की कंपनी Molbio Diagnostics को Kochon Prize से सम्मानित किया गया जिसने TB उन्मूलन के वैश्विक प्रयासों में भारत की निर्णायक भूमिका को उजागर किया है।
क्षय रोग (TB) के बारे में
- TB एक संक्रामक बैक्टीरियल बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) के कारण होती है।
- यह मुख्यत: फेफड़ों को प्रभावित करती है किंतु शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है।
- इसके सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, वजन कम होना और कमजोरी शामिल हैं। दवा-प्रतिरोधी TB (Drug-Resistant TB) एक बड़ी चुनौती है और उपचार को जटिल बनाती है।
TB उन्मूलन के वैश्विक प्रयास
- वैश्विक स्तर पर TB उन्मूलन के लिए तीन प्रमुख बातों पर जोर दिया जा रहा है:
- तेज एवं सटीक निदान (मॉलिक्यूलर टेस्टिंग)
- समय पर उपचार की शुरुआत
- उच्च जोखिम वाले समुदायों तक पहुँच
- इसके लिए दुनियाभर में प्वाइंट-ऑफ-केयर (POC) डायग्नॉस्टिक मशीनें तेजी से अपनाई जा रही हैं।
- नाइजीरिया, तंज़ानिया एवं मोज़ाम्बिक जैसे देशों में Truenat मशीनों के उपयोग से TB और रिफैम्पिसिन-प्रतिरोधी TB की पहचान में तेज वृद्धि हुई।
- बच्चों में TB पहचान के लिए मल-आधारित परीक्षण (Stool-based Testing) जैसी नई विधियों ने निदान को आसान बनाया है।
- इस तकनीकी विकास ने TB नियंत्रण को प्रयोगशालाओं से बाहर निकालकर सीधे रोगी तक पहुंचाया है जो एक बड़ी उपलब्धि है।
WHO की पहल
- WHO ने TB उन्मूलन के लिए कई वैश्विक लक्ष्य निर्धारित किए हैं:
- वर्ष 2035 तक TB मृत्युदर में 95% की कमी
- TB संक्रमण में 90% कमी
- आर्थिक बोझ में भारी कमी
- WHO ने भारत की Truenat जैसी मॉलिक्यूलर डायग्नॉस्टिक्स को वर्ष 2020 में मंजूरी दी, जिसने दुनिया भर में उपयोग का मार्ग प्रशस्त किया।
- WHO की End TB Strategy निम्न स्तंभों पर आधारित है:
- समय पर परीक्षण एवं उपचार
- सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता
- तकनीकी नवाचार एवं शोध
- सामाजिक व आर्थिक निर्धारकों का समाधान
भारत की भूमिका
भारत विश्व के कुल TB बोझ का लगभग 25% वहन करता है, इसलिए TB उन्मूलन में भारत की भूमिका निर्णायक है।
- तकनीकी नवाचार
- Truenat, पोर्टेबल PCR मशीन, डिजिटल तकनीकी उपकरण जैसे नवाचारों से TB प्रबंधन में गति आई।
- Molbio Diagnostics को 2024 में कोचोन पुरस्कार (Kochon Prize) मिलना भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है।
- राष्ट्रीय TB उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP)
- देशभर में हजारों प्वाइंट-ऑफ-केयर मशीनों की स्थापना
- दवा-प्रतिरोधी TB की त्वरित पहचान
- सरकारी व निजी क्षेत्र के बीच सफल साझेदारी
- भारत का वैश्विक प्रभाव
- भारत के उपकरण अफ्रीका, यूरोप एवं एशिया के कई देशों में लगाए जा रहे हैं। मोबाइल TB क्लीनिक और आपात स्थितियों में भारतीय तकनीक विशेष रूप से उपयोगी साबित हुई है।
चुनौतियाँ
- सामाजिक निर्धारक
- कुपोषण भारत में लगभग 40% TB मामलों के लिए जिम्मेदार है।
- गरीबी, असमानता एवं भीड़भाड़ TB प्रसार को बढ़ाते हैं।
- उपचार में बाधाएँ
- दवा-प्रतिरोधी TB का बढ़ना
- दीर्घकालिक उपचार और बीच में उसका छूट जाना
- स्वास्थ्य प्रणाली की चुनौतियाँ
- कई जगहों पर निदान व उपचार सुविधाओं की कमी
- ग्रामीण व दूर-दराज क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुँच
- सामाजिक कलंक (Stigma)
- TB को आज भी समाज में कलंक एवं छिपाकर रखने वाली बीमारी माना जाता है।
- इससे समय पर जाँच व उपचार में देरी होती है।
आगे की राह
- तकनीक का विस्तार
- Truenat जैसी प्वाइंट-ऑफ-केयर प्रणालियों को अधिक व्यापक बनाना
- डिजिटल ट्रैकिंग, ई-अनुपालन (e-adherence) और AI आधारित निदान को बढ़ावा देना
- पोषण एवं सामाजिक सुरक्षा
- कुपोषण दूर करने के लिए लक्षित कार्यक्रम
- TB मरीजों के लिए पोषक आहार, वित्तीय सहायता एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार
- निजी क्षेत्र की मजबूत भागीदारी
- चिकित्सा तकनीक, फार्मा कंपनियाँ और NGOs को TB उन्मूलन मिशन में अधिक शामिल करना
- सामुदायिक जागरूकता
- TB के लक्षण, परीक्षण एवं उपचार के बारे में जन-जागरूकता अभियान
- कलंक एवं गलत धारणाओं को समाप्त करना
- वैक्सीन अनुसंधान
- नई TB वैक्सीन पर शोध में निवेश बढ़ाना
- वैश्विक साझेदारियों के माध्यम से वैक्सीन विकास को तेज करना
निष्कर्ष
TB उन्मूलन केवल चिकित्सीय चुनौती नहीं है बल्कि सामाजिक-आर्थिक असमानता से जुड़ा मुद्दा भी है। भारत के तकनीकी नवाचार विश्वभर में TB निदान एवं उपचार के मार्ग को बदल रहे हैं। किंतु, TB उन्मूलन तब ही संभव होगा जब तकनीक के साथ-साथ पोषण, सामाजिक सुरक्षा, त्वरित उपचार एवं जागरूकता की दिशा में भी समान प्रयास होंगे। TB-मुक्त भारत और TB-मुक्त विश्व की दिशा में अब निर्णायक, समन्वित एवं नवाचारी कदमों की आवश्यकता है।