(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने लर्निंग आउटकम बेस्ड करिकुलम फ्रेमवर्क (LOCF) का ड्राफ्ट जारी किया है। इस नये ढांचे में विभिन्न विषयों के अध्ययन में भारतीय ज्ञान परंपरा और प्राचीन भारतीय दृष्टिकोण को सम्मिलित करने पर विशेष बल दिया गया है।
UGC के ड्राफ्ट LOCF के बारे में
- LOCF का उद्देश्य उच्च शिक्षा को परिणाम-आधारित एवं ज्ञान-समृद्ध बनाना है।
- इसके तहत पाठ्यक्रम इस प्रकार तैयार किया गया है कि विद्यार्थी न केवल विषय का व्यावहारिक और सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करें, बल्कि उसमें भारतीय दृष्टिकोण की समझ भी विकसित हो।
विभिन्न विषयों में LOCF के मुख्य बिंदु
- गणित (Mathematics): मंदिर वास्तुकला, मंडला ज्यामिति, यंत्र, रंगोली एवं कोलम जैसी भारतीय कलाओं को एल्गोरिदमिक आर्ट के रूप में सम्मिलित किया गया है। प्राचीन भारतीय गणितज्ञों के योगदान जैसे अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति एवं कलन पर बल दिया गया है।
- वाणिज्य (Commerce): कौटिल्य का अर्थशास्त्र, भारतीय दर्शन, शुभ-लाभ की अवधारणा और रामराज्य जैसे मूल्यों को कॉर्पोरेट गवर्नेंस व CSR से जोड़ा गया है।
- अर्थशास्त्र (Economics): धर्मिक विचारधारा में संपत्ति की अवधारणा, दान की परंपरा, श्रम नीति, व्यापार नैतिकता और स्थानीय विनिमय प्रणाली का अध्ययन शामिल किया गया है।
- रसायन (Chemistry): पारंपरिक पेय (जैसे- कांजी, महुआ, टोडी) की रासायनिक प्रक्रिया और परमाणु सिद्धांत पर प्राचीन भारतीय दृष्टिकोण को शामिल किया गया है।
- मानवशास्त्र (Anthropology): चरक, सुश्रुत, बुद्ध व महावीर जैसे विचारकों के सिद्धांतों को शामिल कर मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों पर ध्यान दिया गया है।
प्राचीन भारतीय ज्ञान के लिए नई पहल
- ड्राफ्ट LOCF का केंद्रीय तत्व है- भारतीय ज्ञान परंपरा का पुनर्पाठ।
- यह पहल केवल सांस्कृतिक गौरव को बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि आधुनिक शिक्षा को भारतीय संदर्भ में अधिक प्रासंगिक बनाने का प्रयास है।
महत्व
- भारतीय ज्ञान परंपरा के वैश्विक योगदान को पहचान मिलना
- विद्यार्थियों में सांस्कृतिक चेतना और नैतिक मूल्यों का विकास
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के उद्देश्य ‘शिक्षा का भारतीयकरण’ और ‘बहुविषयक दृष्टिकोण’ को बढ़ावा
- आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक भारतीय पहचान को मजबूती
आलोचना और चिंताएँ
- कुछ विशेषज्ञ इसे शिक्षा का राजनीतिकरण और सांस्कृतिक पक्षपात मानते हैं।
- बहुविषयक (Multidisciplinary) शिक्षा के लिए पर्याप्त क्रेडिट का अभाव है।
- रोजगार उन्मुख शिक्षा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में संतुलन की चुनौती है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तर्कसंगतता को बनाए रखने की आवश्यकता है।
आगे की राह
- LOCF को संतुलित दृष्टिकोण से लागू करना चाहिए ताकि शिक्षा में भारतीयता और आधुनिकता दोनों का मेल हो।
- विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं विशेषज्ञों से व्यापक परामर्श कर अंतिम ढांचा तैयार हो।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आलोचनात्मक सोच को बनाए रखते हुए ही प्राचीन ज्ञान का अध्यापन किया जाए।
- इसे रोजगारपरक और वैश्विक मानकों के अनुरूप भी बनाना जरूरी है।
निष्कर्ष
UGC का LOCF मसौदा एक ऐसी पहल है जो शिक्षा में भारतीयता और प्राचीन ज्ञान को पुनर्जीवित करने का प्रयास करती है। यह सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय पहचान के लिए महत्वपूर्ण कदम है किंतु इसे आलोचनात्मक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ संतुलित करना आवश्यक है। उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान का समावेश तभी सार्थक होगा जब वह विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी, नैतिक रूप से सशक्त एवं बहुविषयक दृष्टिकोण वाला नागरिक बनाए।