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महिला-स्वामित्व वाले उद्यमों की ऋण तक असमान पहुँच 

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: महिलाओं की भूमिका एवं महिला संगठन, गरीबी और विकासात्मक विषय)

संदर्भ

  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) भारत में रोज़गार सृजन, राजस्व सृजन व वैश्विक पहुँच को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
  •  वर्ष 2024 में MSMEs का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30% योगदान था। चालू वर्ष में इसे बढ़ाकर 35% करने का लक्ष्य है।

भारत में महिला स्वामित्व वाले एम.एस.एम.ई. 

  • यह विशाल क्षेत्र कई महिला-प्रधान उद्यमों के लिए अवसर भी प्रदान करता है। सरकार ने महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई कई वित्तीय योजनाएँ लागू की हैं।
  • भारत में पंजीकृत सभी MSMEs में महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों की हिस्सेदारी लगभग 20%  है।

चुनौतियाँ 

  • भारत में महिला-प्रधान MSMEs के समक्ष आने वाली समस्याओं एवं चुनौतियों का प्राय: अपर्याप्त रूप से समाधान किया जाता है।
  • औपचारिक ऋण तक सीमित पहुँच और बढ़ते ऋण अंतराल की समस्याएँ इन उद्यमियों को अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने से रोकती हैं।
  • यद्यपि MSMEs को पर्याप्त ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना लंबे समय से एक प्रमुख नीतिगत उद्देश्य रहा है, फिर भी कार्यान्वयन के स्तर पर बैंकों व लाभार्थियों के बीच अंतराल बना रहता है।
  • कुल कारोबार में महिलाओं के नेतृत्व वाले एम.एस.एम.ई. केवल 10% हैं, जबकि इस क्षेत्र में कुल निवेश का लगभग 11-15% ही उन्हें प्राप्त होता है।
  • भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की रिपोर्ट्स के अनुसार, महिलाओं को धन वितरण में भारी भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जहाँ ऋण अंतराल लगभग 35% है। 
  • ऋण अंतराल, उधारकर्ता द्वारा अनुरोध की गई ऋण राशि व वास्तव में प्राप्त राशि के बीच के अंतर को दर्शाता है। 

ऋण तक समान पहुँच के लिए प्रयास

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने महिलाओं को ऋण खाते खोलने और अपने एम.एस.एम.ई. को वित्तपोषित करने में सक्षम बनाया है। 
  • पी.एम.एम.वाई. गैर-कृषि क्षेत्र में कार्यरत एम.एस.एम.ई. को बिना किसी जमानत के ऋण प्रदान करता है।
  • वर्ष 2024 तक पी.एम.एम.वाई. के तहत कुल 66,777,013 खातों में से लगभग 64% ऋण खाते महिलाओं के थे। 

उद्यम सहायता पोर्टल 

  • अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों की ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सरकार द्वारा उद्यम सहायता पोर्टल शुरू किया गया है। 
  • यह अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक मान्यता प्रदान करके प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के लिए पात्र बनने में मदद करता है।

स्टैंड-अप इंडिया

  • अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) एवं महिला उद्यमियों को बैंक ऋण उपलब्ध कराकर स्वरोजगार को बढ़ावा देना
  • प्रत्येक बैंक शाखा से कम-से-कम एक SC/ST और एक महिला उद्यमी को ऋण देना
  •  10 लाख से 1 करोड़ तक की ऋण सीमा

TReDS प्लेटफ़ॉर्म

यह डिजिटल प्लेटफॉर्म सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयों को बड़ी कंपनियों और सरकारी विभागों से उनके लंबित भुगतान को जल्दी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है।

आगे की राह 

  • डिजटलीकरण पर बल : ऋण आवेदन प्रक्रियाओं को डिजिटल और सरल बनाना 
  • लिंग-संवेदनशील ऋण मानदंड : बैंक अधिकारियों को पूर्वाग्रहों को दूर करने और महिला उधारकर्ताओं के साथ विश्वास बनाने के लिए प्रशिक्षित करना
  • वित्तीय साक्षरता व मार्गदर्शन : योजनाओं व वित्तीय नियोजन पर जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना 
  • स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों को मज़बूत बनाना : सामूहिक ऋण सहायता प्रदान करने के लिए मौजूदा महिला नेटवर्क का लाभ उठाना 
  • समर्पित महिला एम.एस.एम.ई. डेस्क : बैंकों को महिला उद्यमियों पर केंद्रित हेल्पडेस्क स्थापित करना
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