(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों व राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय) |
संदर्भ
अमेरिका की घोषणा के अनुसार वह ईरान के चाबहार बंदरगाह पर संचालन के लिए वर्ष 2018 में जारी प्रतिबंधों से छूट को रद्द कर देगा। इस प्रकार वर्ष 2018 में भारत को दी गई विशेष छूट भी समाप्त हो जाएगी।
अमेरिका की हालिया घोषणा
- अमेरिकी विदेश विभाग की एक विज्ञप्ति के अनुसार बंदरगाह पर संचालन से जुड़े व्यक्तियों पर ईरान स्वतंत्रता एवं प्रसार-रोधी अधिनियम (Iran Freedom and Counter-Proliferation Act) के तहत प्रतिबंध लगाए जाएँगे।
- अमेरिकी प्रशासन के अनुसार प्रतिबंध के इस अपवाद को रद्द करने का यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ईरानी शासन के विरुद्ध अधिकतम दबाव नीति के अनुरूप है।
चाबहार बंदरगाह के बारे में
- मई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान भारत, ईरान व अफ़ग़ानिस्तान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा (चाबहार समझौता) स्थापित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- चाबहार ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक गहरे पानी का बंदरगाह है। यह भारत का सबसे निकटतम ईरानी बंदरगाह है और खुले समुद्र में स्थित है।
- इससे बड़े मालवाहक जहाजों के लिए आसान एवं सुरक्षित पहुँच उपलब्ध होती है।
- चाबहार का निकटतम भारतीय बंदरगाह गुजरात में कांडला बंदरगाह (550 समुद्री मील) है।
- प्राचीन काल में प्रसिद्ध इतिहासकार अल-बरूनी ने ‘तारीख अल-हिंद’ में लिखा था कि भारत की तटीय सीमा तिज़ से शुरू होती थी, जिसे अब चाबहार के नाम से जाना जाता है।
- चाबहार नाम का अर्थ ‘चार झरने’ है जो इस क्षेत्र की अनुकूल मौसम स्थितियों को दर्शाता है।
भारत का चाबहार बंदरगाह में निवेश
- शिपिंग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2024 में जारी एक नोट के अनुसार, भारत ने वर्ष 2016 से चाबहार परियोजना पर कुल आवंटित ₹400 करोड़ में से लगभग ₹200 करोड़ खर्च किए हैं।
- इस बंदरगाह पर वर्ष 2023-24 में जहाज यातायात में 43% और कंटेनर यातायात में 34% की वृद्धि दर्ज की गई है।
- चाबहार पर प्रतिबंधों से भारत को ईरानी बंदरगाह में अपने निवेश के मामले में नुकसान होगा क्योंकि मई 2025 में भारत एवं ईरान ने चाबहार बंदरगाह संचालन से जुड़े 10-वर्षीय एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- इसके तहत भारत ने ओमान की खाड़ी में स्थित बंदरगाह पर बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 250 मिलियन डॉलर की ऋण सुविधा प्रदान की है।
- इस समझौते के तहत बंदरगाह विकास के लिए अपनी वित्तीय प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप भारत को चाबहार बंदरगाह पर परिचालन अधिकार प्राप्त होता है।
- यह पहली बार है जब भारत किसी विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन करेगा।
चाबहार बंदरगाह का भारत के लिए महत्त्व
- भारत चाबहार बंदरगाह पर निर्मित शाहिद बेहश्ती टर्मिनल के माध्यम से पाकिस्तान को दरकिनार करके अफ़ग़ानिस्तान एवं मध्य एशिया तक माल भेज सकेगा।
- चाबहार अफ़ग़ानिस्तान को मानवीय सहायता पहुँचाने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में भी कार्य करता था।
- इस बहु-विध परिवहन पहल का उद्देश्य भारत, ईरान, रूस एवं मध्य एशिया के बीच संपर्क स्थापित करना था।
- होर्मुज जलडमरूमध्य और हिंद महासागर दोनों से सटा होने के कारण चाबहार भारत को महत्त्वपूर्ण रणनीतिक लाभ प्रदान करता है।
- चाबहार के विकास में भारत की भूमिका को प्राय: ग्वादर बंदरगाह पर पाकिस्तान के संचालन और चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के प्रति एक रणनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है।
- कई संसाधन संपन्न किंतु स्थल-रुद्ध देश मध्य एशियाई देशों (जैसे- कजाकिस्तान व उज्बेकिस्तान) ने हिंद महासागर क्षेत्र और भारतीय बाजार तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए चाबहार का उपयोग करने में गहरी रुचि दिखाई है।
- इस बंदरगाह ने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान मानवीय सहायता की आपूर्ति में भी मदद की है।
- अब तक चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भारत से अफगानिस्तान तक कुल 2.5 मिलियन टन गेहूं और 2,000 टन दालें भेजी जा चुकी हैं।
- वर्ष 2021 में भारत ने बंदरगाह के माध्यम से टिड्डियों के खतरे से लड़ने के लिए ईरान को 40,000 लीटर पर्यावरण अनुकूल कीटनाशक (मैलाथियान) की आपूर्ति की।
अमेरिकी निर्णय का भारत के लिए निहितार्थ
- अमेरिका यह निर्णय चाबहार बंदरगाह पर भारत द्वारा एक वैकल्पिक व्यापारिक मार्ग के रूप में विकसित किए जा रहे शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल की योजनाओं को प्रभावित करेगा।
- यह बंदरगाह पर परिचालन को भी बाधित कर सकता है क्योंकि प्रतिबंधों के कारण अधिक शिपर्स, बीमाकर्ता एवं उपकरण आपूर्तिकर्ता इस परियोजना से दूर रहेंगे।
- यदि भारत चाबहार में अपने परिचालन को समाप्त करने की अमेरिका की मांग के आगे झुकता है तो इसका अर्थ ईरान के साथ उसके संबंधों को प्रतिष्ठा एवं रणनीतिक रूप से क्षति होगी। साथ ही, इस क्षेत्र में भारत की कनेक्टिविटी योजनाओं को भी नुकसान होगा।
- यह पाकिस्तान में चीन द्वारा विकसित ग्वादर बंदरगाह के पास रणनीतिक रूप से स्थित है। अमेरिका द्वारा प्रतिबंध से छूट को निरस्त करना भारत की योजनाओं के लिए एक बड़ा झटका है।
- यह फैसला सीधे तौर पर भारत की सरकारी स्वामित्व वाली इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) को प्रभावित करता है जो वर्ष 2018 से बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल का प्रबंधन कर रही है।