New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM children's day offer UPTO 75% Off, Valid Till : 14th Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM children's day offer UPTO 75% Off, Valid Till : 14th Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

विथूट कार्यक्रम : केरल बीज बॉल पहल

(प्रारंभिक परीक्षा : महत्वपूर्ण योजनाएं एवं कार्यक्रम)

चर्चा में क्यों 

5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर केरल वन विभाग ने एक महत्वाकांक्षी वनीकरण पहल ‘विथूट’ (Vithoot) की शुरुआत की है। 

विथूट कार्यक्रम के बारे में 

  • शाब्दिक अर्थ : ‘विथूट’ का अर्थ है ‘बीजों की वर्षा’ 
  • क्या है : यह कार्यक्रम स्थानीय वन पारिस्थितिकी तंत्र के अनुरूप माइक्रोक्लाइमेट जोन बनाने पर केंद्रित है जो दीर्घकालीन पारिस्थितिकीय संतुलन को स्थापित करने में सहायक होगा।
  • उद्देश्य : राज्य के जंगलों और खाली पड़ी भूमि पर बीज बॉल्स को हवाई माध्यमों से फैलाकर पारिस्थितिक पुनर्स्थापन करना।
  • विशेषताएं 
    • इसके तहत बीजों को मिट्टी और खाद के मिश्रण से तैयार बॉल्स में लपेटकर, ड्रोन या हेलीकॉप्टर से उपयुक्त स्थानों पर डाला जाएगा।
    • यह बीज बॉल्स उन क्षेत्रों में बोए जा रहे हैं जहाँ भूस्खलन, जंगल की आग, छोड़े गए बागान, जलाशयों के कैचमेंट क्षेत्र, बिजली लाइनों के नीचे की भूमि और जनजातीय समुदायों द्वारा कृषि छोड़ने के बाद खाली की गई ज़मीनें हैं।
    • यह योजना न केवल पारिस्थितिकी पुनर्जीवन की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्षों को भी कम करने की रणनीति का हिस्सा है।
  • संभावित लाभ
    • पारिस्थितिक बहाली और जैव विविधता को बढ़ावा
    • जल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना
    • गैर-काष्ठ वन उत्पादों और वन्य फलों की उपलब्धता बढ़ाना
    • समुदायों में पारिस्थितिक जागरूकता और भागीदारी को बढ़ाना

कार्यान्वयन और रणनीति

  • सामुदायिक भागीदारी : स्कूल-कॉलेजों के छात्रों, स्वयंसेवी समूहों और आम नागरिकों को बीज एकत्र करने, बॉल तैयार और वितरित करने में शामिल किया जा रहा है।
  • प्रौद्योगिकी का प्रयोग: ड्रोन, हेलीकॉप्टर और वायुसेना की सहायता से बीज बॉल्स का बड़े पैमाने पर प्रसार।
  • बीज चयन: स्थानीय और क्षेत्र विशेष प्रजातियों का चयन जिनमें फलदार वृक्ष, बांस, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ और भविष्य में दुर्लभ एवं संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
  • स्थल विशेष योजना: विभिन्न पारिस्थितिकी क्षेत्रों के लिए विशिष्ट बीजों का प्रयोग।

कार्यक्रम से संबंधित प्रमुख चिंताएँ

  • बीजों की उपयुक्तता और अनुकूलन : गलत स्थानों पर बीजों का प्रसार क्षेत्रीय पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़ सकता है। 
    • यदि बीज स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए उपयुक्त नहीं हुए, तो वे आक्रामक या विदेशी प्रजातियाँ बन सकती हैं।
  • पर्यावरणीय जोखिम : कुछ बीज बॉल्स में प्रयुक्त बीज नमी के संपर्क में आते ही जल्दी अंकुरित हो सकते हैं, जिससे उनका स्थायित्व प्रभावित होता है। इसके अलावा बीज बॉल्स को ऊँचाई से गिराने से अंकुर नष्ट हो सकते हैं।
  • लंबी अवधि की पारिस्थितिक जाँच का अभाव : दीर्घकालीन प्रभावों का कोई ठोस पूर्वानुमान या अध्ययन मौजूद नहीं है।
    • केरल जैसे जैव विविधता वाले राज्य में अव्यवस्थित बीजारोपण भविष्य में पारिस्थितिक संकट का कारण बन सकता है।

यह भी जानें!

  • भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 के अनुसार, केरल ने वर्ष 2013 के बाद से दर्ज वन क्षेत्रों के बाहर वन क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की है। 
    • वर्ष 2013 और 2023 के बीच, राज्य का कुल वन क्षेत्र भी 133.42 वर्ग किमी बढ़ा, जो 19.99% की वृद्धि है।
  • कुल भौगोलिक क्षेत्र के सापेक्ष अधिकतम वृक्ष आवरण के मामले में केरल 7.48% के साथ तीसरे स्थान पर है।
  • केरल का दर्ज वन क्षेत्र 11,522 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो इसके अधिसूचित भौगोलिक क्षेत्र 38,852 वर्ग किलोमीटर का 29.66% है। 
  • राज्य के मैंग्रोव कवर में मामूली रूप से 0.02 वर्ग किलोमीटर (2021 से) की वृद्धि हुई है, जो अब 9.45 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है, जबकि बांस वाले क्षेत्र में 1.62% की वृद्धि हुई है, जो 2,443 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X