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बायो-इकोनॉमी क्या है? प्रमुख क्षेत्र, महत्व भारत में बायो-इकोनॉमी: वर्तमान स्थिति और विकास

  • बायो-इकोनॉमी का अर्थ है जैविक संसाधनों (Biological Resources) जैसे – पौधे (plants), जानवर (animals), सूक्ष्मजीव (micro-organisms) आदि के वैज्ञानिक ज्ञान के आधार पर टिकाऊ (sustainable) वस्तुएं और सेवाएं (goods and services) तैयार करना और उनका उपयोग करना।
  • यह बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology), बायो-इंजीनियरिंग (Bioengineering) और अन्य वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक जरूरतों को पूरा करने का एक तरीका है।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • नवीकरणीय (Renewable) जैव संसाधनों का उपयोग करना
    • जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) पर निर्भरता को कम करना
    • पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impact) को घटाना
    • सतत विकास (Sustainable Development) को बढ़ावा देना

बायो-इकोनॉमी के प्रमुख क्षेत्र (Key Sectors of Bio-Economy):

  • बायो-इंडस्ट्रियल क्षेत्र (Bio-Industrial Sector): इसमें वे उद्योग शामिल हैं जो जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology) का उपयोग करके बायोफ्यूल (Biofuels), बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक (Biodegradable Plastics), जैव-आधारित रसायन (Bio-based Chemicals) आदि का उत्पादन करते हैं।
  • बायो-फार्मा क्षेत्र (Bio-Pharma Sector): यह क्षेत्र जैविक तरीकों से दवाएं (Pharmaceuticals), टीके (Vaccines) और चिकित्सा उपकरण (Medical Devices) बनाने पर केंद्रित है।
  • बायो-कृषि क्षेत्र (Bio-Agriculture): इसमें कृषि उत्पादकता (Agricultural Productivity) बढ़ाने, कीट नियंत्रण (Pest Control) और खाद्य सुरक्षा (Food Security) सुनिश्चित करने हेतु जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग होता है।
  • पर्यावरणीय जैव प्रौद्योगिकी (Environmental Biotechnology): यह क्षेत्र कचरा प्रबंधन (Waste Management), प्रदूषण नियंत्रण (Pollution Control) और जैव उपचार (Bioremediation) जैसे कार्यों से जुड़ा होता है।

बायो-इकोनॉमी का महत्व (Importance of Bio-Economy)

  • पर्यावरणीय स्थिरता (Environmental Sustainability): बायो-इकोनॉमी जैविक संसाधनों (Biological Resources) का उपयोग करती है, जिससे जीवाश्म ईंधनों (Fossil Fuels) पर निर्भरता घटती है।यह कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emissions) को कम करती है और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से लड़ने में मदद करती है।
    • इससे पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में सहायता मिलती है।
  • आर्थिक वृद्धि (Economic Growth): बायो-इकोनॉमी नए उद्योगों (New Industries) के विकास को प्रोत्साहित करती है।यह बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology) में नवाचार (Innovation) को बढ़ावा देती है।इसके माध्यम से रोजगार के अवसर (Employment Opportunities) पैदा होते हैं।
    • इससे देश की आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है।
  • परिपत्र अर्थव्यवस्था (Circular Economy): यह ऐसा मॉडल है जो पुनर्चक्रण (Recycling) और संसाधनों के कुशल उपयोग (Efficient Use of Resources) को बढ़ावा देता है।इसमें कचरे को फिर से उपयोगी वस्तुओं में बदला जाता है।
    • यह एक सतत भविष्य (Sustainable Future) की ओर कदम है।

भारत में बायो-इकोनॉमी: वर्तमान स्थिति और विकास(Bio-Economy in India: Current Status and Growth)

  • तेजी से हो रहा विकास (Impressive Growth)भारत की बायो-इकोनॉमी (Bio-Economy) ने पिछले एक दशक में उल्लेखनीय प्रगति की है और यह अब राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था (National Economy) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।
  • यह क्षेत्र तकनीकी नवाचारों (Technological Innovations), सरकारी नीतियों (Government Policies), और टिकाऊ समाधानों (Sustainable Solutions) की बढ़ती वैश्विक मांग के कारण तेज़ी से बढ़ रहा है।

मुख्य आँकड़े (Key Statistics)

  • बाज़ार मूल्य वृद्धि (Market Growth): 2014 में भारत की बायो-इकोनॉमी का मूल्य लगभग $10 बिलियन था।
    2024 तक यह आंकड़ा $130 बिलियन से अधिक होने का अनुमान है।
  • GDP में योगदान (Contribution to GDP): बायो-इकोनॉमी भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 4% का योगदान देती है, जो इसके महत्व को दर्शाता है।
  • वैश्विक रैंकिंग (Global Ranking): बायो-उत्पादन (Bio-Manufacturing) के क्षेत्र में भारत विश्व में 12वें स्थान पर है, जो इस उद्योग में भारत की नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।
  •  बायो-इकोनॉमी से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ (Challenges in Bio-Economy)
    • नियामक बाधाएँ (Regulatory Hurdles): बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology) के लिए बनाए गए नियमों (Regulatory Framework) को अधिक प्रभावी और सरल बनाने की आवश्यकता है, ताकि नवाचार (Innovation) को बढ़ावा मिल सके और सुरक्षा एवं पर्यावरण मानकों (Environmental Standards) का पालन भी सुनिश्चित हो।
    • निवेश की आवश्यकता (Investment Needs): अनुसंधान, विकास और बुनियादी ढांचे (Research, Development and Infrastructure) में निरंतर निवेश आवश्यक है ताकि भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी (Globally Competitive) बना रह सके।
    • जागरूकता और शिक्षा (Awareness and Education): जैव-आधारित उत्पादों (Bio-Based Products) और उनके फायदों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना (Awareness Raising) ज़रूरी है ताकि विभिन्न उद्योगों में इनका अधिक उपयोग हो सके।

बायो-इकोनॉमी को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार की पहलें (Government Initiatives to Boost Bio-Economy)

  • भारत सरकार ने बायो-इकोनॉमी के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतियाँ और योजनाएँ लागू की हैं:

बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC)(Biotechnology Industry Research Assistance Council)

  • BIRAC भारत में बायोटेक्नोलॉजी इकोसिस्टम (Biotechnology Ecosystem) को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाता है।
  • यह स्टार्ट-अप्स और अनुसंधान संस्थानों (Research Institutions) को वित्तीय सहायता (Funding), मार्गदर्शन (Mentorship) और बुनियादी ढांचा (Infrastructure) प्रदान करता है।
  • इसकी प्रमुख योजनाओं में शामिल हैं:
    • बायोटेक्नोलॉजी इग्निशन ग्रांट (BIG)
    • BioNEST (Biotech Incubation Centers)

राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति, 2018(National Biofuel Policy, 2018)

  • इस नीति का उद्देश्य इथेनॉल (Ethanol), बायोडीजल (Biodiesel), और बायो-गैस (Bio-Gas) जैसे जैव-ईंधनों (Biofuels) के उपयोग को बढ़ावा देना है।
  • ये ईंधन परिवहन, ऊर्जा, और कृषि क्षेत्रों में इस्तेमाल किए जाते हैं।
  • नीति नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (Renewable Energy Sources) के विकास को प्रोत्साहित करती है, जिससे जीवाश्म ईंधनों (Fossil Fuels) पर निर्भरता घटती है।

राष्ट्रीय बायो-फार्मा मिशन(National Bio-pharma Mission)

  • इस मिशन का उद्देश्य भारत की बायो-फार्मास्युटिकल क्षमता (Biopharmaceutical Capacity) को बढ़ाना है।
  • यह सस्ती दवाओं (Affordable Medicines), टीकों (Vaccines) और डायग्नोस्टिक उपकरणों (Diagnostics) के उत्पादन पर केंद्रित है।
  • मिशन स्वदेशी जैव-उत्पादों (Indigenous Biologics) और बायो-सिमिलर्स (Bio-similars) के विकास को बढ़ावा देता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा (Healthcare Access) सुलभ बन सके।

राष्ट्रीय बायो-इकोनॉमी मिशन(National Mission on Bio-economy)

  • यह एक समग्र नीति (Comprehensive Policy) है जो अनुसंधान (Research), नवाचार (Innovation) और व्यावसायीकरण (Commercialization) को समर्थन देती है।
  • इसका उद्देश्य भारत की बायो-निर्माण क्षमता (Bio-Manufacturing Capacity) को विस्तार देना और जैव-आधारित उत्पादों (Bio-Based Products) के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाना है।

बायोलॉजिकल रिसर्च रेगुलेटरी अप्रूवल पोर्टल (BioRRAP)(Biological Research Regulatory Approval Portal)

  • यह एक सिंगल-विंडो पोर्टल (Single-Window Platform) के रूप में शुरू किया गया है।
  • यह जैविक संसाधनों (Biological Resources) से संबंधित अनुसंधान के लिए अनुमोदन प्रक्रियाओं (Approval Processes) को सुगम बनाता है।
  • यह नियामक मंज़ूरी (Regulatory Approvals) में देरी को कम करता है और बायोटेक क्षेत्र में नवाचार (Innovation) को प्रोत्साहन देता है।

भविष्य की संभावनाएँ और अवसर(Future Prospects and Opportunities in Bio-Economy)

  • भारत की बायो-इकोनॉमी (Bio-Economy) के आने वाले वर्षों में तेज़ी से विस्तार की उम्मीद है, जो निम्नलिखित प्रवृत्तियों (Trends) पर आधारित है:

  • बायोटेक नवाचार में वृद्धि(Increased Biotech Innovation):- बायोइंजीनियरिंग (Bioengineering), आनुवांशिक संशोधन (Genetic Modification) और सस्टेनेबल उत्पादन विधियों (Sustainable Production Methods) में निरंतर अनुसंधान से कृषि (Agriculture) और फार्मास्यूटिकल (Pharmaceutical) क्षेत्रों में तेज़ वृद्धि होगी।
  • बायो-निर्माण का विकास(Bio-manufacturing):-जैव-आधारित रसायनों (Bio-based Chemicals) और सामग्रियों (Materials) की ओर बढ़ते रुझान से पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Footprint) कम होगा और वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों (Global Sustainability Goals) को बढ़ावा मिलेगा।
  • वैश्विक बाज़ार का विस्तार(Global Market Expansion):-भारत के पास बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology) में वैश्विक नेतृत्व (Global Leadership) स्थापित करने की संभावना है, विशेषकर बायोफार्मा (Bio-Pharma), बायोफ्यूल्स (Biofuels) और बायो-कृषि (Bio-Agriculture) में।

भविष्य की परियोजनाएँ (Future Projections)

  • वर्ष 2030 तक, भारत की बायो-इकोनॉमी का मूल्य लगभग $300 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।
  • यह भारत को वैश्विक बायो-निर्माण (Global Bio-Manufacturing) और सतत विकास (Sustainable Development) का एक प्रमुख केंद्र बना देगा।

परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)

प्रश्न :-भारत की बायो-इकोनॉमी का वर्तमान आकार (Current Size) क्या है?

उत्तर :-वर्ष 2014 में यह $10 बिलियन था, जो 2024 में $130 बिलियन से अधिक हो गया है।
2030 तक $300 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।

प्रश्न :-नेशनल बायो-इकोनॉमी मिशन (National Bio-Economy Mission) क्या है?

उत्तर :-यह एक प्रस्तावित मिशन है जिसका उद्देश्य नवाचार (Innovation), निर्माण (Manufacturing) और व्यावसायीकरण (Commercialization) को बढ़ावा देना है।
यह भारत के सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDGs) के साथ मेल खाता है।

प्रश्न :-. BioRRAP क्या है?

उत्तर :-Biological Research Regulatory Approval Portal (BioRRAP) एक सिंगल-विंडो ऑनलाइन प्रणाली (Single-Window Online System) है।यह जैविक अनुसंधान (Biological Research) के लिए नियामक अनुमोदन (Regulatory Approvals) को सरल और तेज़ बनाता है।

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