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ग्राम न्यायालय (Gram Nyayalayas) क्या है ? उद्देश्य प्रमुख विशेषताएं और चुनौतियां : ग्राम न्यायालय -ग्रामीण न्याय व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

  • भारत में न्याय प्रणाली की पहुंच ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित और कठिन रही है। 
  • ग्रामीण नागरिकों के लिए लंबी दूरी, उच्च कानूनी खर्च, जटिल न्यायिक प्रक्रिया और न्यायिक संस्थानों में अव्यवस्था अक्सर न्याय प्राप्ति में बाधा डालती है। 
  • इस समस्या के समाधान के लिए ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 (Gram Nyayalayas Act, 2008) लागू किया गया।

ग्राम न्यायालयों का उद्देश्य है:

  1. न्याय को ग्रामीण नागरिकों के करीब लाना।
  2. छोटे मुकदमों का त्वरित निपटारा करना।
  3. जिला और उच्च न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ कम करना।
  4. न्याय प्रक्रिया को सरल, सुलभ और आर्थिक रूप से समर्थ बनाना।

ग्राम न्यायालय केवल न्यायिक संस्थान नहीं हैं, बल्कि ये ग्रामीण समाज में न्याय की संस्कृति और समान न्याय के अवसर को बढ़ावा देने वाले संवैधानिक ढांचे का हिस्सा हैं।

सुप्रीम कोर्ट में चर्चा और चिंता

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम न्यायालयों के गठन और उनके प्रभावशील कार्यान्वयन पर चिंता व्यक्त की। अदालत ने मुख्यतः तीन प्रमुख मुद्दों को रेखांकित किया:

  1. गठित करने की अनिवार्यता का स्पष्ट न होना
    • ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 की धारा 3 के अनुसार, राज्य सरकारें ग्राम न्यायालयों का गठन कर सकती हैं। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को यह स्पष्ट निर्देश देने की
    • आवश्यकता पर बल दिया कि क्या ग्राम न्यायालय का गठन अनिवार्य रूप से करना चाहिए या नहीं।
  2. संसाधनों की कमी
    • अधिकांश राज्य पहले से ही सीमित न्यायिक संसाधनों का सामना कर रहे हैं।
    • ग्राम न्यायालयों के गठन के लिए वित्तीय और मानव संसाधन की अतिरिक्त आवश्यकता होती है।
    • कई राज्यों में वित्तीय और प्रशासनिक प्रतिबंध इसकी सफलता के लिए बाधा बने हुए हैं।
  3. उच्च न्यायालयों पर कार्यभार का बढ़ना
    • ग्राम न्यायालयों का उद्देश्य जिला और सिविल अदालतों पर बोझ कम करना है।
    • लेकिन यदि ग्राम न्यायालयों के निर्णयों के खिलाफ अपील या रिट याचिकाएँ बढ़ती हैं, तो उच्च न्यायालयों पर अतिरिक्त बोझ आ सकता है।

ग्राम न्यायालय की प्रमुख विशेषताएं

1. गठन

  • ग्राम न्यायालय प्रत्येक पंचायत या मध्यवर्ती स्तर पर निकटवर्ती पंचायतों के समूह के लिए गठित किया जा सकता है।
  • राज्य सरकार संबंधित उच्च न्यायालय के परामर्श से प्रत्येक न्यायालय के लिए 'न्यायाधिकारी' की नियुक्ति करती है।

2. अधिकार क्षेत्र

  • ग्राम न्यायालय एक मोबाइल कोर्ट की तरह कार्य करता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सुलह और न्याय प्रक्रिया संचालित करता है।
  • यह दोनों प्रकार के मामलों का निपटारा करता है:
    • सिविल मामले: भूमि विवाद, संपत्ति विवाद, परिवारिक विवाद आदि।
    • क्रिमिनल मामले: छोटे अपराध, आपसी झगड़े आदि।

3. विवाद समाधान प्रक्रिया

  • ग्राम न्यायालय का मुख्य उद्देश्य सुलह-समझौते के माध्यम से विवादों का समाधान करना है।
  • इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं को सुलहकार (Conciliators) के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
  • निर्णय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।
  • ये न्यायालय भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 से बाध्य नहीं हैं, जिससे विवादों का त्वरित समाधान संभव होता है।
  • यह अपीलीय न्यायालय है । 

4. न्याय की सुलभता और महत्व

  • ग्राम न्यायालय सुनिश्चित करता है कि कोई भी नागरिक सामाजिक, आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण न्याय से वंचित न रहे।
  • यह ग्रामीण समुदाय में न्याय तक पहुँच को सरल बनाता है और समान न्याय के अवसर प्रदान करता है।

ग्राम न्यायालयों की वर्तमान स्थिति

  • प्रारंभिक लक्ष्य: लगभग 2,500 ग्राम न्यायालय गठित करना।
  • वर्तमान स्थिति: लगभग 314 ही कार्यरत हैं, जो लक्ष्य से बहुत कम हैं।
  • राज्यों की प्रगति:
    • अग्रणी राज्य: महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान – बेहतर कार्यान्वयन।
    • कम प्रगति वाले राज्य: उत्तर प्रदेश, बिहार – सीमित या लगभग शून्य गठन।

चुनौतियां

  1. राज्य स्तर पर प्राथमिकता का अभाव कई राज्यों में ग्राम न्यायालयों को प्राथमिकता नहीं दी गई।
  2. वित्तीय संसाधनों की कमी न्यायालयों का संचालन महंगा है।
  3. मानव संसाधन की कमीप्रशिक्षित न्यायाधीश और सुलहकार उपलब्ध नहीं हैं।
  4. उच्च न्यायालयों पर बोझ का डर निर्णयों के खिलाफ अपील से उच्च न्यायालयों पर अतिरिक्त दबाव।

केंद्र और राज्य द्वारा समर्थन

  • ग्राम न्यायालय योजना (केन्द्र प्रायोजित योजना) के तहत केंद्र सरकार राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • योजना का उद्देश्य:
    • न्यायालयों की स्थापना।
    • संचालन और प्रशासनिक समर्थन।
    • न्यायिक कर्मचारियों और सुलहकारों के प्रशिक्षण।
  • राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी इस योजना की सफलता में निर्णायक भूमिका निभाती है।

प्रश्न-ग्राम न्यायालय अधिनियम कब लागू हुआ था ?

(a) 2005

(b) 2008

(c) 2010

(d) 2015

प्रश्न-ग्राम न्यायालयों का मुख्य उद्देश्य क्या है ?

(a) केवल गंभीर अपराधों का निपटारा करना

(b) न्याय को ग्रामीण नागरिकों के करीब लाना और छोटे मुकदमों का त्वरित निपटारा करना

(c) केवल संपत्ति विवाद निपटाना

(d) उच्च न्यायालयों के मामलों का समाधान करना

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