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श्री अन्न,मिलेट्स (Millets) या सुपरफूड क्या है ? विशेषताएँ, उत्पादन में चुनौतियाँ और सरकार की पहल

  • श्री अन्न (Millets) छोटे दानों वाले अनाज (Small-Seeded Cereal Grains) होते हैं, जो Poaceae या घास कुल (Grass Family) से संबंधित हैं। 
  • इन्हे मोटे अनाज भी कहा जाता है। ये गेहूं, चावल और जौ जैसे अन्य अनाजों की तुलना में अधिक पौष्टिक होते हैं।
  • इनमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज अधिक मात्रा में होते हैं। मिलेट्स ग्लूटेन-मुक्त भी होते हैं, जो उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो ग्लूटेन से एलर्जी या संवेदनशील हैं. 
  • ये अनाज प्राचीन काल से भारत में उगाए जा रहे हैं और स्वास्थ्यवर्धक, पोषणयुक्त व पर्यावरण-अनुकूल (Nutritious and Climate-Resilient) फसलें मानी जाती हैं।

सुपरफूड (Superfoods)

  • सुपरफूड एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो अपने उच्च पोषक तत्वों के कारण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। 
  • मिलेट्स में पोषक तत्वों की उच्च मात्रा के कारण इन्हे सुपरफूड के रूप में जाना जाता है।

श्री अन्न (Millets) हेतु प्रमुख मौसम

खरीफ ऋतु (Kharif Season):

  • श्री अन्न की खेती मुख्यतः खरीफ मौसम (जुलाई से अक्टूबर) में होती है।
  • यह फसलें शुष्क (Arid) और अर्द्ध-शुष्क (Semi-Arid) क्षेत्रों में भी अच्छी तरह उगाई जा सकती हैं।

श्री अन्न की दो श्रेणियाँ (Types of Millets)

मुख्य श्री अन्न (Major Millets):

  • ज्वार (Sorghum)
  • बाजरा (Pearl Millet)
  • रागी (Finger Millet)

ये प्रमुख रूप से उगाई जाने वाली और अधिक क्षेत्र में बोई जाने वाली फसलें हैं।

लघु श्री अन्न (Minor Millets):

  1. कांगनी (Foxtail Millet)
  2. कोदो (Kodo Millet)
  3. सामा या सांवां (Barnyard Millet)
  4. कुटकी (Little Millet)
  5. चेना (Proso Millet)
  6. कुट्टू (Buckwheat)यह तकनीकी रूप से एक छद्म अनाज (Pseudo-Cereal) है, जो उपवास आदि में उपयोग होता है।

श्री अन्न (Millets) की प्रमुख विशेषताएँ 

  • जलवायु प्रतिरोधी (Climate Resilient): यह फसलें कम पानी में भी पनप जाती हैं और सूखे (Drought) को सहन कर सकती हैं।
  • स्वास्थ्यवर्धक (Nutritious): मिलेट्स में फाइबर (Dietary Fibre), लोहा (Iron), कैल्शियम (Calcium) और प्रोटीन (Protein) प्रचुर मात्रा में होता है।
  • ग्लूटेन-रहित (Gluten-Free): यह सीलिएक रोग (Celiac Disease) या ग्लूटेन संवेदनशीलता (Gluten Sensitivity) वाले लोगों के लिए उपयुक्त हैं।

श्री अन्न (Millets) में भारत की वैश्विक और राष्ट्रीय स्थिति (Global and National Status)

  • वैश्विक उत्पादन (Global Production): भारत दुनिया का सबसे बड़ा श्री अन्न (Millets) उत्पादक देश है।भारत का योगदान विश्व उत्पादन में लगभग 41% और एशिया के कुल उत्पादन में 80% से अधिक है।
  • निर्यात स्थिति (Export Status): भारत विश्व के शीर्ष 5 मिलेट निर्यातक देशों में शामिल है।2022-23 में भारत ने लगभग 1.6 लाख मीट्रिक टन मिलेट्स का निर्यात किया, जिसकी कुल वित्तीय मूल्य (Monetary Value) लगभग ₹608.12 करोड़ या US$75.45 मिलियन थी।
  • प्रमुख निर्यात गंतव्य देश (Top Export Destinations): संयुक्त अरब अमीरात (UAE),सऊदी अरब (Saudi Arabia),नेपाल,बांग्लादेश,मुख्य निर्यातित किस्में: बाजरा (Pearl Millet / Bajra) और ज्वार (Sorghum / Jowar)

श्री अन्न (Millets) के पोषण एवं स्वास्थ्य लाभ (Nutritional and Health Benefits)

  • पोषण प्रोफ़ाइल (Nutritional Profile): मिलेट्स में भरपूर मात्रा में आयरन (Iron), जिंक (Zinc), कैल्शियम (Calcium) और फाइबर (Dietary Fibre) पाया जाता है।
  • ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycaemic Index): मिलेट्स का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह मधुमेह (Diabetes) रोगियों के लिए उपयुक्त भोजन है।
    (Glycaemic Index: यह बताता है कि कोई खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा को कितनी तेजी से बढ़ाता है।)
  • ग्लूटेन मुक्त (Gluten-Free): मिलेट्स प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन-फ्री होते हैं, इसलिए सीलिएक रोग (Celiac Disease) या ग्लूटेन संवेदनशीलता (Gluten Sensitivity) वाले लोग इन्हें सुरक्षित रूप से खा सकते हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits): नियमित सेवन से मदद मिलती है एनीमिया (Anaemia) में हृदय रोग (Cardiovascular Diseases) से बचाव ,कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को कम करने में सहायक 
  • पर्यावरणीय लाभ (Environmental Benefits)
    • कम पानी की आवश्यकता (Low Water Requirement):- मिलेट्स को कम पानी में उगाया जा सकता है, जिससे यह जल संरक्षण (Water Conservation) में मदद करता है।
    • सूखा प्रतिरोधी (Drought-Resistant):-यह फसलें सूखे या वर्षा की कमी (Arid Conditions) में भी अच्छी पैदावार देती हैं।
    • कीट प्रतिरोधी (Pest-Resistant):-मिलेट्स में प्राकृतिक रूप से कीटों से बचाव (Natural Pest Resistance) की क्षमता होती है, जिससे कम कीटनाशक उपयोग की आवश्यकता होती है।
    • पर्यावरणीय स्थिरता (Environmental Sustainability):-ये फसलें पर्यावरण के लिए टिकाऊ (Sustainable) हैं और कार्बन फुटप्रिंट (Carbon Footprint) को कम करने में मदद करती हैं।

सरकार की पहल (Government Initiatives for Millets)

  • राष्ट्रीय मिलेट वर्ष (National Year of Millets – 2018)
    • भारत सरकार ने 2018 को ‘राष्ट्रीय मिलेट वर्ष’ घोषित किया।
    • इसका उद्देश्य था – लोगों में मिलेट्स के पोषण और पर्यावरणीय लाभ के बारे में जागरूकता बढ़ाना (Awareness Generation)।
  • अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष (International Year of Millets – 2023)
    • संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया।
    • यह प्रस्ताव भारत के नेतृत्व में लाया गया था।
    • इसका उद्देश्य था – दुनिया भर में मिलेट्स की खेती, उपभोग और व्यापार को बढ़ावा देना।
  • पोषण अनाज उप मिशन (Sub-Mission on Nutri-Cereals – Millets)
    • यह मिशन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission – NFSM) के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है।
    • उद्देश्य:मिलेट्स का उत्पादन (Production) और उत्पादकता (Productivity) बढ़ाना
    • इसके लिए बीज, तकनीकी सहायता (Technical Support) और प्रशिक्षण (Training) जैसी मदद दी जाती है।
  • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme – PLISFPI)
    • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (Food Processing Industry) के लिए यह योजना चलाई जा रही है।
    • इसमें मिलेट आधारित उत्पादों (Millet-based Products) को शामिल किया गया है।
    • इससे मिलेट्स के प्रसंस्करण (Processing) और मूल्य संवर्धन (Value Addition) को बढ़ावा मिलता है।
  • मिलेट अनुभव केंद्र (Millet Experience Centres)
    • देश के विभिन्न हिस्सों में मिलेट अनुभव केंद्र (Millet Experience Centres) स्थापित किए गए हैं।
    • उद्देश्य:
      • लोगों को मिलेट्स से बने स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजन परोसना
      • शिक्षा देना (Public Education) – मिलेट्स के लाभों के बारे में जागरूक करना।
  • एक जिला, एक उत्पाद योजना (One District, One Product –ODOP)
    • इस योजना के अंतर्गत कई जिलों में मिलेट्स को चुना गया है
    • उद्देश्य:
      • स्थानीय किसानों को प्रोत्साहन
      • कृषि-प्रसंस्करण (Agri-Processing) और
      • बाजार उपलब्धता (Market Linkages) में सहायता देना।

मिलेट उत्पादन में चुनौतियाँ (Challenges in Millet Production)

  • उपज अंतर (Yield Gap)
    • अन्य फसलों की तुलना में मिलेट्स की प्रति हेक्टेयर उपज (Yield per Hectare) कम है।
    • मुख्य कारण:
      • श्रमिकों की कमी (Labour Shortage)
      • उर्वरकों का अपर्याप्त उपयोग (Insufficient Use of Fertilizers)
  • जलवायु पर निर्भरता (Climate Dependency)
    • लगभग 72% मिलेट की खेती वर्षा आधारित (Rainfed) होती है।
    • इस कारण यह मौसम में बदलाव (Climate Variability) से अत्यधिक प्रभावित होती है।
  • सीमित भौगोलिक प्रसार (Concentration in Specific States)
    • मिलेट उत्पादन कुछ ही राज्यों तक सीमित है, जैसे:
      राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश
    • इससे क्षेत्रीय असमानता (Regional Disparities) उत्पन्न होती है।
  • भंडारण की समस्या (Storage Issues)
    • मिलेट्स की शेल्फ लाइफ (Shelf Life) – यानी भंडारण अवधि अन्य अनाजों की तुलना में कम होती है।
    • इससे भंडारण और संरक्षण (Preservation) में कठिनाइयाँ आती हैं।

श्री अन्न (Millets)  क्षेत्र में सुधार के लिए भविष्य की राह (Way Forward to Improve Millet Sector)

  • अनुसंधान और विकास (Research & Development)
    • ऐसी नई किस्मों (Varieties) का विकास करना जो:
      • उच्च उपज देने वाली (High-Yielding) हों
      • रोग प्रतिरोधक (Disease-Resistant) हों
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास (Infrastructure Development)
    • बेहतर भंडारण सुविधाओं (Storage Facilities) का निर्माण
    • मिलेट्स के लिए प्रसंस्करण इकाइयाँ (Processing Units) स्थापित करना जिससे इनके उत्पादों का मूल्य संवर्धन (Value Addition) हो सके।
  • जागरूकता अभियान (Awareness Campaigns)
    • स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits) के बारे में लोगों को जागरूक करने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार अभियान (Nationwide Public Campaigns) चलाना।
  • नीतिगत समर्थन (Policy Support)
    • मिलेट खेती को प्रोत्साहित (Incentives for Cultivation) करने वाली नीतियाँ बनाना
    • किसानों को उचित मूल्य (Fair Pricing) की गारंटी देना
  • बाजार विस्तार (Market Expansion)
    • अंतरराष्ट्रीय बाजार (International Markets) में मिलेट्स के निर्यात को बढ़ावा देना
    • भारत को वैश्विक मिलेट हब (Global Millet Hub) के रूप में स्थापित करना
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