संदर्भ
यूएन वीमेन द्वारा महिलाओं के राजनीतिक नेतृत्व पर ‘वीमेन पॉलिटिकल लीडर्स 2025’ नामक शीर्षक से रिपोर्ट जारी की गई है जोकि वैश्विक स्तर पर राष्ट्राध्यक्षों, सरकार प्रमुखों एवं प्रमुख मंत्रालयी भूमिकाओं में महिलाओं की अपर्याप्त उपस्थिति, राजनीतिक नेतृत्व में लैंगिक समानता के प्रति गंभीर बाधाओं को उजागर करती है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- राष्ट्र प्रमुखों के रूप में महिलाएँ : वर्तमान में विश्व के केवल 27 देशों में महिला राष्ट्राध्यक्ष या सरकार प्रमुख हैं जो पाँच वर्ष पूर्व की तुलना में छह देशों की वृद्धि दर्शाता है। हालाँकि, 103 देशों में आज तक कभी कोई महिला सर्वोच्च कार्यकारी पद पर नहीं पहुँच पाई है।
- मंत्रिमंडल में महिलाओं की भागीदारी में गिरावट : वैश्विक स्तर पर महिलाओं की कैबिनेट में हिस्सेदारी 22.9% है जो वर्ष 2024 में 23.3% थी। यह पहली बार है जब महिला मंत्रियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।
- समानता वाले कैबिनेट की संख्या में गिरावट : वर्ष 2024 में 15 ऐसे देश थे जिनके मंत्रिमंडल में 50% या उससे अधिक महिलाएँ थीं। वर्ष 2025 में यह संख्या घटकर 9 रह गई है।
- इसके विपरीत, महिला मंत्रियों की शून्य भागीदारी वाले देशों की संख्या 7 से बढ़कर 9 हो गई है।
- राजनीति में महिलाओं के विरुद्ध बढ़ती हिंसा : ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा उन्हें राजनीतिक नेतृत्व में प्रवेश करने या टिके रहने से हतोत्साहित करती है। यह स्थिति महिलाओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को कमजोर करती है।
- कैबिनेट आवंटन में लैंगिक असमानता :
- पुरुषों को मुख्यत: ऐसे मंत्रालय आवंटित किए जाते हैं जो राष्ट्रीय व वैश्विक प्राथमिकताओं को निर्धारित करते हैं जिसमें रक्षा (87%), वित्त (84%) एवं विदेश मामलों (82%) जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय शामिल हैं।
- दूसरी ओर, महिलाओं को मुख्यत: लैंगिक समानता (87%) और परिवार व बाल कल्याण (71%) जैसे मंत्रालय सौंपे जाते हैं।
- भारत की स्थिति : भारत को इस रिपोर्ट में 181 देशों में से 174वां स्थान प्राप्त हुआ है जो इसे उन देशों की सूची में रखता है जहाँ कैबिनेट में महिलाओं की भागीदारी मात्र 2% से 9.9% के बीच है। यह स्थिति भारत जैसी लोकतांत्रिक व तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है जिसमें आधी आबादी को निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया से लगभग बाहर रखा जा रहा है।
समस्या का मूल कारण
- संरचनात्मक लैंगिक असमानता
- राजनीति में लैंगिक पक्षपात
- महिलाओं के खिलाफ लक्षित हिंसा
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
- अस्थायी विशेष उपायों (जैसे- कोटा) का सीमित उपयोग
रिपोर्ट में प्रमुख सुझाव
- राजनीतिक पदों पर नियुक्तियों में लैंगिक संतुलन सुनिश्चित करना
- अस्थायी विशेष उपायों (जैसे- कोटा प्रणाली) को अपनाना
- राजनीति में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के खिलाफ सख्त कानूनी संरक्षण सुनिश्चित करना
- लैंगिक समानता वाले मंत्रालयों को मजबूत करना और उन्हें पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराना