विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस-2025: 17 जून
चर्चा में क्यों?
विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस प्रत्येक वर्ष 17 जून को मनाया जाता है।
यह दिन वैश्विक स्तर पर लोगों में मरुस्थलीकरण और सूखे जैसी गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इनसे निपटने के लिए उपायों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
वर्ष 2025 के लिए थीम है- भूमि को पुनःस्थापित करें। अवसरों को खोलें (Restore the land. Unlock the оpportunities)
इस दिवस का इतिहास:
इस दिन को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1994 में की थी, जब उसने "मरुस्थलीकरण के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन" (UNCCD) को अपनाया।
यह दिवस पहली बार 1995 में मनाया गया था और तब से प्रतिवर्ष इसका आयोजन हो रहा है।
इस दिवस का महत्व:
यह दिन लोगों को भूमि के क्षरण, मरुस्थलीकरण और सूखे के खतरों से अवगत कराता है।
यह सरकारी, गैर-सरकारी और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को इस दिशा में नीतियां बनाने, सहयोग करने और समाधान खोजने के लिए प्रेरित करता है।
यह दिवस स्थायी भूमि प्रबंधन, पारिस्थितिकीय संतुलन और जलवायु अनुकूलन की दिशा में वैश्विक प्रयासों को प्रोत्साहित करता है।
मरुस्थलीकरण और सूखा:
मरुस्थलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें भूमि धीरे-धीरे अपनी उपजाऊ क्षमता खो देती है और बंजर भूमि में बदल जाती है।
इसके पीछे कई मानवीय और प्राकृतिक कारण होते हैं, जैसे—अत्यधिक चारागाही, वनों की कटाई, अनुचित सिंचाई, जलवायु परिवर्तन और भूमि का अत्यधिक दोहन।
सूखा एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें किसी क्षेत्र में लंबे समय तक वर्षा नहीं होती, जिससे जल की भारी कमी उत्पन्न हो जाती है और कृषि, पशुपालन, जैव विविधता और मानव जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भूमि क्षरण के प्रभाव:
कृषि उत्पादकता में गिरावट और खाद्य संकट।
जल स्रोतों का सूखना और पेयजल की कमी।
पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को नुकसान।
ग्रामीण आबादी का प्रवासन और शहरी दबाव।
सामाजिक-आर्थिक असमानता और संघर्ष।
समाधान और उपाय
संवहनीय कृषि प्रथाओं को अपनाना और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करना।
वृक्षारोपण, वनों की कटाई रोकना और हरित क्षेत्र बढ़ाना।
जल संरक्षण तकनीकों, जैसे वर्षा जल संचयन और ड्रिप सिंचाई को प्रोत्साहित करना।
स्थानीय समुदायों की भागीदारी से भूमि सुधार योजनाओं को लागू करना।
नीतिगत सहयोग और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा देना।
भारत में मरुस्थलीकरण की स्थिति:
भारत की कुल भूमि का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण से प्रभावित है।
भारत ने वर्ष 2019 में UNCCD COP-14 सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें भूमि बहाली को लेकर कई अहम वैश्विक निर्णय लिए गए थे।
भारत ने वर्ष 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर भूमि को बहाल करने का लक्ष्यनिर्धारित किया है।
महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय प्रयास:
UNCCD (United Nations Convention to Combat Desertification) – 1994 में स्थापित, 1996 में लागू।
Land Degradation Neutrality (LDN) – भूमि क्षरण को संतुलित करने की वैश्विक रणनीति।
संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य (SDG) 15 – “स्थल पर जीवन” को संरक्षण देने पर केंद्रित।
प्रश्न. विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस प्रतिवर्ष किस तिथि को मनाया जाता है?