चर्चा में क्यों ?
विश्व गोरिल्ला दिवस हर वर्ष 24 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन गोरिल्लाओं के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा के महत्व को समझाने के लिए समर्पित है।

विश्व गोरिल्ला दिवस का इतिहास
- 24 सितंबर 1967 को प्रख्यात जीवविज्ञानी डायन फॉसी ने रवांडा के पर्वतीय वनों में करिसोके रिसर्च सेंटर की स्थापना की थी।
- डायन फॉसी ने अपना जीवन माउंटेन गोरिल्लाओं की सुरक्षा में समर्पित किया और उनके संरक्षण पर महत्वपूर्ण शोध कार्य किए।
- उनकी इसी विरासत को याद करने और संरक्षण का संदेश फैलाने के लिए 2017 में डायन फॉसी गोरिल्ला फंड ने 24 सितंबर को विश्व गोरिल्ला दिवस घोषित किया।
उद्देश्य
- गोरिल्लाओं के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना
- अवैध शिकार और वनों की कटाई से उनके आवास की रक्षा करना
- स्थानीय समुदायों और सरकारों को संरक्षण अभियान में शामिल करना
- पर्यटन (इको-टूरिज्म) के माध्यम से गोरिल्ला संरक्षण को बढ़ावा देना
- भावी पीढ़ियों को यह संदेश देना कि गोरिल्ला पृथ्वी की जैव विविधता का एक अनमोल हिस्सा हैं
गोरिल्लाओं के बारे में रोचक तथ्य
- गोरिल्ला अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वनों में पाए जाने वाले अत्यंत बुद्धिमान और शक्तिशाली प्राइमेट्स हैं, जो मनुष्यों से लगभग 98% डीएनए साझा करते हैं।
- प्राइमेट स्तनधारियों का एक क्रम है, जिसमें मनुष्य, वानर, बंदर, लंगूर, गोरिल्ला, चिंपैंजी, ओरांगुटान, टार्सियर और लीमर आदि शामिल हैं।
- गोरिल्ला पृथ्वी पर सबसे बड़े प्राइमेट हैं।
- इनकी दो मुख्य प्रजातियाँ हैं:
- ईस्टर्न गोरिल्ला
- वेस्टर्न गोरिल्ला
(इन दोनों में भी उप-प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे माउंटेन गोरिल्ला और क्रॉस रिवर गोरिल्ला)
- गोरिल्ला शाकाहारी होते हैं और मुख्य रूप से फल, पत्तियाँ, तने और बांस खाते हैं।
- गोरिल्ला समूह में रहते हैं, जिसे Troop या Band कहा जाता है। इनका नेतृत्व एक प्रमुख नर करता है, जिसे Silverback कहा जाता है।
- गोरिल्ला मानवीय भावनाओं और बुद्धिमत्ता प्रदर्शित करने में सक्षम हैं; वे उदासी, खुशी और सीखने की क्षमता दिखा सकते हैं।
गोरिल्लाओं के सामने खतरे
- वनों की कटाई – अफ्रीका के वर्षावनों का तेजी से विनाश उनके आवास को समाप्त कर रहा है।
- शिकार – बुशमीट (Bushmeat) व्यापार और अवैध शिकार गोरिल्लाओं के अस्तित्व के लिए खतरा है।
- बीमारियाँ – मनुष्यों से फैलने वाली बीमारियाँ (जैसे इबोला, कोविड-19) गोरिल्लाओं की मृत्यु का बड़ा कारण बन रही हैं।
- जलवायु परिवर्तन – मौसम और तापमान में परिवर्तन उनके भोजन और आवास को प्रभावित करता है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष – जनसंख्या वृद्धि के कारण गोरिल्लाओं के आवास पर अतिक्रमण बढ़ रहा है।
संरक्षण प्रयास:
- डायन फॉसी गोरिल्ला फंड – गोरिल्लाओं के संरक्षण और शोध का सबसे प्रमुख संगठन।
- युनेस्को विश्व धरोहर स्थल – अफ्रीका के कई गोरिल्ला आवास, जैसे विरुंगा नेशनल पार्क को विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
- इको-टूरिज्म – पर्यटकों को सीमित संख्या में गोरिल्ला देखने की अनुमति देकर राजस्व अर्जित किया जाता है, जिसे संरक्षण पर खर्च किया जाता है।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी – ग्रामीण लोगों को वैकल्पिक रोजगार देकर शिकार से रोका जा रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय समझौते – गोरिल्लाओं को CITES (Convention on International Trade in Endangered Species) की Appendix I में रखा गया है, जिससे इनके व्यापार पर प्रतिबंध है।
गोरिल्ला और भारत
- भारत में गोरिल्ला प्राकृतिक रूप से नहीं पाए जाते, क्योंकि ये केवल मध्य और पूर्वी अफ्रीका के जंगलों में ही रहते हैं। फिर भी, भारत में गोरिल्ला संरक्षण की दिशा में जागरूकता बढ़ाने वाले कई प्रयास किए जाते हैं।
- उदाहरण के लिए, प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट गैंडा जैसे वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों से गोरिल्ला संरक्षण के सिद्धांतों और रणनीतियों की प्रेरणा ली जाती है।
- इसके अलावा, भारत के चिड़ियाघर और वन्यजीव उद्यान गोरिल्लाओं को सुरक्षित रखने और उनके बारे में जानकारी फैलाने के लिए शैक्षणिक और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
- इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को गोरिल्ला और उनके संरक्षण के महत्व के बारे में जानकारी दी जाती है।
प्रश्न. विश्व गोरिल्ला दिवस प्रतिवर्ष किस तिथि को मनाया जाता है ?
(a) 22 अप्रैल
(b) 24 सितंबर
(c) 15 अगस्त
(d) 5 जून
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