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विश्व शरणार्थी दिवस, 2025

  • क्या है : विश्व शरणार्थी दिवस विश्व भर के शरणार्थियों के सम्मान के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है।
  • प्रारंभ : यह दिवस पहली बार 20 जून, 2001 को शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित 1951 के अभिसमय की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए वैश्विक स्तर पर मनाया गया था। 
  • मूल नाम : दिसंबर 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आधिकारिक तौर पर इसे अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किए जाने से पहले इसे मूल रूप से अफ्रीका शरणार्थी दिवस के रूप में जाना जाता था।

  • वर्ष 2025 की थीम : शरणार्थियों के साथ एकजुटता (Solidarity with Refugees)
    • यह वर्ष वैश्विक अनिश्चितता के समय में विस्थापित एवं शरणार्थियों के प्रति कार्रवाई व सहानुभूति के लिए एक शक्तिशाली आह्वान करता है।
    • यह रिकॉर्ड संख्या में लोगों के जबरन विस्थापित होने और मानवीय सहायता के खतरे में होने के कारण वार्ताओं से आगे बढ़कर पलायन करने के लिए मजबूर लोगों की सहायता के लिए सार्थक कदम उठाने का आग्रह करता है।
    • आवश्यक कदम : 
      • शरणार्थियों की आवाज़ को केंद्र में रखना
      • समावेशी समुदायों का निर्माण
      • शांति एवं समाधान के लिए मिलकर काम करना
      • संयुक्त राष्ट्र और उसके मानवीय कार्यकर्ताओं को समर्थन प्रदान करना

इसे भी जानिए!

  • शरणार्थी (Refugees) : संयुक्त राष्ट्र के 1951 के शरणार्थी अभिसमय के अनुसार, शरणार्थी वह व्यक्ति होता है जो अपनी जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता या राजनीतिक राय के कारण उत्पीड़न के एक ठोस डर से अपने घर व देश से भाग गया हो। कई शरणार्थी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के प्रभावों से बचने के लिए निर्वासन में हैं।
  • शरण चाहने वाले (Asylum Seekers) : यह ऐसे व्यक्ति हैं जो शरणार्थियों की तरह ही अपने घरों से भागे हैं किंतु जिस देश में वे भागे हैं, वहाँ शरणार्थी स्थिति के उनके दावे का अभी तक निर्णायक रूप से मूल्यांकन नहीं किया गया है।
  • आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (Internally Displaced Persons) : ये वे लोग हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार नहीं की है, बल्कि वे अपने देश के उस क्षेत्र से भिन्न क्षेत्र में चले गए हैं जिसे वे अपना घर कहते हैं।
  • राज्यविहीन व्यक्ति (Stateless Persons) : राज्यविहीन व्यक्तियों की कोई मान्यता प्राप्त राष्ट्रीयता नहीं होती है तथा वे किसी भी देश के निवासी नहीं होते हैं। राज्यविहीनता की स्थिति प्राय: कुछ समूहों के खिलाफ भेदभाव के कारण होती है। उनकी पहचान की कमी (नागरिकता प्रमाण पत्र) उन्हें स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा या रोजगार सहित महत्वपूर्ण सरकारी सेवाओं तक पहुंच से वंचित कर सकती है।
  • वापस लौटने वाले (Returnees) : ऐसे व्यक्ति पूर्व शरणार्थी होते हैं जो निर्वासन में समय बिताने के बाद अपने देश या मूल क्षेत्र में लौटते हैं। वापस आने वाले लोगों को निरंतर समर्थन और पुनः एकीकरण सहायता की आवश्यकता होती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अपने घर पर अपना जीवन फिर से बना सकें।
 

क्या आप जानते हैं!

1951 शरणार्थी अभिसमय और उसका 1967 प्रोटोकॉल

  • शरणार्थी दुनिया के सबसे कमज़ोर लोगों में से हैं और 1951 शरणार्थी अभिसमय और उसका 1967 प्रोटोकॉल उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में मदद करते हैं। 
  • ये एकमात्र वैश्विक कानूनी साधन हैं जो शरणार्थी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं को स्पष्ट रूप से कवर करते हैं। 
  • उनके प्रावधानों के अनुसार, शरणार्थियों को कम से कम, किसी दिए गए देश में अन्य विदेशी नागरिकों द्वारा प्राप्त उपचार के समान मानकों और कई मामलों में, नागरिकों के समान व्यवहार का हकदार होना चाहिए।
  • भारत इस सम्मेलन का पक्षकार नहीं है, इसलिए इस प्रोटोकॉल के अनुपालन का भारत पर कोई दायित्व आरोपित नहीं होता है। 

गैर-वापसी का सिद्धांत

  • 1951 के अभिसमय की आधारशिला गैर-वापसी का सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार, किसी शरणार्थी को ऐसे देश में वापस नहीं भेजा जाना चाहिए जहाँ उसे अपने जीवन या स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरों का सामना करना पड़ता है। 
  • इस सुरक्षा का दावा उन शरणार्थियों द्वारा नहीं किया जा सकता है जिन्हें उचित रूप से देश की सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है या जिन्हें किसी विशेष रूप से गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, उन्हें समुदाय के लिए खतरा माना जाता है।

1951 के अभिसमय में निहित अधिकारों में शामिल हैं-

  • निष्कासित न किये जाने का अधिकार
  • किसी संविदाकारी राज्य के क्षेत्र में अवैध प्रवेश के लिए दंडित न किये जाने का अधिकार
  • काम करने का अधिकार
  • आवास का अधिकार
  • शिक्षा का अधिकार
  • सार्वजनिक राहत एवं सहायता का अधिकार
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
  • न्यायालयों तक पहुंच का अधिकार
  • क्षेत्र के भीतर आवागमन की स्वतंत्रता का अधिकार
  • पहचान एवं यात्रा दस्तावेज जारी करने का अधिकार
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