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वाई (Y) गुणसूत्र

संदर्भ

हालिया अध्ययन के अनुसार, Y गुणसूत्र लगातार सिकुड़ता जा रहा है। यह आकार में X गुणसूत्र के समान ही था लेकिन पिछले 300 मिलियन वर्षों में Y गुणसूत्र ने अपने मूल 1438 जीनों में से 1393 को खो दिए हैं। यदि इसी दर जीन कम होते गए तो केवल 10 मिलियन वर्षों में ही अंतिम 45 जीन भी समाप्त हो जायेंगे। 

क्या है Y गुणसूत्र

  • Y गुणसूत्र दो लिंग गुणसूत्रों में से एक है, जो मनुष्यों सहित अधिकांश स्तनधारी जीवों में लिंग का निर्धारण करता है। 
    • नर (Male) लिंग के निर्धारण में इसकी प्रमुख भूमिका होती है। यह माता-पिता में से नर से आने वाली पीढ़ी की नर संतति में स्थानांतरित होता है।
  • इस गुणसूत्र में SRY जीन होता है, जो पुरुष जननांगों के विकास को गति प्रदान करता है और भ्रूण को पुरुष में बदल देता है और साथ ही यह पुरुष प्रजनन क्षमता के लिए भी जिम्मेदार होता है। 
    • SRY जीन, X गुणसूत्र पर पाए जाने वाले दूसरे जीन ‘SOX3’ का संशोधित संस्करण है।
    • अध्ययनों के अनुसार, SRY का विकास उत्परिवर्तन और कुछ अनुक्रमों की हानि के कारण SOX3 से हुआ है।
  • SRY जीन Y गुणसूत्र का महत्वपूर्ण भाग है। इसके अलावा, Y गुणसूत्र में शुक्राणु उत्पादन, पुरुष प्रजनन क्षमता और यहां तक ​​कि व्यवहार के कुछ पहलुओं के लिए जिम्मेदार अन्य जीन शामिल हैं। 

Y गुणसूत्र के सिकुड़ने के संभावित परिणाम

  • विशेषज्ञों के अनुसार, वाई गुणसूत्र में जीन की संख्या का घटना अनेक प्रश्न खड़े करता है जैसे कि 
    • क्या यह विलुप्त होने की ओर बढ़ रहा है?
    • क्या X और Y गुणसूत्र ही लिंग निर्धारण के जिम्मेदार हैं? 
    • क्या एक अलग लिंग-निर्धारण प्रणाली उभर सकती है?
  • हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​​​है कि वाई गुणसूत्र नए कार्यों को एन्कोड करने वाले जीन के नए सेट विकसित कर सकता है।  
  • हाल अध्ययनों से पता चलता है कि लिंग निर्धारण और लिंग पहचान XY प्रतिमान से परे एक स्पेक्ट्रम का प्रतिनिधित्व करते हैं जो नर या मादा या इनके बीच के निर्धारण के बारे में हमारी सदियों पुरानी समझ को गंभीर चुनौती देता है। व्यक्तियों के बीच भिन्नताओं का यह वर्गीकरण लिंग पहचान की हमारी बाइनरी अवधारणा को चुनौती देता है।
    • उदाहरण के लिए, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम या टर्नर सिंड्रोम वाले व्यक्ति 'इंटरसेक्स' विशेषताओं के साथ पैदा होते हैं और या तो उनके पास एक्स गुणसूत्र की एक अतिरिक्त प्रति होती है या एक्स या वाई गुणसूत्र की एक प्रति नहीं होती है।
    • यह बाइनरी सिस्टम के बजाय सेक्स स्पेक्ट्रम की निरंतरता का प्रतिनिधित्व करता है उदाहरण के लिए  XY (जेनेटिक पुरुष), XXY (क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम), XO (टर्नर सिंड्रोम), XX (जेनेटिक महिला)।
  • यह भी आवश्यक नहीं है कि हमेशा लिंग क्रोमोसोम की उपस्थिति या अनुपस्थिति ही लैंगिक पहचान को प्रकट करे। SRY जीन में उत्परिवर्तन या एंड्रोजन रिसेप्टर (AR) जीन भी लिंग निर्धारण को प्रभावित कर सकते हैं। 
    • ऐसे उत्परिवर्तन एंड्रोजन असंवेदनशीलता सिंड्रोम (AIS) का कारण बन सकते हैं, जिससे XY गुणसूत्रों वाले जीव में एक मादा के शरीरिक लक्षण विकसित हो सकते हैं। 
  • इसके अलावा, जीवों में लिंग पहचान को आकार देने में जैव रासायनिक संकेत भी जिम्मेदार होते हैं। 
    • जन्मजात अधिवृक्क हाइपरप्लासिया लगभग हर 13000 जन्मों में से एक में होता है, जिससे एक महत्वपूर्ण एंजाइम की अनुपस्थिति में XX भ्रूण में एण्ड्रोजन के उत्पादन के कारण अस्पष्ट जननांगों का विकास होता है।

निष्कर्ष

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, भविष्य में वाई गुणसूत्र को गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग समाधान प्रदान कर सकती है। यह क्षेत्र उन मामलों में हस्तक्षेप करने की क्षमता रखता है जहां वाई गुणसूत्र पूरी तरह से नष्ट होने का जोखिम होता है। ऐसे में जेनेटिक इंजीनियरिंग की संभावनाएं मानव आनुवंशिकी के भविष्य के लिए आशा और सुरक्षा की भावना प्रदान करती हैं।

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