(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय) |
संदर्भ
अगस्त 2025 में नेपाल में एक अभूतपूर्व युवा आंदोलन देखने को मिला, जिसने प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ‘ओली’ की सरकार को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। इस आंदोलन को ‘जेन जी प्रोटेस्ट’ (Gen Z Protest) का नाम दिया जा रहा है।
जेन जी प्रोटेस्ट (Gen Z Protest) के बारे में
परिचय: यह आंदोलन मुख्य रूप से नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के बाद शुरू हुआ, किंतु इसके पीछे के कारण कहीं ज्यादा गंभीर और पुरानी समस्याओं से जुड़े हुए हैं।
आंदोलन की प्रमुख विशेषता
- युवा नेतृत्व: यह पहली बार है जब नेपाल का युवा वर्ग (28 वर्ष से कम उम्र के जेन जी (Gen Z) राजनीतिक दलों से अलग होकर इतने बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतरा।
- सोशल मीडिया की भूमिका: आंदोलन का तात्कालिक कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध था किंतु इसी माध्यम ने इसे संगठित एवं प्रसारित किया।
- हिंसक मोड़: शुरुआत में शांतिपूर्ण रहा प्रदर्शन पुलिस कार्रवाई और प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद हिंसक हो गया। प्रधानमंत्री ओली और अन्य नेताओं के घरों में आग लगा दी गई।
- राजनीतिक दलों से अलगाव: आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कहा कि परंपरागत राजनीतिक दल और उनके युवा संगठन इस आंदोलन से दूर रहें।
आंदोलन की पृष्ठभूमि और कारण
यह आंदोलन अचानक नहीं, बल्कि लंबे समय से जारी समस्याओं की परिणति है:
- भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप: नेपाल के लगभग हर वरिष्ठ नेता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। भूमि घोटालों, विमान खरीद में कमीशन और शांति प्रक्रिया के दौरान धन के दुरुपयोग जैसे मामले आम जनता में गहरे रोष का कारण हैं।
- बेरोजगारी और आर्थिक संकट: देश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः विदेशों से आने वाले रेमिटेंस (भारत में प्रवासी द्वारा भेजा गया धन) पर निर्भर है। देश के अंदर गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसरों की भारी कमी है, जिसके कारण युवा पलायन को मजबूर हैं।
- 'नेपो बेबीज' का मुद्दा: सोशल मीडिया पर ‘नेपो बेबीज’ (नेपोलिटन बेबीज) ट्रेंड हुआ, जहाँ राजनीतिक और व्यवसायिक घरानों के युवाओं की भौतिक संपन्नता एवं विशेषाधिकारों पर सवाल उठाए गए।
- लोकतंत्र में मोहभंग: वर्ष 2008 में राजशाही खत्म होने और गणतंत्र बनने के बाद से सत्ता केवल कुछ लोगों (ओली, प्रचंड, देउबा, झाला) के बीच घूमती रही है। युवाओं को लगता है कि लोकतंत्र ने उन्हें विकास और अवसर नहीं दिए।

सरकार और प्रशासन पर प्रभाव
- प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा।
- गृहमंत्री रमेश लेखक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ा।
- राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने आंदोलनकारियों से बातचीत के लिए आमंत्रित किया।
- सरकार को सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध वापस लेना पड़ा।
लोकतंत्र के लिए खतरा: राजशाही की मांग
- नेपाल में लोकतंत्र पहले से ही संकट में है। कुछ महीने पहले ही कुछ समूहों ने यह कहते हुए प्रदर्शन किए थे कि गणतंत्र का प्रयोग विफल रहा है और देश को राजशाही की ओर लौटना चाहिए।
- वर्तमान आंदोलन में भी कुछ समूह द्वारा यह मांग उठाई गई, जो लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। यह दर्शाता है कि जनता का लोकतांत्रिक संस्थाओं और नेताओं से विश्वास उठता जा रहा है।
अगला अंतरिम प्रधानमंत्री और सरकार
ओली के इस्तीफे के बाद अब एक नई अंतरिम सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। राष्ट्रपति के पास अब सभी दलों से सलाह-मशविरा करके एक ऐसे व्यक्ति को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त करने की चुनौती है जो न केवल संसद में बहुमत साबित कर सके बल्कि युवाओं के आक्रोश को शांत करने और नए चुनावों की तैयारी का भरोसा दिला सके।
चुनौतियाँ
- सत्ता की लड़ाई: विभिन्न दल अपने-अपने हित साधने की कोशिश करेंगे, जिससे स्थिर सरकार बनाना मुश्किल होगा।
- युवाओं की उम्मीदें पूरी करना: नई सरकार के सामने भ्रष्टाचार रोकने, रोजगार सृजित करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने की बहुत बड़ी चुनौती होगी।
- कानून-व्यवस्था: हिंसक प्रदर्शनों के बाद स्थिति को सामान्य करना आसान नहीं होगा।
नेपाल के लिए आगे का रास्ता
नेपाल के लिए यह एक निर्णायक मोड़ है। आगे का रास्ता इन बातों पर निर्भर करेगा:
- युवाओं की बात सुनना: सरकार और राजनीतिक दलों को युवाओं की बात गंभीरता से सुननी होगी और उनकी चिंताओं का समाधान करना होगा।
- भ्रष्टाचार पर अंकुश: भ्रष्टाचार के मामलों में पारदर्शिता और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी।
- आर्थिक सुधार: रोजगारोन्मुखी नीतियां बनानी होंगी ताकि युवाओं को देश में ही अवसर मिल सकें।
- शीघ्र और स्वतंत्र चुनाव: एक स्थिर और जनादेश वाली सरकार के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराना जरूरी है।

भारत का परिप्रेक्ष्य
- भारत नेपाल में स्थिरता और शांति चाहता है। नेपाल भारत का एक महत्वपूर्ण पड़ोसी और मित्र देश है, जिसके साथ सांस्कृतिक, आर्थिक व रणनीतिक संबंध हैं।
- भारत की इच्छा है कि नेपाल में लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत हो और संवैधानिक तरीकों से प्रशासन बहाल हो। नेपाल की अशांति से क्षेत्र में अस्थिरता फैलने की आशंका भारत के हित में नहीं है।
निष्कर्ष
नेपाल का ‘जेन जी’ आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया के प्रतिबंध के खिलाफ नहीं है, बल्कि एक अव्यवस्था के खिलाफ युवाओं का गुस्सा है। यह एक चेतावनी है कि अगर लोकतंत्र लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं करता है तो उसके अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगता है। नेपाल के नेतृत्व के सामने अब यह ऐतिहासिक मौका है कि वह सुधारों की राह पकड़े और देश को एक नई दिशा दे।
पीढ़ी समूह (Generation Groups) और उनकी विशेषताएँ
समाज में विभिन्न पीढ़ियाँ एक निश्चित समय अवधि में जन्मी होती हैं और उनके अनुभव, दृष्टिकोण और सोच में समाज, विज्ञान, प्रौद्योगिकी व संस्कृति के बदलाव के प्रभाव दिखते हैं। प्रमुख पीढ़ियों के बारे में:
- साइलेंट जनरेशन: 1928-1945
- बेबी बूमर्स: 1946-1964
- जनरेशन X: 1965-1980
- मिलेनियल्स (Gen Y): 1981-1996
- जनरेशन Z (Gen Z): 1997-2012 (iGeneration भी कहते हैं)
- जनरेशन अल्फा (Gen Alpha): 2013-वर्तमान
- जनरेशन बीटा: अगली पीढ़ी (अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई)
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