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सी.बी.आई. जांच के लिये दी जाने वाली सामान्य सहमति

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, केरल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को राज्य में स्वेच्छा से कार्य करने के लिये दी गई सामान्य सहमति को वापस लेने का फैसला किया है।

सामान्य सहमति (General Consent)

  • ‘राष्ट्रीय जांच एजेंसी’ (NIA) अपने स्वयं के ‘एन.आई.ए. अधिनियम’ द्वारा शासित होती है और इसका अधिकार क्षेत्र देश भर में है। इसके विपरीत, ‘सी.बी.आई.’ को ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946’ के द्वारा शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
  • इस प्रकार सी.बी.आई. द्वारा किसी राज्य में जाँच करने के लिये उस राज्य सरकार की सहमति अनिवार्य हो जाती है। इसमें दो तरह की सहमति होती है : किसी विशिष्ट मामले से सम्बंधित सहमति और सामान्य सहमति।
  • ‘दिल्ली पुलिस स्थापना अधिनियम,1946’ की धारा 6 के तहत सी.बी.आई. को दी गई सामान्य सहमति को वापस लिया जा सकता है।
  • ध्यातव्य है कि CBI का अधिकार क्षेत्र केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों तक सीमित है। हालाँकि, राज्य सरकार द्वारा सहमति देने के बाद यह राज्य सरकार के कर्मचारियों या किसी राज्य में हिंसक अपराध से सम्बंधित मामले या अन्य मामलों की जाँच कर सकती है।

सहमति की आवश्यकता

  • सामान्यत: सी.बी.आई. को सम्बंधित राज्य में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने में मदद हेतु सामान्य सहमति प्रदान की जाती है।
  • लगभग-लगभग राज्यों ने इस तरह की सहमति प्रदान की है अन्यथा की स्थिति में सी.बी.आई. को प्रत्येक मामले में सहमति की आवश्यकता होगी।
  • महाराष्ट्र, राजस्‍थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और पश्चिम बंगाल के बाद केरल ने जांच के लिये सी.बी.आइ. को दी गई आम सहमति वापस ले ली है।

सामान्य सहमति को वापस लेने का तात्पर्य

  • इसका तात्पर्य है कि सी.बी.आई. केंद्र सरकार के किसी अधिकारी या इन राज्यों में तैनात किसी निजी व्यक्ति के विरुद्ध कोई भी ताजा मामला दर्ज नहीं कर सकती है।
  • सामान्य सहमति को वापस लेने का सीधा अर्थ है कि सी.बी.आई. अधिकारी द्वारा उस राज्य में प्रवेश करते ही एक पुलिस अधिकारी के रूप में प्राप्त उसकी सभी शक्तियाँ समाप्त हो जाएंगी, जब तक कि राज्य सरकार ने उन्हें अनुमति नहीं दी है।

ऐसे राज्यों में सी.बी.आई. द्वारा किसी मामले की जांच की स्थिति

  • सामान्य सहमति वापस लेने वाले राज्यों में सी.बी.आई. के पास अब भी पुराने मामलों की जांच करने की शक्ति होगी।
  • यद्यपि सी.बी.आई. अभी भी दिल्ली से जुड़े किसी अपराध या उससे सम्बंधित मामलों में दिल्ली में केस दर्ज कर सकती है और गिरफ्तारी व मुकदमे की कार्रवाई कर सकती है।
  • सी.बी.आई. राज्य की किसी स्थानीय अदालत से वारंट प्राप्त कर सकती है और जांच आदि का कार्य कर सकती है।

राज्यों द्वारा ऐसे निर्णयों का कारण

  • यदि कोई राज्य सरकार यह मानती है कि केंद्र के आदेशों से मंत्रियों, निर्वाचित सदस्यों या अधिकारियों को सी.बी.आई. द्वारा लक्षित किया जा रहा है और सामान्य सहमति वापस लेने से उनकी रक्षा हो सकती है तो राज्य सरकारें ऐसा करती हैं। हालाँकि, यह बहस की एक राजनीतिक धारणा है।

प्री फैक्ट :

सी.बी.आई. : प्रमुख तथ्य

  • भारत सरकार ने 1 अप्रैल, 1963 को एक संकल्प पारित कर निम्नलिखित प्रभागों के साथ केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो का गठन किया :

(1) अन्वेषण तथा भ्रष्टाचार निरोधक प्रभाग
(2) तकनीकी प्रभाग
(3) अपराध अभिलेख और सांख्यिकी प्रभाग
(4) अनुसंधान प्रभाग
(5) विधि तथा सामान्य प्रभाग
(6) प्रशासन प्रभाग

  • सी.बी.आई. कोई सांविधिक निकाय नहीं है क्योंकि इसे संसद के किसी अधिनियम द्वारा स्थापित नहीं किया गया है।
  • सी.बी.आई. आर्थिक अपराधों, विशेष अपराधों, भ्रष्टाचार के मामलों और अन्य हाई-प्रोफाइल मामलों से सम्बंधित मामलों की जांच करती है।
  • सी.बी.आई. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।
  • राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) और राष्ट्रीय आसूचना ग्रिड (नैटग्रिड) आदि की तरह सी.बी.आई. को भी  सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम से छूट प्राप्त है।
  • यह भारत की नोडल पुलिस एजेंसी भी है जो इंटरपोल सदस्य देशों की ओर से जांच का समन्वय करती है।
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