New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video

प्रौद्योगिकी में लैंगिक अंतर को समाप्त करने की आवश्यकता

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित विषयों के संबंध में जागरूकता)

संदर्भ

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र में कोविड-19 संकट के सामाजिक प्रभावों को हल करने के लिये प्रौद्योगिकी में एक नारीवादी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर असमानताएँ सामने आई हैं। 
  • ुनिया भर में, सूचना एवं स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच काफी हद तक ऑनलाइन हो गई है और जो इस ऑनलाइन युग में पीछे छूट गए हैं, उन्हें गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

महिलाओं की प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच

  • ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस (GSMA)’ के अनुमान के मुताबिक, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 390 मिलियन से अधिक महिलाओं तक इंटरनेट की पहुँच नहीं है। इनमें से आधे से अधिक महिलाएँ दक्षिण एशिया में हैं, जिनमें से केवल 65% के पास मोबाइल फोन हैं। वहीं भारत के संदर्भ में महिलाओं की इंटरनेट तक पहुँच केवल 14.9 प्रतिशत है।
  • ोविड महामारी टीकाकरण में ऑनलाइन पंजीकरण की अनिवार्यता ने प्रौद्योगिकी के लैंगिक विभाजन को और गहरा कर दिया है।
  • हाल के स्थानीय आँकड़ों से ज्ञात होता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों का 17 प्रतिशत अधिक कोविड टीकाकरण हुआ है।

महिलाओं के प्रति सामाजिक धारणा 

  • भारतीय परिवारों में यह देखने को मिलता है कि यदि परिवार एकडिजिटल उपकरणको साझा करते हैं, तो इस बात की अधिक संभावना है कि पिता और पुत्रों को इस उपकरण का विशेष रूप से उपयोग करने की अनुमति होती है।
  • आंशिक रूप से, सांस्कृतिक मान्यताओं के कारण यह माना जाता है कि प्रौद्योगिकी तक महिलाओं की पहुँच उन्हें पितृसत्तात्मक समाज को चुनौती देने के लिये प्रेरित करेगी।
  • यह भी धारणा है कि महिलाओं के लिये ऑनलाइन सामग्री उन्हें जोखिम में डाल सकती है, अतः उन्हें सुरक्षा की ज़रूरत है।
  • नतीजतन, फोन का प्रयोग करने वाली लड़कियों और महिलाओं को संदेह और विरोध का सामना करना पड़ता है।
  • ये अंतराल महिलाओं और LGBTQIA+ लोगों को महत्त्वपूर्ण सेवाओं तक पहुँचने से रोकते हैं।
  • भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में कोविड-19 से बचने के लिये आवश्यक जानकारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम प्राप्त हुई।

ारीवादी अवधारणा 

  • नारीवाद की अवधारणा महिलाओं के अधिकारों से परे है। यह जीवन के एक तरीके के बारे में है।
  • सरल शब्दों में इसका अर्थ है समावेशी, लोकतांत्रिक, पारदर्शी, समतावादी और सभी के लिये समान अवसर प्रदान करना। इसे हम समानता कह सकते हैं।
  • नारीवादी प्रौद्योगिकी (इसेफेमटेकभी कहा जाता है) प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिये एक दृष्टिकोण है, जो संपूर्ण समुदाय के लिये अपनी समस्त विविधता के साथ समावेशी और उत्तरदायी है।

समावेशी भविष्य के लिये कदम 

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा महिलाओं को कंपनियों को साइन अप करने और उन सिद्धांतों से सहमत होने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो सभी को अधिक न्यायसंगत भविष्य की ओर ले जाएँगे।
  • इस दिशा मेंजनरेशन इक्वलिटी फोरमका एक प्रमुख लक्ष्य प्रौद्योगिकी और नवाचार में काम करने वाली महिलाओं और लड़कियों की संख्या को दोगुना करना है।
  • वर्ष 2026 तक, इसका उद्देश्य लैंगिक डिजिटल विभाजन को कम करना और सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करना है।
  • नवोन्मेषकों के रूप में महिलाओं के नेतृत्व का समर्थन करने के लिये नारीवादी प्रौद्योगिकी और नवाचार में निवेश शामिल है।

प्रौद्योगिकी में लैंगिक अंतराल

  • वर्तमान में अधिकाँश प्रौद्योगिकियाँ, जो आम आदमी के लिये उपलब्ध हैं, वह पुरुषों द्वारा पुरुषों के लिये बनाई गई हैं, ऐसा ज़रूरी नहीं कि वह सभी की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
  • प्रौद्योगिकी की दुनिया अनेक विभेदकारी उदाहरणों से भरी हुई है, जैसे; वीडियो गेम, आभासी सहायकों से लेकरहैंडहेल्डस्मार्टफोन के बढ़ते आयामों तक, तकनीक हमेशा सभी को ध्यान में रखकर नहीं बनाई जाती है।
  • कोई नीति इसे अपने आप हल नहीं कर सकती, लेकिन निजी क्षेत्र ऐसा कर सकता है। कंपनियों को लिंग-समान तकनीक को केवल परोपकारी दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखना चाहिये।
  • जी.एस.एम.. के अनुसार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मोबाइल इंटरनेट के उपयोग में लिंग अंतराल को समाप्त करने से अगले पाँच वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होगी।
  • महिलाएँ और लड़कियाँ प्रौद्योगिकी से वंचित सबसे बड़े उपभोक्ता समूह हैं और यह प्रमुख लाभ चालक हो सकते हैं।
  • मोबाइल ऐप स्टोर में लगभग दो मिलियन ऐप हैं, जिनमें से अधिकांश ऐप युवा पुरुषों के उपयोग के लिये हैं।

आगे की राह 

  • 1950 के दशक में, डिशवॉशर और वाशिंग मशीन को महिलाओं की मुक्ति के तरीके के रूप में बढ़ावा दिया गया था।
  • उदाहरण के लिये, घरेलू सामान उत्पादक अपने अधिकांश विज्ञापन महिलाओं पर लक्षित करते हैं, क्योंकि वे अक्सर घरेलू बजट को नियंत्रित करती हैं। इसी तरह डिजिटल तकनीक को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • ऐप्स के अलावा, मोबाइल फोन पर अंतर्निहित सुविधाओं, जैसे कि महिलाओं द्वारा सड़क पर होने वाले उत्पीड़न का सामना करने के लिये कानून प्रवर्तन से जोड़ने वाला एक आपातकालीन बटन पर भी विचार किया जाना चाहिये।

निष्कर्ष 

  • महिलाओं और लड़कियों के पास इन तकनीकों तक पुरुषों के समान पहुँच नहीं है, और ही वे समान कीमत पर उपलब्ध है, जो कि स्वीकार्य नहीं है।
  • अब हमारे पास अपने भविष्य को इस तरह आकर देने का अवसर है, जो पिछले एक वर्ष में चिकित्सा और सामाजिक-आर्थिक तबाही के उपरांत प्रौद्योगिकी की दुनिया में अधिक समतामूलक, विविध और टिकाऊ हो।
  • लैंगिक प्रौद्योगिकी अंतराल को समाप्त करने से महिलाओं का जीवन अधिक सुरक्षित हो जाएगा। साथ ही, आजीविका के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। इससे भविष्य में किसी संभावित महामारी की विनाशता से भी बचा जा सकता है। यह हम सभी को एक बेहतर समुदाय और बेहतर विश्व की ओर ले जाएगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR