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सतत् विकास लक्ष्य निवेश मानचित्र (एस.डी.जी. इंवेस्टर मैप)

(प्रारम्भिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास– सतत् विकास)
(मुख्य परीक्षा, प्रश्नपत्र- 3 : समावेशी विकास)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, यू.एन.डी.पी. तथा इंवेस्ट इंडिया (भारत सरकार की निवेश प्रोत्साहन इकाई) द्वारा भारत के लिये सतत् विकास लक्ष्य निवेश मानचित्र (एस.डी.जी. इंवेस्टर मैप) जारी किया गया है।

एस.डी.जी. निवेश मानचित्र

  • एस.डी.जी. निवेश मानचित्र में सतत् विकास लक्ष्यों के सबसे महत्त्वपूर्ण निवेश अवसर वाले क्षेत्रों (Investor Opportunity Areas - IOAs) को चिन्हित किया गया है।

एस.डी.जी. निवेश मानचित्र की मुख्य विशेषताएँ

  • निवेश मानचित्र में निवेश अवसर वाले कुछ क्षेत्र पहले से ही परिपक्व हैं, जिनकी प्राइवेट इक्विटी और उद्यम पूंजी आधार काफी मज़बूत है। इन क्षेत्रों में संलग्न इकाइयों में निवेश से लाभ की अधिक सम्भावनाएँ हैं।
  • निवेश मानचित्र मे निवेशकों के आकर्षण वाले कुछ ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है जिनमें आगामी 5-6 वर्षों में आई.ओ.ए. बनने की क्षमता है। लेकिन इन क्षेत्रों को वाणिज्यिक रूप से आकर्षक बनाने के लिये नीतिगत समर्थन तथा भागीदारी की आवश्यकता है।
  • इस मानचित्र में सार्वजानिक क्षेत्र की प्राथमिकताओं तथा निजी क्षेत्र के हितों के मध्य अंतर के कारणों की चर्चा करते हुए यह भी बताया गया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि तथा सम्बद्ध गतिविधियाँ, नवीकरणीय तथा वैकल्पिक ऊर्जा एवं स्थाई पर्यावरण जैसे क्षेत्रों के लिये सार्वजानिक क्षेत्र के समर्थन तथा निजी क्षेत्र के निवेश को किस प्रकार एक साथ लाया जा सकता है।
  • निवेश वाले महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में ऑनलाइन एजुकेशन सप्लीमेंट्री फॉर K-12, किसानों के लिये इनपुट/आउटपुट से सम्बंधित आवश्यकताओं एवं उनकी फसल की बाज़ार तक सहज पहुँच के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों तथा निम्न आय समूहों की आय सृजन एवं ऋण तक पहुँच को सुगम बनाने के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म को शामिल किया गया है।

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  • निवेश मानचित्र में सतत् विकास लक्ष्यों में से संधारणीय विकास के साथ-साथ वाणिज्यिक लाभ प्राप्ति के लिये निवेश वाले क्षेत्रों में मुख्य रूप से रोज़गार सृजन, औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने, समावेशी बिज़नेस मॉडल तथा डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे व्यापक परिवर्तन लाने वाले क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है।
  • निवेश मानचित्र में 80% से अधिक निवेश वाले क्षेत्रों में निवेश की समय सीमा का निर्धारण अल्पावधि (5 वर्ष से कम) तथा मध्यम अवधि (5 से 15 वर्ष) के आधार पर किया गया है।
  • उपरोक्त सभी क्षेत्रों का चयन एक सघन विश्लेषण प्रक्रिया द्वारा किया गया है। साथ ही, निवेश मानचित्र को और बेहतर बनाने के लिये प्रमुख घरेलू निवेशकों, सरकारी हितधारकों तथा कुछ महत्त्वपूर्ण थिंक टैंक्स के मध्य व्यापक विचार विमर्श किया जा रहा है।

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सतत् विकास क्षेत्रों में निवेश की आवश्यकता

  • उच्च स्तरीय विकास लक्ष्यों की प्राप्ति तथा वाणिज्यिक लाभ के बीच की खाई को पाटने हेतु सतत् विकास लक्ष्यों के सक्षम क्षेत्रों तथा निवेश अवसर वाले क्षेत्रों में निवेश किये जाने की आवश्यकता है।
  • सतत् विकास लक्ष्यों में निवेश पर बल देने से रोज़गार क्षमता में वृद्धि तथा प्रौद्योगिकी के माध्यम से संवेदनशील समुदायों का समावेशन सुनिश्चित हो सकेगा।

महत्त्व

  • वैश्विक स्तर पर सतत् विकास लक्ष्यों की सफलता निर्धारित करने में भारत का महत्त्वपूर्ण स्थान है। निवेश के लिये सक्षम क्षेत्रों का निर्धारण करने से भारत को सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ-साथ आर्थिक लाभ अर्जित करनें में भी सहायता मिलेगी।
  • इस निवेश मानचित्र के डाटा समर्थित अनुसंधान तथा अंतर्दृष्टि से सतत् विकास लक्ष्यों के वित्तपोषण के अंतर को कम करने के तरीकों को समझने में मदद मिलेगी।
  • इस मानचित्र की सहायता से नीति स्तर में हस्तक्षेप के माध्यम से निजी क्षेत्र के निवेशकों को एस.डी.जी. की प्राप्ति के लिये एक सकारात्मक वातावरण उपलब्ध हो सकेगा।
  • एस.डी.जी. के महत्त्वपूर्ण सक्षम क्षेत्रों में निवेश से भारत की अर्थव्यवस्था तथा समाज में और अधिक मज़बूती तथा स्थिरता आएगी।

निष्कर्ष

यह निवेश मानचित्र भारत के लिये एक अनुकूल नीतिगत वातावरण तथा उच्च विकास के व्यावसायिक अवसरों के निर्माण में सराहनीय पहल है। सतत् विकास लक्ष्यों को निजी क्षेत्र की प्रमुख पहल के रूप निर्धारित करने के लिये एक रणनीतिक आंदोलन की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स फैक्ट

सयुंक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम

  • सयुंक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme-UNDP) गरीबी उन्मूलन तथा असमानता को कम करने के लिये 170 देशों में कार्यरत है। इसकी स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी तथा इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क (अमेरिका) में स्थित है।
  • यह संगठन सदस्य देशों को नेतृत्व कौशल, भागीदारी तथा संस्थागत क्षमताएँ एवं आपदा न्यूनीकरण की क्षमताओं को विकसित करने की दिशा में सहायता प्रदान करता है।
  • भारत में यू.एन.डी.पी. वर्ष 1951 से लगभग सभी क्षेत्रों में कार्यरत है। इनमें मुख्य रूप से लोकतांत्रिक प्रशासन, गरीबी उन्मूलन, संवहनीय ऊर्जा तथा पर्यावरणीय प्रबंधन शामिल हैं।
  • यू.एन.डी.पी. के कार्यक्रम राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होते हैं तथा प्रत्येक वर्ष समीक्षा करने के बाद इन कार्यक्रमों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जाता है।
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