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शॉर्ट न्यूज़: 11 जनवरी, 2021

शॉर्ट न्यूज़: 11 जनवरी, 2021


हाई स्पीड रेल गलियारे के लिये लिडार सर्वेक्षण

भुगतान अवसंरचना विकास कोष


हाई स्पीड रेल गलियारे के लिये लिडार सर्वेक्षण

संदर्भ

दिल्ली-वाराणसी हाइस्पीड रेल गलियारे के निर्माण कार्य में लिडार (एरियल ग्राउंड) सर्वेक्षण शुरू किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • दिल्ली-वाराणसी हाइस्पीड रेल गलियारे में लिडार सर्वेक्षण हेतु अत्‍याधुनिक एरियल लिडार तथा इमेज़री सेंसरों से सुसज्जित एक हैलिकॉप्‍टर का प्रयोग कर ग्राउंड सर्वेक्षण से संबंधित डाटा प्राप्त किया गया है।
  • गौरतलब है कि दिल्‍ली-वाराणसी हाइस्पीड रेल गलियारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली को मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी और अयोध्या जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ेगा।
  • राष्‍ट्रीय हाइस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा निर्माण कार्यों में लाइट डिटेक्‍शन और रेंजिंग (लिडार) सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक की सहायता से ग्राउंड सर्वेक्षण से संबंधित सभी विवरण तथा डेटा 3 से 4 महीनों में प्राप्त किया जा सकता है, जबकि इस प्रक्रिया में सामान्यतः 10 से 12 माह का समय लगता है।
  • लाइनियर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर परियोजना में ग्राउंड सर्वेक्षण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्‍योंकि इससे रेलमार्ग के आस-पास के क्षेत्रों की सटीक जानकारी प्राप्‍त होती है।
  • एरियल लिडार सर्वेक्षण में प्रस्तावित रेलमार्ग के आसपास के 300 मीटर क्षेत्र को शामिल किया जाएगा तथा सर्वेक्षण से प्राप्त डाटा के आधार पर रेलमार्गों का डिज़ाइन, संरचना, रेलवे स्टेशन के लिये स्थान, गलियारे के लिये भूमि की आवश्यकता, परियोजना से प्रभावित भूखंडों की पहचान आदि का निर्धारण किया जाएगा।
  • विदित है कि राष्‍ट्रीय हाइस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को 7 हाइस्पीड रेल गलियारे के निर्माण कार्य हेतु विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। इन सभी गलियारों में ग्राउंड सर्वेक्षण के लिये लिडार सर्वेक्षण तकनीक का प्रयोग किया जाएगा।

लिडार तकनीक (Light Detection and Ranging Technique-LIDAR)

  • लिडार एक 'सुदूर संवेदी तकनीक' है, जिसमें पल्स लेज़र के रूप में प्रकाश का उपयोग करके विमान में सुसज्जित लेज़र उपकरणों के माध्यम से किसी क्षेत्र का सर्वेक्षण किया जाता है।
  • लिडार उपकरणों में लेज़र, स्कैनर और एक जी.पी.एस. रिसीवर होता है। यह तकनीक लघु तरंगदैर्ध्य के माध्यम से सूक्ष्म वस्तुओं या स्थान का त्रि-आयामी (3-D) मानचित्र तैयार करने में सक्षम है।
  • इस तकनीक के माध्यम से विस्तृत क्षेत्र के आँकड़े प्राप्त करने के लिये पृथ्वी की सतह पर लेज़र प्रकाश डाला जाता है और प्रकाश के वापस लौटने के समय की गणना से वस्तु की दूरी का पता लगाया जाता है। इसे ‘लेज़र स्कैनिंग’ या ‘3-डी स्कैनिंग’ भी कहा जाता है। विदित है कि रडार और सोनार तकनीक में क्रमशः रेडियो व ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
  • इसका प्रयोग मानव निर्मित वातावरण के सर्वेक्षण, निर्माण परियोजनाओं को तेज़ी से ट्रैक करने तथा पर्यावरणीय अनुप्रयोगों आदि में किया जाता है। स्वायत्त वाहनों को नौवहन सुविधा प्रदान करने के लिये कम रेंज के लिडार स्कैनर का उपयोग भी किया जा रहा है।

भुगतान अवसंरचना विकास कोष

संदर्भ

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान अवसंरचना विकास कोष (Payment Infrastructure Development Fund–PIDF) योजना के परिचालन की घोषणा की है।

उद्देश्य

  • इसका उद्देश्य, देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ टियर-3 एवं टियर-4 में भुगतान स्वीकृति अवसंरचना का विकास करना है। इसके तहत डिजिटल तथा हस्तचालित ‘पॉइंट ऑफ सेल’ (POS) से संबंधित अवसंरचना के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • देश में डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले व्यापारियों की संख्या को बढ़ावा देना।

पी.आई.डी. कोष का कार्यान्वयन

  • इस कोष का संचालन 1 जनवरी, 2021 से तीन वर्षों की अवधि के लिये किया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर इसे दो वर्षों के लिये और बढ़ाया जा सकता है।
  • वर्तमान में पी.आई.डी. कोष की कुल निधि 345 करोड़ रुपए है। प्रारंभ में, भरतीय रिज़र्व बैंक इस कोष में 250 करोड़ का अंशदान करेगा, शेष राशि कार्ड निर्गत करने वाले बैंक तथा अधिकृत कार्ड नेटवर्क उपलब्ध कराएंगे।
  • इसके अतिरिक्त, पी.आई.डी.एफ. को कार्ड नेटवर्क और कार्ड जारी करने वाले बैंकों से वार्षिक योगदान भी प्राप्त होगा।
  • पी.आई.डी.एफ. के प्रबंधन के लिये एक सलाहकार परिषद् का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता आर.बी.आई. के डिप्टी गवर्नर बी.पी. कानूनगो करेंगे। यह परिषद मूल रूप से फंड्स का संचालन करेगी।
  • इसके अंतर्गत ऐसे व्यापारियों को लक्षित किया जाएगा जिन्हें अभी तक टर्मिनलाइज़ नहीं किया जा सका है, अर्थात् जिनके पास भुगतान स्वीकृति हेतु कोई उपकरण उपलब्ध नहीं है।
  • इसमें मुख्य रूप से उन व्यापारियों को शामिल किया जाएगा जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों, स्वास्थ्य सेवा एवं किराने की दुकानों, सरकारी भुगतान तथा परिवहन व आतिथ्य जैसी सेवाओं में संलग्न हैं।
  • इसके तहत विविध भुगतान उपकरण तथा कार्ड भुगतान जैसे पी.ओ.एस, मोबाइल पी.ओ.एस, जनरल पैकेट रेडियो सर्विस पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन  नेटवर्क तथा क्यूआर कोड आधारित उपकरण वित्तपोषित होंगे।
  • इसमें सब्सिडी का प्रावधान भी है जिसके तहत भौतिक रूप से स्थापित पी.ओ.एस. मशीनों की लागत का 30% से 50% और डिजिटल पी.ओ.एस. मशीनों के लिये 50% से 75% तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह सब्सिडी अर्द्धवार्षिक आधार पर प्रदान की जाएगी
  • आर.बी.आई. भारतीय नेटवर्क बैंक एसोसिएशन (IBA) तथा पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के सहयोग से तय लक्ष्यों के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा। साथ ही, अधिग्रहणकर्ता आर.बी.आई. को लक्ष्यों की प्राप्ति के संदर्भ में तिमाही आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

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