शॉर्ट न्यूज़: 16 सितम्बर, 2022
अनुसूचित जनजाति सूची में संशोधन
ककाडू-2022
पहला लिथियम सेल विनिर्माण संयंत्र
अनुसूचित जनजाति सूची में संशोधन
चर्चा में क्यों
हाल ही में, केंद्र सरकार ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) अधिनियम, 2022 के माध्यम से केंद्रीय अनुसूचित जनजाति सूची में कुछ संशोधनों को स्वीकृति प्रदान की है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्र सरकार ने पांच जनजातियों को केंद्रीय अनुसूचित जनजाति सूची में शमिल किया है।
सूची में शामिल नई जनजातियाँ
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राज्य
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जनजाति
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हिमाचल प्रदेश
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हट्टी जनजाति
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तमिलनाडु
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नारिकोरवन और कुरीविक्करन पहाड़ी जनजाति
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छत्तीसगढ़
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बिंझिया जनजाति
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- उपर्युक्त चार के अतिरिक्त केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के गोंड समुदाय को अनुसूचित जाति सूची से अनुसूचित जनजाति सूची में स्थानांतरित कर दिया है।
- साथ ही, इसकी पांच समानार्थी उपजातियों- धूरिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड को भी इस सूची में शामिल किया गया है।
उपजातियों का समावेश
- इसके अतिरिक्त पूर्व में सम्मिलित कुछ जनजातियों की समानार्थी उपजातियों को भी अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किया गया है। इसमें कर्नाटक तथा छतीसगढ़ की कुछ जनजातियाँ शामिल हैं।
पूर्व में शामिल जनजातियों की समानार्थी जातियां
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राज्य
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जनजाति
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समानार्थी उपजाति
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कर्नाटक
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काडू कुरुबा
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बेट्टा-कुरुबा
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छत्तीसगढ़
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भारिया
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भूमिया और भुइयां
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छत्तीसगढ़
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गढ़वा
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गदवा
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छत्तीसगढ़
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धनवर
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धनावार और धनुवार
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छत्तीसगढ़
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नगेसिया
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नगासिया और किसन
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छत्तीसगढ़
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पोंढ़
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पोंड
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- इसका उद्देश्य इस समुदाय से संबंधित सभी उपजातियों को सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करना है।
ककाडू-2022
चर्चा में क्यों
हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया ने ककाडू- 2022 अभ्यास की शुरुआत की। इस अभ्यास का समापन 24 सितंबर को होगा।
प्रमुख बिंदु
- यह नौसेना अभ्यास प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित किया जाता है। सर्वप्रथम इसका आयोजन वर्ष 1993 में किया गया था।
- इस वर्ष के अभ्यास का आयोजन डार्विन में किया जा रहा है, जिसमें लगभग 20 देश प्रतिभाग कर रहे हैं।
- ककाडू-2022 की थीम ‘साझेदारी, नेतृत्व, मित्रता’ (Partnership, Leadership and Friendship) है।
भारत और ककाडू
- भारत भी इस अभ्यास में भाग ले रहा है। भारत की ओर से इस इस अभ्यास में आइ.एन.एस. सतपुड़ा तथा पी8आई समुद्र गश्ती विमान शामिल हुए हैं।
- इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और ऑस्ट्रेलिया के सैन्य सहयोग को मज़बूती मिलेगी।
पहला लिथियम सेल विनिर्माण संयंत्र
चर्चा में क्यों
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने 16 सितम्बर को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में भारत की पहली लिथियम सेल निर्माण संयंत्र के उत्पादन-पूर्व चरण का शुभारंभ किया। तिरुपति को मंदिर वाला शहर कहते हैं।
प्रमुख बिंदु
- इस अत्याधुनिक संयंत्र (State-of-the-Art Facility) की स्थापना चेन्नई स्थित मुनोथ इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 165 करोड़ रुपए के परिव्यय से किया है।
- यह संयंत्र वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस शहर में स्थापित दो इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण समूहों में से एक में स्थित है।
क्षमता
- वर्तमान में इस संयंत्र की स्थापित क्षमता प्रतिदिन 270 मेगावाट प्रतिघंटा की है। साथ ही, यह 10 एम्पीयर प्रतिघंटा (Ah) की क्षमता वाली 20,000 सेल का उत्पादन कर सकती है।
- इन सेलों का उपयोग पावर बैंक में किया जाता है और यह क्षमता भारत की वर्तमान जरूरतों का लगभग 60% है।
आयत में कमी
- उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भारत लिथियम-आयन सेल की अपनी कुल जरूरतों की पूर्ति मुख्यत: चीन, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और हांगकांग से आयात के जरिये करता है।
- यहां मोबाइल फोन, सुनने योग्य और पहनने योग्य उपकरणों जैसे अन्य उपभोक्ता इलेक्ट्रानिक्स सामानों के सेलों का उत्पादन भी किया जाएगा। इससे आयत में कमी आने की संभावना है।