(प्रारंभिक परीक्षा : महत्त्वपूर्ण योजनाएँ एवं कार्यक्रम, आर्थिक व सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय; भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय; बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि) |
संदर्भ
25 जून, 2025 को अमृत (AMRUT) मिशन के क्रियान्वयन के 10 वर्ष पूर्ण हुए।
अमृत मिशन के बारे में
- पूर्ण नाम : अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation: AMRUT)
- परिचय : यह केंद्र प्रायोजित योजना शहरी भारत को अधिक समावेशी, टिकाऊ एवं रहने योग्य बनाने पर केंद्रित है।
- मिशन के प्रमुख उद्देश्य
- प्रत्येक घर में सुनिश्चित जलापूर्ति के साथ नल एवं सीवरेज कनेक्शन उपलब्धता सुनिश्चित करना
- हरियाली एवं अच्छी तरह से बनाए गए खुले स्थानों (जैसे- पार्क) का विकास करके शहरी सुविधाओं में वृद्धि करना
- सार्वजनिक परिवहन या बिजली चालित परिवहन अपनाकर और पैदल तथा साइकिल पथ के लिए सुविधा निर्माण से प्रदूषण कम करना

- शुभारंभ : 25 जून, 2015
- नोडल मंत्रालय : आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय
- शामिल शहर : इस मिशन में 500 चयनित शहर एवं कस्बे शामिल हैं।
- स्वीकृत योजनाएँ : इस मिशन के तहत 77,640 करोड़ रुपए की राज्य वार्षिक कार्य योजनाएँ (SAAP) स्वीकृत की गई हैं।
मिशन के प्रमुख घटक
जलापूर्ति
- जलापूर्ति प्रणालियों में मौजूदा जलापूर्ति का संवर्धन, जल उपचार संयंत्र एवं सार्वभौमिक मीटरिंग शामिल हैं।
- उपचार संयंत्रों सहित पुरानी जलापूर्ति प्रणालियों को पुनःस्थापित करना।
- विशेष रूप से पेयजल आपूर्ति और भूजल पुनर्भरण के लिए जल निकायों का पुनरुद्धार करना।
- दुर्लभ क्षेत्रों, पहाड़ी व तटीय शहरों के लिए विशेष जलापूर्ति व्यवस्था, इनमें जल गुणवत्ता (जैसे- आर्सेनिक, फ्लोराइड) की समस्या वाले क्षेत्र भी शामिल हैं।
सीवरेज
- विकेंद्रीकृत, नेटवर्कयुक्त भूमिगत सीवरेज प्रणालियाँ, इनमें मौजूदा सीवरेज प्रणालियों और सीवेज उपचार संयंत्रों का संवर्धन शामिल है।
- पुरानी सीवरेज प्रणाली और उपचार संयंत्रों का पुनर्स्थापन
- लाभकारी उद्देश्यों के लिए जल का पुनर्चक्रण तथा अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग
सेप्टेज
- मल-गाद प्रबंधन- लागत प्रभावी तरीके से सफाई, परिवहन व उपचार।
- सीवरों और सेप्टिक टैंकों की यांत्रिक व जैविक सफाई तथा परिचालन लागत की पूर्ण वसूली।
शहरी परिवहन
- बस व अंतर्देशीय जलमार्गों (बंदरगाह/खाड़ी अवसंरचना को छोड़कर) के लिए नौका एवं बड़ी नौका।
- फुटपाथ/पथ, पटरी, फुट ओवर ब्रिज और गैर-मोटर चालित परिवहन (जैसे- साइकिल) के लिए सुविधाएँ।
- बहु-स्तरीय पार्किंग।
- बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (BRTS)।
हरित स्थान एवं पार्क
- बच्चों के अनुकूल घटकों के लिए विशेष प्रावधान के साथ हरित स्थान और पार्कों का विकास।
क्षमता निर्माण
- इसके दो घटक हैं- व्यक्तिगत और संस्थागत क्षमता निर्माण।
- क्षमता निर्माण मिशन केवल शहरों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे अन्य शहरी स्थानीय निकायों तक भी विस्तारित किया जाएगा।
- नए मिशनों के प्रति पुनर्गठन के बाद व्यापक क्षमता निर्माण कार्यक्रम (CCBP) को जारी रखना।
अमृत 2.0
- शुभारंभ : अमृत 2.0 को 1 अक्तूबर, 2021 को शुरू किया गया था। यह सभी शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को कवर करता है और इसका उद्देश्य शहरों को जल सुरक्षित व आत्मनिर्भर बनाना है।
- लक्ष्य : इसका प्रमुख लक्ष्य मूल रूप से 500 अमृत शहरों में सीवरेज व सेप्टेज प्रबंधन की सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करना है।
- जल ही अमृत पहल : अमृत 2.0 के अंतर्गत ‘जल ही अमृत’ पहल भी शुरू की गई है। यह राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को सीवेज संयंत्रों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- इसका उद्देश्य जल की उपलब्धता में सुधार करने और जल सुरक्षा का समर्थन करने के लिए जल का सुरक्षित तरीके से उपचार व पुनः उपयोग करना है।
- प्रौद्योगिकी उप-मिशन : यह स्टार्ट-अप विचारों एवं निजी उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए अमृत 2.0 का एक अन्य घटक है।
विगत 10 वर्षों में अमृत एवं अमृत 2.0 की समग्र उपलब्धियाँ
- अमृत एवं अमृत 2.0 के तहत 2,73,649 करोड़ रुपए की लागत वाली 14,828 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। कुल मिलाकर लगभग 1,12,368 करोड़ रुपए मूल्य के कार्य भौतिक रूप से पूरे हो चुके हैं।
- इस मिशन के तहत 2.03 करोड़ नल कनेक्शन और 1.50 करोड़ सीवर कनेक्शन प्रदान किए गए तथा 9,511 एकड़ क्षेत्र में 544 जल निकायों का पुनरुद्धार किया गया।
- 99 लाख एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं हैं। इससे 666 करोड़ किलोवाट घंटे बिजली की बचत हुई और वार्षिक 46 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई।
- शहरी बुनियादी ढांचे के लिए 13 शहरी स्थानीय निकाय (ULB) द्वारा म्यूनिसिपल बांड के माध्यम से 4,984 करोड़ रुपए जुटाए गए।
निष्कर्ष
अमृत का एक दशक पूरे हो चुका है। यह समावेशी नियोजन, कुशल सेवा वितरण और सतत विकास पर केंद्रित भारत के शहरी विकास दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। मिशन ने स्थानीय निकायों को मजबूत करके और पानी, स्वच्छता तथा हरित क्षेत्रों जैसी मुख्य सेवाओं में सुधार किया है। देश भर में भविष्य के लिए तैयारी के रूप में रहने योग्य शहरों के लिए एक मजबूत नींव रखी है।