(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले विषय) |
संदर्भ
गृह मंत्री अमित शाह ने गंभीर आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने के लिए लोकसभा में विधेयक प्रस्तुत किया। हालाँकि, ध्वनिमत के पश्चात इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया है।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ
- 130वाँ संविधान संशोधन विधेयक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों या केंद्र या राज्य सरकार के किसी अन्य मंत्री को, यदि उन्हें गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में रखा जाता है, तो पद से हटाने का प्रावधान करता है।
- इस विधेयक के प्रावधान केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली पर भी लागू होंगे।
- पुडुचेरी एवं जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेशों पर इन प्रावधानों को लागू करने के लिए दो अन्य विधेयक भी पेश किए गए हैं।
- केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025
- जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
- यह विधेयक अनुच्छेद 75, 164 एवं 239AA में संशोधन का प्रस्ताव करता है जिससे एक कानूनी व्यवस्था लागू होगी जो पाँच वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए हिरासत में लिए गए मंत्रियों को हटाने का आदेश देगी।
निष्कासन के आधार
- किसी मंत्री को पद से हटाया जाएगा यदि:
- उस पर पाँच वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध का आरोप है।
- उसकी गिरफ़्तारी हुई है तथा उसके बाद लगातार उसे 30 दिनों तक हिरासत में रखा गया है।
निष्कासन की प्रक्रिया
- राष्ट्रपति केंद्र सरकार के किसी मंत्री को प्रधानमंत्री की सलाह पर हटाएगा। यह सलाह मंत्री के लगातार 31वें दिन तक हिरासत में रहने पर दी जानी है।
- यदि प्रधानमंत्री इस समय तक राष्ट्रपति को सलाह नहीं देते हैं तो मंत्री अगले दिन से पद पर नहीं रहेंगे।
- यही प्रावधान राज्य स्तर पर भी लागू होंगे, जहाँ राज्य के राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर कार्य करेंगे।
- दिल्ली के मामले में राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री की सलाह पर कार्यवाहक प्राधिकारी होंगे।
- प्रधानमंत्री या किसी राज्य या दिल्ली के मुख्यमंत्री के मामले में उन्हें हिरासत के लगातार 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा।
- यदि वह इस समय तक इस्तीफा नहीं देते हैं तो वह अगले दिन से पद पर नहीं रहेंगे।
- हटाने का प्राधिकारी:
- राष्ट्रपति (प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के लिए)
- राज्यपाल (मुख्यमंत्रियों और राज्य मंत्रियों के लिए)
- उपराज्यपाल (केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों के लिए)
पुनर्नियुक्ति पर कोई रोक नहीं
इन प्रावधानों के तहत पद से हटाए गए किसी मंत्री को हिरासत से रिहा होने के बाद पुनः नियुक्त किया जा सकता है।