(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
6-7 जुलाई, 2025 को ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो शहर में 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया।
17वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन
- थीम : समावेशी एवं टिकाऊ शासन के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग को सशक्त बनाना
- सदस्य देश : ब्रिक्स में अब 11 सदस्य (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका + मिस्र, इथियोपिया, ईरान, इंडोनेशिया, UAE तथा सऊदी अरब) हैं।
- इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
- वर्ष 2024 में छह नए सदस्यों (सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया और ईरान) के जुड़ने के साथ वैश्विक जी.डी.पी. (पी.पी.पी. में वर्तमान दरों पर) में ब्रिक्स की हिस्सेदारी लगभग 39% हो गई।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों के अनुसार वर्ष 2024 में सभी ब्रिक्स देशों ने सकारात्मक आर्थिक विकास प्रदर्शित किया है जिसकी दरें 1.1% से 6.1% के बीच भिन्न हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ब्रिक्स देशों की कुल वैश्विक आदान-प्रदान में लगभग 24% हिस्सेदारी है।
- ब्रिक्स देश कुल वैश्विक आबादी के लगभग 48.5% का और कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 36% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ब्रिक्स समूह से संबंधित अन्य तथ्य
- दुनिया के दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के भंडार का लगभग 72%
- वैश्विक तेल उत्पादन का 43.6%
- दुनिया के कुल प्राकृतिक गैस उत्पादन का 36%
- खनिज कोयले के वैश्विक उत्पादन का 78.2%
भारत के लिए निहितार्थ
- भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों पर बल देते हुए स्थानीय मुद्रा में व्यापार, जलवायु वित्त, डिजिटल आधार (यू.पी.आई. की तरह), स्टार्टअप एवं वित्तीय समावेशन सहित कई पहलों को आगे बढ़ाया है।
- इस सम्मेलन के दौरान भारत ने निजी एवं सरकारी स्तर पर नई पहल, जैसे- ब्रिक्स स्टार्टअप नॉलेज हब तथा उपेक्षित रोगों के लिए ब्रिक्स साझेदारी की वकालत की।
भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएँ
वैश्विक दक्षिण का नेतृत्व
- भारत ने साफ तौर पर कहा कि धनी देशों का जलवायु वित्त विशेष रूप से ब्राज़ील की ट्रॉपिकल फ़ॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) में योगदान देना चाहिए।
- ट्रॉपिकल फ़ॉरेस्ट फ़ॉरएवर फ़ैसिलिटी (TFFF) ब्राज़ील द्वारा प्रस्तावित एक वित्तीय तंत्र है जिसे उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह अपने वनों की रक्षा करने वाले देशों को परिणाम-आधारित भुगतान प्रदान करता है।
- TFFF का लक्ष्य उष्णकटिबंधीय वन राष्ट्रों को वितरण के लिए वर्षिक लगभग 4 बिलियन डॉलर राजस्व सृजित करना है।
- वित्तीय स्वायत्तता की पहल : स्थानीय मुद्राओं में व्यापार तेज़ करने पर बल दिया गया है। इससे भारत, रूस एवं संयुक्त अरब अमीरात आदि में रूपए में भुगतान की पुष्टि की गई।
- डिजिटल और आर्थिक नवाचार : भारत के UPI का वैश्वीकरण, स्वच्छ ऊर्जा, स्टार्टअप एंड डिजिटल इकोनॉमी में सहयोग को बढ़ावा।
- बहुपक्षीय संस्थाओं का सुधार : भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद्, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक तथा विश्व व्यापार संगठन जैसे संस्थानों में सुधार की वैश्विक दक्षिण की मांग को सुद्ढ़ किया।
- आतंकवाद एवं सुरक्षा : पहलगाम आंतकी हमले की निंदा और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया गया।
भारत के लिए लाभ
- आर्थिक : स्थानीय मुद्रा में व्यापार, न्यू डेवलपमेंट बैंक से हरित वित्तपोषण तथा UPI की वैश्विक स्वीकार्यता
- डिजिटल/निवेश : स्टार्टअप के लिए वैश्विक प्लेटफ़ॉर्म की उपलब्धता तथा औद्योगिक क्रांति 4.0 के लिए सहयोग
- कूटनीतिक : वैश्विक दक्षिण के नेतृत्वकर्ता के रूप में तथा ब्राज़ील एवं अन्य देशों के साथ रणनीतिक जुड़ाव
- भौगोलिक राजनीति : बहुध्रुवीय विश्व में भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि तथा पश्चिम एवं पूर्व का संतुलन
चुनौतियाँ
- चीन के राष्ट्रपति ने इस सम्मेलन में भाग नहीं लिया जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आभासी रूप से सम्मेलन में प्रतिभाग किया।
- सदस्य देशों के मध्य मतभेद, जैसे- भारत व चीन सीमा विवाद
- अमेरिका द्वारा स्थानीय मुद्रा में सदस्य देशों के व्यापार को डी-डॉलरीकरण के रूप में देखा जाना।
निष्कर्ष
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत ने तकनीकी, आर्थिक, और कूटनीतिक क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी दिखाई। स्थानीय मुद्रा, डिजिटल भुगतान, जलवायु वित्त और संस्थागत सुधारों में मजबूत रवैया अपनाया। भविष्य में भारत के लिए यह मंच वैश्विक दक्षिण के नेतृत्व, वैश्विक संस्थागत सुधारऔर बहुध्रुवीयविश्व में भूमिका निभाने का अमूल्य अवसर प्रस्तुत करता है। आंतरिक मतभेद को सुलझाकर और वैश्विक व्यवस्था में संतुलन स्थापित करते हुए इसे और प्रभावी बनाया जा सकता है।