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2024 लोकसभा चुनाव व्यय: ADR रिपोर्ट

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता एवं जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष)

संदर्भ

लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के चुनावी व्यय का विश्लेषण आवश्यक है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 2024 लोकसभा और समकालिक विधानसभा चुनावों में राजनितिक दलों के व्यय का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया है।

ADR की रिपोर्ट के बारे में

  • रिपोर्ट का आधार : ADR ने 32 राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों द्वारा 16 मार्च से 6 जून 2024 तक लोकसभा व आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम के विधानसभा चुनावों में किए गए व्यय का विश्लेषण किया।
  • डाटा स्रोत : दलों द्वारा चुनाव आयोग को प्रस्तुत व्यय विवरण, जिसमें प्राप्त धन (नकद, चेक, डिमांड ड्राफ्ट) और विभिन्न मदों में व्यय शामिल हैं।
  • प्रस्तुति में चुनौतियाँ : AAP (168 दिन की देरी), BJP (139-154 दिन की देरी), और 21 दलों (NCP, CPI, JMM, शिव सेना (UBT)) के विवरण चुनाव आयोग वेबसाइट पर अनुपलब्ध।

रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिंदु

  • कुल व्यय : 32 दलों ने 3,352.81 करोड़ खर्च किए, जिसमें राष्ट्रीय दलों का हिस्सा 2,204 करोड़ (65.75%) था।
  • प्रमुख दलों का व्यय 
    • भारतीय जनता पार्टी : 1,493.91 करोड़ (44.56%)
    • कांग्रेस : 620.14 करोड़ (18.50%)
  • धन संग्रह 
    • राष्ट्रीय दल : 6,930.246 करोड़ (93.08%)
    • क्षेत्रीय दल : 515.32 करोड़ (6.92%)
  • व्यय का विवरण
    • प्रचार : 2,008 करोड़ (53% से अधिक)
    • यात्रा : 795 करोड़ (96.22% स्टार प्रचारकों पर)
      • उम्मीदवारों को एकमुश्त भुगतान : 402 करोड़
    • वर्चुअल अभियान : 132 करोड़
    • उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशन : 28 करोड़
    • अज्ञात स्रोत : राष्ट्रीय दलों को प्राप्त धन का ~60% अज्ञात स्रोतों से

रिपोर्ट के निहितार्थ

  • धनबल का प्रभाव : विशेष रूप से प्रचार एवं स्टार प्रचारकों पर उच्च व्यय राजनीति में धन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
  • पारदर्शिता की कमी : अज्ञात स्रोतों से धन की प्राप्ति और व्यय का देरी से विवरण प्रस्तुत करना पारदर्शिता में कमी को उजागर करते हैं।
  • लोकतंत्र पर प्रभाव : असमान वित्तीय संसाधन छोटे दलों व स्वतंत्र (निर्दलीय) उम्मीदवारों के लिए प्रतिस्पर्धा को कठिन बनाते हैं।
  • चुनावी सुधार की आवश्यकता : यह रिपोर्ट चुनावी वित्तपोषण एवं व्यय नियमों में सुधार की मांग को बल देती है।

भारतीय राजनीति में व्यय कम करने के सुझाव

  • डिजिटल प्रचार को बढ़ावा : वर्चुअल एवं सोशल मीडिया अभियानों को प्राथमिकता देकर प्रचार लागत कम की जा सकती है।
  • यात्रा व्यय सीमा : स्टार प्रचारकों की यात्रा पर व्यय सीमा निर्धारित करना
  • सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग : सरकारी मंचों और मीडिया का उपयोग सभी दलों के लिए समान रूप से उपलब्ध कराना
  • सूक्ष्म अभियान रणनीति : स्थानीय स्तर पर कम लागत वाले अभियानों को प्रोत्साहन
  • सामूहिक प्रचार : एक ही मंच पर कई दलों के प्रचार आयोजन से संसाधनों का बेहतर उपयोग

वर्तमान नियम

  • राजनीतिक दलों को सामान्य चुनाव के 90 दिन और विधानसभा चुनाव के 75 दिन के भीतर EC को व्यय विवरण देना अनिवार्य है।
  • व्यय में प्राप्त धन एवं खर्च का ब्योरा शामिल करना होता है।
  • चुनाव आयोग उम्मीदवारों के व्यक्तिगत व्यय की सीमा तय करता है किंतु राजनीतिक दलों के व्यय पर कोई स्पष्ट सीमा नहीं है।

चुनाव आयोग के प्रयास

  • व्यय विवरण की ऑनलाइन उपलब्धता व निगरानी
  • उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के प्रकाशन को अनिवार्य करना
  • व्यय सीमा लागू करना और उल्लंघन पर कार्रवाई
  • cVIGIL जैसे मोबाइल ऐप्स से आम जनता को निगरानी में भागीदार बनाना
  • समयसीमा के भीतर विवरण जमा करना अनिवार्य बनाना 

चुनौतियाँ

  • देरी से प्रस्तुति एवं अपूर्ण विवरण
  • अज्ञात स्रोतों से धन की निगरानी में कठिनाई
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
  • कानूनी प्रवर्तन की कमजोरी
  • पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयासों का विरोध

आगे की राह

  • वास्तविक समय निगरानी : डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रियल-टाइम व्यय ट्रैकिंग
  • कठोर दंड : नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई व अयोग्यता का प्रावधान 
  • धन स्रोतों की पारदर्शिता : सभी दानदाताओं का खुलासा अनिवार्य करना
  • चुनावी बांड सुधार : अज्ञात दान को कम करने के लिए बांड प्रणाली में संशोधन
  • जागरूकता अभियान : मतदाताओं व दलों में पारदर्शिता के प्रति जागरूकता

निष्कर्ष

ADR की रिपोर्ट भारतीय राजनीति में धन के बढ़ते प्रभाव व पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करती है। चुनावी व्यय में कमी व पारदर्शिता के लिए नीतिगत सुधार, तकनीकी हस्तक्षेप एवं सामाजिक जागरूकता जरूरी है। एक समावेशी व निष्पक्ष लोकतंत्र के लिए चुनाव आयोग, सरकार एवं नागरिक समाज को मिलकर कार्य करना होगा।

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