(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
17 जून को भारत प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के कनानसकीस (Kananaskis) में आयोजित 51वें G-7 (ग्रुप ऑफ़ सेवन) शिखर सम्मेलन में एक आउटरीच देश के रूप में भाग लिया।

जी-7 समूह के बारे में
- परिचय : यह उन्नत लोकतंत्र वाले देशों का एक अनौपचारिक समूह है जो वैश्विक आर्थिक नीति का समन्वय करने और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रतिवर्ष बैठक करता है।
- सदस्य देश : कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम एवं अमेरिका
- यूरोपीय संघ (EU) ने वर्ष 1981 से जी-7 में एक ‘गैर-गणना’ सदस्य के रूप में पूर्ण रूप से भाग लिया है।

- अनौपचारिक गठन : 25 मार्च, 1973 (अमेरिका)
- स्थापना/प्रथम सम्मलेन : 15 नवंबर, 1975 (फ्रांस)
- शामिल देश (केवल 6) : फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम व अमेरिका
- एक वर्ष बाद 1976 में कनाडा को इस समूह में शामिल किया गया।
- वैश्विक प्रतिनिधित्व : वर्ष 2024 में जी-7 सदस्य देशों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग 57 ट्रिलियन डॉलर रहा (वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 29%) और यह कुल आबादी के लगभग 10% का प्रतिनिधित्व करता है।
51वें जी-7 शिखर सम्मेलन के बारे में
- आयोजन तिथि : 15-17 जून, 2025
- आयोजन स्थल : कनानास्किस, अल्बर्टा (कनाडा)
- वर्ष 2002 में भी कनानास्किस में जी8 शिखर सम्मेलन आयोजित किया था।
- अध्यक्षता : कनाडा द्वारा (वर्ष 2026 में अध्यक्षता फ्रांस द्वारा)
- कनाडा ने इससे पूर्व 6 बार इस सम्मेलन की अध्यक्षता की है।
- वर्ष 2024 में यह सम्मेलन इटली के अपुलिया में आयोजित किया गया था।
- वर्ष 2026 में सम्मेलन फ्रांस में आयोजित किया जाएगा।
- उद्देश्य/एजेंडा
- समुदायों को अधिक संरक्षित करके और विश्व को अधिक सुरक्षित बनाकर मजबूत अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करना
- ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना और डिजिटल परिवर्तन में तेजी लाना
- भविष्य की साझेदारियों को बढ़ावा देना
- सदस्य भागीदार नेता : फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा और जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़।
- अन्य गैर-सदस्य भागीदार नेता : दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति मटामेला सिरिल रामफोसा, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा, मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम, कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति ली जे-म्यांग, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और विश्व बैंक के अध्यक्ष अजयपाल सिंह बंगा ने इस शिखर सम्मेलन में भागीदारी की।
- यूक्रेन को भी गैर-सदस्य भागीदार के रूप में आमंत्रित किया गया था।
सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्ष
जी-7 नेताओं ने छह संयुक्त वक्तव्यों पर सहमति व्यक्त की :
- उच्च मानक वाली महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना जो भविष्य की अर्थव्यवस्थाओं को शक्ति प्रदान करेंगी।
- सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में सुरक्षित, जिम्मेदार व भरोसेमंद ए.आई. को अपनाना, वर्तमान और भविष्य में ए.आई. को सशक्त बनाना तथा डिजिटल विभाजन को समाप्त करना।
- अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और समुदायों को सुरक्षित रखने के लिए क्वांटम प्रौद्योगिकी की पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देना।
- दुनिया भर में बढ़ रही जंगली आग की घटनाओं को बेहतर ढंग से रोकने, उनका सामना करने और उनसे उबरने के लिए बहुपक्षीय प्रयास करना।
- समाज में प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा करना तथा राज्य संप्रभुता के मूल सिद्धांत की रक्षा करना और अंतर्राष्ट्रीय दमन पर ध्यान केंद्रित करते हुए विदेशी हस्तक्षेप का लगातार मुकाबला करना।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध समूहों को नष्ट करके प्रवासी तस्करी का मुकाबला करना।
अन्य महत्त्वपूर्ण परिणाम
- कनानास्किस वाइल्डफ़ायर चार्टर : यह वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर वनों की कटाई और वन एवं भूमि क्षरण को रोकने तथा उलटने की प्रतिबद्धताओं के साथ संरेखित है (ग्लासगो लीडर्स घोषणापत्र ऑन फॉरेस्ट्स एंड लैंड यूज़, 2021)
- इस चार्टर का भारत ने समर्थन किया है।
- जी-7 महत्वपूर्ण खनिज कार्य योजना का शुभारंभ : यह वर्ष 2023 में जापान की अध्यक्षता में संपन्न जी-7 के दौरान स्थापित महत्वपूर्ण खनिज सुरक्षा के लिए पांच सूत्री योजना पर आधारित है (भारत ने इसका भी समर्थन किया है)।
- इसके अलावा जी-7 ने विश्व बैंक के नेतृत्व वाली लचीली एवं समावेशी आपूर्ति श्रृंखला संवर्द्धन (RISE) साझेदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- जी-7 ने अंतर्राष्ट्रीय दमन (TNR) की निंदा की : टी.एन.आर. विदेशी हस्तक्षेप का एक आक्रामक रूप है जिसके तहत राज्य या उनके प्रतिनिधि अपनी सीमाओं के बाहर व्यक्तियों या समुदायों को डराने, परेशान करने, नुकसान पहुंचाने या मजबूर करने का प्रयास करते हैं।
- प्रवासी तस्करी को रोकने के लिए प्रतिबद्ध : प्रवासियों की तस्करी को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए जी-7 गठबंधन तथा प्रवासियों की तस्करी को रोकने के लिए प्रतिबद्धता की गई।
- जी-7 गॉवएआई ग्रैंड चैलेंज : जी-7 अध्यक्ष के रूप में कनाडा ने जी-7 गॉवएआई ग्रैंड चैलेंज का शुभारंभ किया और सार्वजनिक क्षेत्र के भीतर ए.आई. को अपनाने में प्रमुख बाधाओं को संबोधित करते हुए अभिनव, स्केलेबल समाधानों को डिजाइन करने के लिए ‘रैपिड सॉल्यूशन लैब्स’ की एक श्रृंखला की मेजबानी करेगा।
भारत एवं जी-7
- भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने 17 जून को जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में भाग लिया।
- उन्होंने ‘ऊर्जा सुरक्षा: बदलती दुनिया में पहुंच एवं सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए विविधीकरण, प्रौद्योगिकी व बुनियादी ढांचा’ विषय पर एक सत्र को संबोधित किया।
संबोधन के प्रमुख बिंदु
- ऊर्जा सुरक्षा भविष्य की पीढ़ियों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों में से एक है।
- समावेशी विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य और स्वीकार्यता ऐसे सिद्धांत हैं जो ऊर्जा सुरक्षा के प्रति भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं।
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, मिशन लाइफ और वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड जैसी कई वैश्विक पहल की चर्चा की और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से उन्हें और मजबूत बनाने का आह्वान किया।
- सुरक्षा चुनौतियों पर जोर देते हुए उन्होंने देशों से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूत करने का आह्वान किया।
- आतंकवाद को मानवता के लिए गंभीर खतरा बताते हुए प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष विचार करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न रखे:
- क्या देश आतंकवाद से उत्पन्न गंभीर खतरे को तभी समझेंगे जब वे इसका निशाना बनेंगे?
- आतंकवाद के अपराधियों और इसके पीड़ितों को समान कैसे माना जा सकता है?
- क्या वैश्विक संस्थाएँ आतंकवाद के प्रति मूक दर्शक बनी रहेंगी?
- प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी, एआई एवं ऊर्जा के बीच संबंधों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि एआई दक्षता एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है किंतु प्रौद्योगिकी स्वयं ऊर्जा गहन है तथा स्वच्छ व हरित पहलों के माध्यम से इसे कैसे टिकाऊ बनाया जाए, इसकी रणनीति बनाना महत्वपूर्ण है।