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8वाँ वेतन आयोग

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप)

संदर्भ

हाल ही में, केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की है। 

क्या है वेतन आयोग

  • केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन ढाँचे को संशोधित करने और पेंशन भुगतान का निर्धारण करने के लिए एक संकल्प प्रस्ताव के माध्यम से वेतन आयोग का गठन करती है। 
    •  यह एक प्रशासनिक निकाय है। 
  • सामान्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार प्रत्येक 10 वर्ष पर वेतन आयोग का गठन करती है। वर्ष 1947 से अब तक सात वेतन आयोग स्थापित किए जा चुके हैं।

वेतन आयोग की संरचना 

  • एक अध्यक्ष व दो सदस्य 
  • इनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। 
  • सामान्यत: सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को वेतन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। 

वेतन आयोग के कार्य 

  • वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन संरचना, लाभ एवं भत्ते की सिफारिश करने से पहले केंद्र व राज्य सरकारों के साथ-साथ अन्य हितधारकों से परामर्श करता है।
  • उनकी सिफारिशों को प्राय: सरकार के स्वामित्व वाले संगठनों द्वारा अपनाया जाता है।
  • वेतन आयोग लाभार्थियों के वेतन और पेंशन ढांचे में संशोधन की सिफारिश करता है जिसके परिणामस्वरूप पारिश्रमिक व भत्ते में वृद्धि होती है।
    • हालाँकि, वेतन आयोग की सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी नहीं होती है। 
  • 7वें वेतन आयोग की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी और इसकी अनुशंसा 31 दिसंबर, 2025 तक के लिए हैं।

वेतन वृद्धि का आधार 

  • वेतन आयोग मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते व महंगाई राहत को संशोधित करने के लिए सूत्र भी सुझाता है।
  • वर्तमान में न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण पोषण विशेषज्ञ वालेस रुडेल एक्रोयड द्वारा तैयार किए गए सूत्र के आधार पर किया जाता है। 
    • इसे वर्ष 1957 में आयोजित 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन में मंजूरी दी गई थी। 
    • यह सूत्र किसी देश के लोगों की खाद्य एवं कपड़ों की जरूरतों पर आधारित था।  यह औसत व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण वस्तुओं की कीमतों में होने वाले बदलावों को ध्यान में रखता है जिससे भविष्य में उनके प्रभावित होने की संभावना है। 
    • इस सूत्र के अनुसार, केंद्र सरकार के कर्मचारी के लिए न्यूनतम मासिक वेतन शुरुआती स्तर पर लगभग 18,000 रुपए निर्धारित किया गया था।

क्या है फिटमेंट फैक्टर

  • फिटमेंट फैक्टर सरकारी कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों के वेतन व पेंशन में सुधार करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक सूत्र है। 
  • यह कर्मचारी के मूल वेतन को एक निश्चित गुणक (Multiplier) से बढ़ाकर नए वेतनमान में समायोजित करता है। 
  • इसे प्रत्येक वेतन आयोग (Pay Commission) की सिफारिशों के आधार पर तय किया जाता है। 
    • 7वें वेतन आयोग ने फिटमेंट फैक्टर 2.57 निर्धारित किया था। 
  • इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना और महंगाई के बढ़ते स्तर के साथ उनकी क्रय शक्ति को बनाए रखना है। 
  • फिटमेंट फैक्टर को निर्धारित करने वाले प्रमुख करक हैं : 
    • सरकार की आर्थिक स्थिति
    • महंगाई दर
    • कर्मचारियों की आवश्यकताएँ

प्रभाव 

अर्थव्यवस्था पर 

  • वेतन वृद्धि से उपभोग एवं उत्पादन में वृद्धि 
  • आर्थिक विकास को बढ़ावा 

सरकार पर 

7वें वेतन आयोग के क्रियान्वयन से वित्त वर्ष 2016-17 में सरकारी खजाने पर 1 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा था। नवीनतम आयोग के गठन से भी सरकार के वित्तीय बोझ में वृद्धि होगी। 

सरकारी कर्मचारियों पर 

वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन से सरकारी कर्मचारियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के साथ उपभोग में वृद्धि होने की संभावना है। फलत: उत्पादन एवं निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा और मुद्रास्फीति के प्रभाव में कमी आएगी।  

असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के वेतन वृद्धि संबंधी प्रावधान 

  • केंद्र सरकार परिवर्तनशील महंगाई भत्ते (Variable Dearness Allowances : VDA) को संशोधित करके असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी दरों में बढ़ोतरी करती है। 
  • इसका उद्देश्य श्रमिकों को जीवनयापन के लिए बढ़ती लागत का सामना करने में मदद करना है।
  • केंद्र सरकार औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में छह महीने की औसत वृद्धि के आधार पर वर्ष में दो बार (1 अप्रैल और 1 अक्तूबर) परिवर्तनशील महंगाई भत्ते को संशोधित करती है।
  • न्यूनतम मजदूरी दरों को कौशल स्तरों के आधार पर अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल एवं अत्यधिक कुशल में वर्गीकृत करने के साथ ही इन्हें भौगोलिक क्षेत्र- ए, बी तथा सी के आधार पर बांटा जाता है।
  • भारत में न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों द्वारा किया जाता है।
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